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रूस के ब्लंडर से भारत को जबरदस्त फायदा, ग्लोबल बॉन्ड इंडेक्स में आना अर्थव्यवस्था के लिए अमृत कैसे?

साल 2020 में इस इंडेक्स में शामिल होने के बाद चीन इसका जबरदस्त फायदा उठा चुका है और अपने इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लिए अरबों डॉलर इस इंडेक्स के जरिए उठा चुका है।

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नई दिल्ली, सितंबर 17: इसी महीने दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बनने के साथ ही इस महीने भारत को एक और बहुत बहुत सफलता हाथ लगी है और भारत को ग्लोबल बॉन्ड इंडेक्स में शामिल करने का फैसला किया गया है, जिसकी वजह से भारत को अरबों डॉलर का फायदा होने वाला है। ग्लोबल बॉन्ड इंडेक्स में रूस को बाहर निकालकर भारत को शामिल किया गया है और एक अनुमान के मुताबिक, इससे भारत को बहुत जल्द 30 अरब डॉलर का फायदा होगा। सबसे खास बात ये है, कि ग्लोबल बॉन्ड इंडेक्स में पहली बार भारत की एंट्री हुई है। ऐसे में आइये समझते हैं, आखिर ग्लोबल बॉन्ड इंडेक्स क्या है और कैसे रूस के ब्लंडर की वजह से भारत को जबरदस्त फायदा होने वाला है?

रूस के ब्लंडर से भारत को फायदा

रूस के ब्लंडर से भारत को फायदा

यूक्रेन युद्ध के अब 6 महीने बीत चुके हैं और अब साफ तौर पर देखा जा सकता है, कि रूस ने यूक्रेन में सेना भेजकर ब्लंडर कर दिया है और यूक्रेन ने अब रूसी सैनिकों को पीछे धकेलना शुरू कर दिया है। रूस लगातार एक के बाद एक क्षेत्रों को हारे जा रहा है और सबसे खास बात ये है,कि लड़ाई में हार मिलने के बाद भी रूस ने अब हथियारों का इस्तेमाल करना काफी कम कर दिया है और युद्ध के मैदान से मिल रही रिपोर्टों के मुताबिक, रूस काफी सोच- समझकर बम-बारूद का इस्तेमाल कर रहा है और ऐसा माना जा रहा है, कि रूस के हथियार भंडार अब खत्म होने वाले हैं और दूसरी तरफ रूस के खिलाफ इतने प्रतिबंध लगा दिए गये हैं, कि उसके लिए पश्चिमी देशों से कोई सामान खरीदना और बेचना लगभग नामुमकिन हो चुका है और रूस को सबसे तगड़ा झटका उस वक्त दिया गया है, जब उसे ग्लोबल बॉन्ड इंडेक्स से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। पुतिन के लिए ये अभी तक का सबसे बड़ा झटका है, लेकिन दोस्त को हुए इस घाटे को दूसरे दोस्त ने ही भुनाया है।

ग्लोबल बॉन्ड इंडेक्स में आएगा भारत

ग्लोबल बॉन्ड इंडेक्स में आएगा भारत

जेपी मॉर्गन गवर्नमेंट बॉन्ड इंडेक्स-इमर्जिंग मार्केट्स (GBI-EM) में भारत को शामिल किया जाएगा और इसका फैसला ले लिया गया है, जिसके बाद भारत के कैपिटल मार्कट को जबरदस्त फायदा होने वाला है। इस महीने जब इसके ऑपरेटर्स इंडेक्स की संरचना की समीक्षा बैठक होगी, तो भारत के नाम की घोषणा की जाएगी। वहीं, मॉर्गन स्टेनली और गोल्डमैन सैक्स को उम्मीद है कि, अगर इस साल ये घोषणा कर दी जाती है, तो भारत को साल 2023 तक 10% वेटेज के साथ सूचकांक में शामिल किया जाएगा।

ग्लोबल बॉन्ड इंडेक्श क्या है?

ग्लोबल बॉन्ड इंडेक्श क्या है?

