भारत अपना 'अधूरा' काम पूरा करेगा! 26/11 की बरसी पर बोले जयशंकर
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक छोटा वीडियो साझा करते हुए कहा कि हम दुनिया भर में आतंकवाद के हर पीड़ित के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त करते हैं।
मुंबई आतंकी हमला (26/11 Mumbai Terrorist attack) को भारत कभी भी भुला नहीं सकता है। 26 नवंबर 2008, एक ऐसा काला दिन था जिसने 166 जिंदगियों को तबाह कर दिया था। 14 साल पहले हुए आतंकी हमले की आज 14वीं बरसी है। हम आज भी इस दिन को याद करके सिहर जाते हैं। आजाद भारत ने इस तरह का आतंकी हमला पहले कभी नहीं देखा था। इस हमले में 18 सुरक्षाकर्मियों सहित 166 लोग मारे गए थे और 300 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। पाकिस्तान से आए लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के आतंकवादियों ने मुंबई में आज के दिन कायरतापूर्ण खूनी खेल को अंजाम दिया था। वहीं, पाकिस्तान अपने नापाक इरादों को छिपाने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को धूल झोंकने का काम करता आ रहा है। विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा '2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के अपराधियों को उनके अंजाम तक पहुंचाने का काम अधूरा है। भारत इस उद्देश्य को कभी नहीं छोड़ेगा।'
जयशंकर ने कहा...
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक छोटा वीडियो साझा करते हुए कहा कि हम दुनिया भर में आतंकवाद के हर पीड़ित के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त करते हैं। जयशंकर ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के जिम्मेदार सदस्यों के रूप में यह हम पर निर्भर है कि हम उनके आघात को याद रखें और आतंकवाद के अपराधियों को न्याय दिलाने के हमारी कोशिशों को मजबूती से रखें।
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भारत आतंकियों के खिलाफ लड़ता रहेगा
विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने जोर देकर कहा कि, "2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के अपराधियों को उनके अंजाम तक पहुंचाने का काम अभी अधूरा है। भारत इस उद्देश्य को कभी नहीं छोड़ेगा और इसमें शामिल सभी अपराधियों को उनके अंजाम तक पहुंचाया जाएगा। भारत को दहलाने वाले पाकिस्तान में बैठे मुख्य लश्कर साजिशकर्ताओं, जैसे कि हाफिज सईद, जकीउर रहमान लखवी, अब्दुल वाजिद, मजहर इकबाल, हमास सादी, शाहिद जमील रियाज, जमील अहमद, यूनिस अंजुम और सज्जाद मीर को योजना बनाने और क्रियान्वित करने का दोषी मानती है। भारत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय और इस्लामाबाद के समक्ष इससे जुड़े कई विश्वसनीय साक्ष्य साझा किए हैं। 2009 में पाकिस्तान ने वैश्विक दबाव में आकर इसकी जांच भी शुरू की थी। हालांकि, पाकिस्तान में इस मामले की सुनवाई एक मजाक बनकर रह गई है।
पाकिस्तान ने जांच को मजाक बनाया
पाकिस्तान भारत में हुए इस बड़े आतंकी हमले की जांच को हल्के में ले रहा है। उसने लश्कर के ऑपरेशनल कमांडर, लश्कर ऑपरेशनल कमांडर, छह अन्य लोगों के साथ 2009 में पांच साल के भीतर उन्हें जमानत दे दी। 2015 में अभियोजन पक्ष द्वारा विश्वसनीय सबूत पेश करने में विफल रहने के कारण उन लोगों को बरी कर दिया गया।
पाकिस्तान कुछ भी नहीं कर रहा...
