भारत के कंट्रोल में रहेगा चाबहार, जानिए क्यों खास है ये पोर्ट?
नई दिल्ली। मध्य एशिया में व्यापार का एक बड़ा समुद्री मार्ग बनकर तैयार हो चुका है, जो भारत से शुरू होकर ओमान की खाड़ी तक फैला हुआ है। ईरान के दक्षिणी पूर्वी तट पर स्थित चाबहार बंदरगाह पर भारत ने औपचारिक रूप से कमान संभाल ली है। रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण चाबहार बंदरगाह पर तेहरान में भारत-ईरान-अफगानिस्तान ने सोमवार को एक मीटिंग कर समु्द्री मार्ग पर व्यापार के लिए फाइनल रूट तैयार कर किया है। इस मीटिंग में भारतीय सरकार की कंपनी आईपीजीएल (India Ports Global Limited) को बंदरगाह पर कंट्रोल करने के लिए जिम्मेदारी सौंप दी गई। चाबहार की क्षमता को बढ़ावा देने और इसे लोकप्रिय बनाने के लिए अब अगले साल 26 फरवरी 2019 को एक प्रोग्राम की योजना बनी है।
अफगानिस्तान पहुंचने के लिए अब पाकिस्तान की गर्ज खत्म
चाबहार बंदरगाह भारत-अफगानिस्तान ट्रेड के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा। अब तक पाकिस्तान इनकार करता रहा था कि अफगानिस्तान पहुंचने के लिए भारत उनकी जमीन का इस्तेमाल न करे। पाकिस्तान ने कई बार भारत-अफगानिस्तान ट्रेड को बाधित करने की भी कोशिश की। भारत ने अफगानिस्तान के साथ ट्रेड को जारी रखने के लिए एयर रूट भी तैयार किया था, लेकिन इसकी लागत काफी ज्यादा होने की वजह से दिक्कतों का सामना करना पड़ा। हालांकि, अब बिना पाकिस्तान पहुंचे ही इस जलमार्ग के द्वारा भारत आसानी से अफगानिस्तान पहुंच सकेगा।
चाबहार के लिए बहुत खास है भारत
चाबहार बंदरगाह का दूसरा बड़ा फायदा ईरान से अब भारत आसानी के साथ तेल का इंपोर्ट कर सकेगा। ईरान पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने के बावजूद भी अमेरिका ने भारत को उन आठ देशों में रखा है, जो तेहरान सरकार के साथ व्यापार कर सकते हैं। ईरान को पता होना चाहिए कि भारत की वजह चाबहार को रिलीफ मिला है। इस साल इजरायल ने चाबहार पर पाकिस्तान और चीन को न्योता देकर नई दिल्ली को मैसेज देने की कोशिश की थी। हालांकि, चीन और पाकिस्तान जैसे देशों को चाबहार पर आमंत्रित करना ईरान के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है।
रणनीति का अड्डा बनेगा चाबहार
चाबहार न सिर्फ मध्य एशिया के लिए एक व्यापारिक जलमार्ग बना है, बल्कि आने वाले वक्त में नॉर्थ-साउथ इंटरनेशनल कॉरिडोर भी बनेगा। यह रूट रूस और यूरोप के देशों को भी फायदा पहुंचाएगा। भारत ने इस बंदरगाह के लिए 200 अरब डॉलर खर्च किए हैं। रणनीति के हिसाब से चाबहार बहुत खास है, जहां न सिर्फ अफगानिस्तान के लिए व्यापार पर फोकस होगा, बल्कि एक तरफ भारत और दूसरी तरफ ईरान और रूस जैसे सहयोगी देश इसका इस्तेमाल करेंगे।