आपको बता दें कि, ग्लोबल बॉन्ड इंडेक्श वो प्रक्रिया है, जिसके तहत दुनियाभर की सरकारें अंतर्राष्ट्रीय बाजार से देश में पैसे लाने के लिए अपना बॉन्ड जारी करती है। इसे एक तरह का कर्ज कह सकते हैं, कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार से दुनियाभर की सरकारें, जिनमें अमेरिका, जापान, चीन और रूस जैसे कई देश हैं, वो अपना बॉन्ड जारी करती हैं और अंतराष्ट्रीय कंपनियां उस बॉन्ड को खरीदती हैं और बदले में कंपनियों को ब्याज मिलता है। भारत सरकार भी समय समय पर एनआरआई बॉन्ड जारी करती रहती है, जिसके जरिए विदेशों में रहने वाले भारतीय सरकार से बॉन्ड खरीदते हैं, लिहाजा दुनियाभर की सरकारों की कोशिश यही होती है, कि उनके देश के बॉन्ड की जो वैल्यू हो, वो लगातार मजबूत होती रहे और इसके लिए सबसे आसान मगर मुश्किल उपाय ये होता है, कि आप अपने बॉन्ड की लिस्टिंग अमेरिकी इंडेक्स में करा लो और जेपी मॉर्गन गवर्नमेंट बॉन्ड इंडेक्स-इमर्जिंग मार्केट्स वही है, जिसमें भारत को शामिल करने का फैसला लिया गया है।

अमेरिकन बॉन्ड इंडेक्स में आने का फायदा

अमेरिकन बॉन्ड इंडेक्स में आने का फायदा

अमेरिकन बॉन्ड इंडेक्स में अगर लिस्टिंग हो जाती है, तो किसी देश के बॉन्ड को ज्यादा पैसे मिलते हैं और बदले में उसे कम रेट ऑफ इंटरेस्ट चुकाना पड़ता है और अमेरिकन बॉन्ड इंडेक्स में नाम आने के बाद देश की अर्थव्यवस्था में कैश फ्लो लगातार होते रहता है, जिससे देश को काफी फायदा होता है। वहीं, अब यूक्रेन युद्ध के बाद जब अमेरिका और यूरोपीय देशों ने रूस के खिलाफ दर्जनों प्रतिबंध के ऐलान किए और उसे इंटरनेशनल ट्रांजेक्शन सिस्टम से बाहर कर दिया, तो फिर जेपी मॉर्गन गवर्नमेंट बॉन्ड इंडेक्स-इमर्जिंग मार्केट्स ने भी रूस को अपनी लिस्टिंग से बाहर करने का फैसला किया। इसके साथ ही रूस की दूसरी सबसे बड़ी गलती ये थी, कि उसने अमेरिकी निवेशकों को उनके बॉन्ड के बदले पेमेंट करनी बंद कर दी थी, जिससे निवेशकों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है, लिहाजा रूस को बाहर निकाल दिया गया। रूस के बाहर निकलने के बाद जो खाली स्थान बना, तो फिर जेपी मॉर्गन ने सोचा, कि उस खाली जगह पर किस देश को लाया जाए और फिर भारत उनकी सोच में सबसे पहले आया।

भारत के लिए गेम चेजिंग पल

भारत के लिए गेम चेजिंग पल

जेपी मॉर्गन गवर्नमेंट बॉन्ड इंडेक्स-इमर्जिंग मार्केट्स की लिस्ट में शामिल होना भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए गमें चेंजिग मोमेंट है और आने वाले कुछ सालों में इसका असर दिखना शुरू हो जाएगा, क्योंकि इससे अर्थव्यवस्था में ठहरावा आता है और विदेशी मुद्रा भंडार का प्रवाह लगातार बना रहता है। भारत के लिए ये एक गेम चेजिंग मौका क्यों है, इसे ऐसे समझ सकते हैं, कि इस इंडेक्स के जरिए दुनियाभर के बड़े बड़े कारोबारी, जिनमें एलन मस्क, जेफ बेजोस जैसे कारोबारी भी शामिल हैं, जो एक साथ कई अरब डॉलर का बॉन्ड खरीदते हैं, वो भी शामिल हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, जेपी मॉर्गन इंडेक्स ने इन बड़े उद्योगपतियों से अपनी लिस्टिंग में भारत को शामिल करने को लेकर राय मांगी थी और इन उद्योगपतियों ने भारत को शामिल करने पर सहमति दे दी है। इन वैश्विक कारोबारियों की तरफ से कहा गया है, कि अगर कोई देश रूस को इस लिस्ट से रिप्लेस कर सकता है, तो वो देश भारत ही है।

भारत को क्या फायदा होगा?