पाकिस्तान का एक बड़ा ट्रैक रिकॉर्ड रहा है कि वह कभी भी आतंकवाद को रोकने के लिए प्रभावी कदम नहीं उठाया है। खासकर इस्लामाबाद में पल रहे आतंकियों के खिलाफ तो वह कुछ भी कहने से इनकार करता है। पाकिस्तान की कोई भी कार्रवाई बस पेरिस स्थित वित्तीय कार्रवई बल (एफएटीएफ) की ग्रे सूची से बाहर निकालने, अंतरराष्ट्रीय समुदाय से संभावित प्रतिबंधों से बचने के लिए होती है।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय की आंखों में धूल झोंक रहा पाकिस्तान
वैसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने 26/11 के साजिशकर्ताओं को कानूनी शिकंजों में जकड़ने के लिए भारत के आह्वान का समर्थन तो किया लेकिन इसका ज्यादा प्रभाव अब तक नहीं दिख रहा है। पाकिस्तान ने बस दिखावा करने के लिए और अंतररष्ट्रीय समुदाय के सामने खुद के बेहतर साबित करने के लिए बस साजिशकर्ताओं पर सांकेतिक कार्रवाई की। इस दौरान उसने आतंकी लखवी के नेतृत्व वाले सात लश्कर ए तैयबा के गुर्गों पर अस्थायी रूप से आरोप लगाने और उन्हें कैद करने का दिखावटी मुकदमे इस्तेमाल किए। उसकी यह रणनीति यहां पर काम कर गई और उसने 2010 में खुद को एफएटीएफ की ग्रे सूची से हटा लिया। हालांकि, उसकी चालबाजी ज्यादा दिनों तक नहीं चली। इसके केवल दो साल बाद 2012 में मनी लॉन्ड्रिंग और आतंक के वित्तपोषण का मुकाबला करने के लिए पर्याप्त उपाय नहीं करने के कारण पाकिस्तान को ग्रे सूची में डाल दिया गया।
ग्रे सूची से निकलने के लिए नाटक
2018 में पाकिस्तान ने एफएटीएफ की ग्रे सूची से खुद को बाहर करने की पैरवी की थी। इसके लिए फिर से उसे आतंकियों पर कार्रवाई करने के लिए मजबूर होना पड़ा। अक्टूबर 2020 में पाकिस्तान को डीलिस्ट करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को समझाने में विफल रहने के बाद, पाकिस्तानी अधिकारियों को नवंबर 2020 में लश्कर के संस्थापक हाफिज सईद के खिलाफ कुछ कार्रवाई करने के लिए मजबूर होना पड़ा। इसके बाद जनवरी 2021 में एक आतंकी वित्तपोषण मामले में जकीउर रहमान लखवी को दोषी ठहराया गया। दिलचस्प बात यह है जिस लश्कर के संचालन प्रबंधक सज्जाद मीर को पाकिस्तान ने बचाने के लिए मृत घोषित कर दिया था, उसे इस बार अंतरराष्ट्रीय समुदाय के दबाव के आगे झुकना पड़ा और उसे गिरफ्तार करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
पाकिस्तान में पलते हैं आतंकी
इससे पता चलता है कि पाकिस्तान भारत के खिलाफ सक्रिय रूप से आतंकवाद को अंजाम देने वाले समूहों को बचाने और उनका पोषण करके अंतरराष्ट्रीय समुदाय को मूर्ख बनाने में कितनी सफलता हासिल की है। अगर वैश्विक समुदाय चाहे तो पाकिस्तान को 26/11 के आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए बाध्य कर सकता है। एफएटीएफ के उदाहरण से पता चलता है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय मुंबई हमलों के आरोपी आतंकवादियों को भारत को नहीं सौंपने के लिए पाकिस्तान को दंडित कर सकता है या 26/11 के मुकदमे के निष्पक्ष निष्कर्ष के लिए एक संयुक्त न्यायिक जांच में शामिल होने के लिए दबाव डाल सकता है ताकि आतंकियों को उनके अंजाम तक पहुंचाया जा सके।
जयशंकर बोले...
