डूबते जकार्ता को छोड़ नई राजधानी बनाएगा इंडोनेशिया
जकार्ता, 19 जनवरी। इंडोनेशिया की संसद ने मंगलवार को उस बिल को पास कर दिया है जिसके तहत नई राजधानी बनाने की प्रक्रिया को मंजूरी मिल गई है. देश डूबते और प्रदूषित हो चुके जकार्ता से राजधानी को दूर ले जाना चाहता है.
देश की मौजूदा राजधानी जकार्ता एक भीड़-भाड़ भरा, तंग और प्रदूषित शहर हो चुका है. यहां बार-बार बाढ़ आती है और शहर अक्सर डूब जाता है. इस कारण प्रशासन के कामकाज पर भी असर होता है. यहां करोड़ लोग रहते हैं.
मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी बिल पास हो गया. इसमें राष्ट्रीय राजधानी प्राधिकरण के गठन को मंजूरी दी गई है. बिल में बताया गया है कि नई राजधानी बनाने के लिए सुनिश्चित 32 अरब डॉलर किस तरह खर्च किए जाएंगे.
प्रधानमंत्री सुहार्सो मोनॉर्फा ने कहा कि नई राजधानी देश की पहचान होगी. उन्होंने कहा, "नई राजधानी का मुख्य मकसद होगा कि यह देश की पहचान बनेगी. साथ ही यह आर्थिक गुरुत्वाकर्षण का केंद्र भी बनेगी."
कब शुरु हुआ नई राजधानी का काम
नई राजधानी का प्रस्ताव सबसे पहले राष्ट्रपति जोको विडोडो ने अप्रैल 2019 में दिया था. इसका निर्माण कार्य 2020 में शुरू होना था लेकिन कोरोना वायरस महामारी की वजह से ऐसा हो नहीं पाया. अब 2022 में निर्माण कार्य जोरों से होने की संभावना है. 2024 तक सड़क और बंदरगाहों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा.
इंडोनेशिया के वित्त मंत्रालय का कहना है कि कुछ परियोजनाओं को पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) के तहत पूरा किए जाएगा. मंगलवार के मतदान से पहले राष्ट्रपति विडोडो ने कहा, "नई राजधानी एक ऐसी जगह होगी जहां लोग हर जगह के करीब होंगे. वे साइकिल पर या पैदल भी एक जगह से दूसरी जगह जा सकेंगे और कार्बन उत्सर्जन शून्य होगा."
विडोडो ने कहा कि राजधानी में सिर्फ सरकारी दफ्तर नहीं होंगे. उन्होंने कहा, "हम ऐसे स्मार्ट मेट्रो शहर बनाना चाहते हैं जो अंतरराष्ट्रीय प्रतिभाओं को आकर्षित करेंगे और इनोवेशन के केंद्र होंगे."
सरकार ने जो विजन डॉक्युमेंट जारी किया है उसमें भी कहा गया है कि नई राजधानी इंडोनेशिया को एक अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक मार्गों, निवेश और तकनीकी विकास के रणनीतिक केंद्र में लाएगी.
वीके/एए (रॉयटर्स, एपी)
Source: DW