भारत को क्या फायदा होगा?

भारत जैसे ही एक बार इस अमेरिकी इंडेक्स में शामिल होता है, ठीक वैसे ही अरबों डॉलर का निवेश भारतीय बॉन्ड में होना शुरू हो जाएगा। इसे इस तरह से समझिए, कि अगर भारत सरकार को भविष्य में अपने किसी प्रोजेक्ट के लिए पैसे जमा करने हैं, चाहे वो हथियार खरीदने के लिए हो, या फिर किसी और प्रोजेक्ट के लिए, तो ऐसे में उसे बॉन्ड जारी करते ही अरबों डॉलर हाथ में आ जाएंगे। अमेरिकन इंडेक्श में शामिल होने से भारत सरकार के पास निवेश बढ़ाने से लेकर किसी प्रोजेक्ट के डेलवपमेंट करने के लिए हाथ में दर्जनों ऑप्शन आ जाएंगे, वो भी काफी कम ब्याज दरों पर। आपको बता दें कि, साल 2020 में जेपी मॉर्गन इंडेक्स में चीन को भी शामिल किया गया था और अब रूस को बाहर कर भारत को शामिल किया जाएगा।

चीन को हो रहा है जबरदस्त फायदा

चीन को हो रहा है जबरदस्त फायदा

साल 2020 में इस इंडेक्स में शामिल होने के बाद चीन इसका जबरदस्त फायदा उठा चुका है और अपने इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लिए अरबों डॉलर इस इंडेक्स के जरिए उठा चुका है। हालांकि, भारत के रास्ते में सिर्फ एक समस्या और है और वो ये, कि भारत को यूरोक्लियर में अपने तमाम पुराने कर्ज साफ करने होंगे और भारत को घरेलू निवेशकों द्वारा भुगतान किए जाने वाले पूंजीगत लाभ टैक्स को हटाने या कम करने की आवश्यकता होगी। स्थानीय स्तर पर ऋण का निपटान करना एक आसान समाधान होगा, जिसके बारे में रॉयटर्स ने बताया कि यह सरकार के लिए एक पसंदीदा तरीका हो सकता है। मॉर्गन स्टेनली के अनुसार, इस लिस्ट में शामिल होने के बाद भारत को 30 अरब डॉलर का कैश फ्लो होने की फौरन उम्मीद है, हालांकि इसमें शामिल होने में अलग अलग स्टेप्स मिलाकर कम से कम 10 महीने का वक्त लगेगा। वहीं, बार्कलेज को उम्मीद है कि, अगर भारत को ब्लूमबर्ग ग्लोबल एग्रीगेट बॉन्ड इंडेक्स में जोड़ा जाता है तो भारत में फौरन 8 अरब डॉलर से 20 अरब डॉलर तक का निवेश होगा।

भारतीय बाजार को क्या होंगे फायदे?

भारतीय बाजार को क्या होंगे फायदे?

COVID-19 संकट के दौरान भारत का राजकोषीय घाटा बढ़ गया और सरकार का लक्ष्य मार्च 2023 को समाप्त होने वाले इस वित्तीय वर्ष में इसे पिछले वर्ष के 6.9% से कम करके सकल घरेलू उत्पाद का 6.4% करना है। बजट को वित्तपोषित करने का मतलब ये है, कि सरकार इस वित्तीय वर्ष में रिकॉर्ड 14.31 ट्रिलियन भारतीय रुपये (180.06 बिलियन डॉलर) उधार लेगी और इसमें एक हिस्सा ग्लोबल बॉन्ड इंडेक्स का हो सकता है। वहीं, भारत सरकार बाकी पैसे जुटाने के लिए इंडियन सिक्योरिटीज के विकल्प के साथ भी आगे बढ़ सकती है। वहीं, एमके ग्लोबल की प्रमुख अर्थशास्त्री माधवी अरोड़ा ने रॉयटर्स से कहा कि, इसके अतिरिक्त, भारत का मासिक व्यापार घाटा रिकॉर्ड स्तर के करीब आ रहा है, जिससे डॉलर की आमद के नए रास्ते तलाशने के लिए यह कदम उठाया गया है और यह कदम "वैश्विक पूंजी में दोहन का एक अच्छा और सुरक्षित तरीका है।"

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English summary
India's inclusion in Global Bond Index, know how it is a game changing moment for the Indian economy?
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