दुर्भाग्य की बात है कि, चीन जैसा शक्तिशाली देश भी आतंकवाद के मसले पर पाकिस्तान के सुर में सुर मिलाता नजर आता है। आतंकवाद के मुद्दे पर भारत के यूएनएससी में आतंकियों को सूचीबद्ध करने के प्रयासों पर चीन हमेशा पानी फेरता रहता है। ऐसा लगता है कि वह आतंकियों के पक्ष में खड़ा होकर पाकिस्तान का साथ दे रहा है। वैश्विक शक्ति बनने की आकांक्षा रखने वाले चीन को यह शोभा नहीं देता कि वह पाकिस्तान तक अपने राजनयिक छत्र का विस्तार करने की आड़ में आतंक की ताकतों का बचाव करे। जयशंकर ने कहा,' मुझे हैरान करता है कि चीनी अफगानिस्तान के माध्यम से अपने अशांत शिनजियांग क्षेत्र में उग्रवाद को हवा देने और उग्रवाद को बढ़ावा देने में पाकिस्तान स्थित समूहों की भूमिका को कैसे भूल सकते हैं।'
26/11 भारतीय इतिहास का काला दिन...
पाकिस्तान से समुद्र के रास्ते आए 10 आतंकियों ने मुंबई की रात काली कर दी थी। आतंकियों ने देश के सबसे सुरक्षित जगहों में से एक ताज महल होटल को निशाना बनाया था। यही वो तारीख थी जब सपनों की नगरी मुंबई में आतंकियों की गोलियों से लोगों की हंसी चीख-पुकार में तब्दील हो गई थी। लोगों को इस बात का इल्म ही नहीं था कि आज की शाम उनके लिए कभी न भुलने वाला दर्द देकर चला जाएगा। मरीन ड्राइव पर लोग समुद्र से आने वाली ठंडी हवाओं का मजा ले रहे थे।
मुंबई में उस रात मौत ने दस्तक दी थी
मुंबई में किसी को भी मालूम नहीं था कि, आहिस्ता-आहिस्ता मौत समुद्री रास्ते से उनकी तरफ बढ़ रही थी। जैसे-जैसे रात गहराती गई लोगों की हंसी चीख पुकार में तब्दिल हो गई। पाकिस्तान के कराची से दस खूंखार आतंकी एक नाव पर सवार होकर मुंबई को दहलाने के लिए निकले थे। समुद्र के रास्ते उन्होंने मुंबई में घुसने का खतरनाक प्लान बनाया था। इस दौरान उन्होंने भारतीय नौसेना की आंखों में धूल झोंक कर एक भारतीय नाव को अपने कब्जे में किया और नाव में सवार सभी लोगों को मार दिया। इसी नाव के जरिए वे रात के करीब 8 बजे मुंबई के कोलाबा के पास मछली बाजार में उतरे।
आतंकियों ने खूनी खेल को अंजाम दिया
कोलाबा से आतंकियों ने अलग 4-4 के समूहों में टैक्सी पकड़ी और खूनी खेल को अंजाम देने के लिए आगे बढ़ गए। आतंकियों का एक ग्रुप रात के साढ़े 9 बजे के करीब छत्रपति शिवाजी टर्मिनल रेलवे स्टेशन पहुंचा। सभी आतंकियों के हाथ में खतरनाक एके-47 राइफलें थीं। यहां उन्होंने लोगों की भीड़ पर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। इन हमलावरों में खूंखार आतंकी अजमल कसाब भी शामिल था। पुलिस ने इस आतंकी को गिरफ्तार कर लिया था। बता दें कि, आतंकी अजमल कसाब को फांसी की सजा दी जा चुकी है।
एनएसजी कमांडोज ने मोर्चा संभाला...
इधर सीएसटी रेलवे स्टेशन पर फायरिंग की घटना के बाद पुलिस मौका-ए-वारदात पर पहुंचती कि उसे खबर मिली कि विले पारले इलाके में भी गोलीबारी हो रही है। आतंकियों ने उस रात मुंबई के प्रमुख इलाकों को टारगेट किया था। आतंकियों ने ताज होटल, ओबेराय ट्राइडेंट होटल और नरीमन हाउस को निशाना बनाया था। बता दें कि, आतंकियों और सुरक्षाबलों के बीच 4 दिनों तक (26-29) मुठभेड़ चलती रही थी। पुलिस और सेना के ऑपरेशन को संभालने के लिए एनएसजी कमांडोज को बुलाया गया। एनएसजी कमांडोज ने 9 आतंकियों को मार गिराया। आतंकी अजमल कसाब को जिंदा पकड़ा गया था। बाद में उसे फांसी दे दी गई।
(Photo Credit: Twitter & PTI)
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