भारत और जापान के बीच हुआ 75 बिलियन डॉलर का करेंसी स्वैप एग्रीमेंट, रुपए को मजबूती देने में मिलेगी मदद
टोक्यो। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपना दो दिवसीय जापान दौरा पूरा करके भारत वापस लौट आए हैं। पीएम मोदी के जापान दौरे पर भारत और जापान के बीच कई समझौते हुए और इन्हीं समझौतों में से एक है दोनों देशों के बीच हुआ करेंसी स्वैप एग्रीमेंट। भारत और जापान के बीच 75 बिलियन डॉलर का करेंसी स्वैप एग्रीमेंट साइन हुआ है। इस एग्रीमेंट का मकसद भारत के विदेशी मुद्रा भंडार को स्थिर करना और रुपए को मजबूती देना है। भारत और जापान के बीच हुए इस समझौते को दोनों देशों के लिए अहम बताया जा रहा है। न सिर्फ भारत बल्कि जापान की मुद्रा को भी इस एग्रीमेंट के जरिए अमेरिकी डॉलर के मुकाबले स्थिर होने में मदद मिलेगी। ब्लूमबर्ग की ओर से इस बारे में जानकारी दी गई है।
क्यों जरूरी है भारत के लिए समझौता
भारत और जापान के बीच हुए इस समझौते के बाद रुपए में मजबूती आने की उम्मीद है जिसमें हाल के कुछ वर्षों में काफी तेजी से गिरावट आई है। वित्त मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि इस एग्रीमेंट के बाद भारत को विदेश मुद्रा निवेश में भी सहायता मिलेगी और इसमें इजाफा होने की उम्मीद है। इसके अलावा भारतीय कंपनियों के लिए भी जारी होने वाले फंड में भी कमी आ सकेगी और विदेशी मुद्रा बाजार पर पकड़ हासिल होने की भी संभावना है। शक्तिकांत दास जो कि 15वें वित्तीय आयोग के सदस्य हैं और पूर्व वित्त सचिव रह चुके हैं, उन्होंने भी इस समझौते को लेकर सकारात्मक असर की उम्मीद जताई है। उन्होंने इस बारे में ट्वीट किया और लिखा, 'करेंसी स्वैप एग्रीमेंट का भारत के वर्तमान वित्तीय घाटे को पूरा करने में एक सकारात्मक असर होगा।'
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अमेरिका में बढ़ती ब्याज दरें बनी चुनौती
भारत और जापान के बीच यह एग्रीमेंट ऐसे समय में हुआ है जब अमेरिका में ब्याज दरों में इजाफा हो रहा है। ब्याज दरों में वृद्धि की वजह से डॉलर को दूसरी मुद्रा के मुकाबले में ताकतवर होने में मदद मिली है लेकिन विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के सामने इसकी वजह से एक बड़ी चुनौती भी पैदा हो गई है। पीएम मोदी ने जिस समय जापान के पीएम शिंजो आबे से मुलाकात की, उसी समय यह एग्रीमेंट साइन हुआ। भारत का कहना है कि पिछली बार दोनों देशों के बीच आखिरी इस तरह का जो समझौता हुआ था, वर्तमान समझौता उससे 50 प्रतिशत ज्यादा कीमत का है।
पिछली बार साल 2013 में हुआ था एग्रीमेंट
दोनों देशों के बीच आखिरी बार साल 2013 में करेंसी स्वैप एग्रीमेंट हुआ था। उस दौरान भी रुपए की हालत काफी चिंताजनक थी। साल 2013 में जो समझौता हुआ था वह 15 बिलियन डॉलर का था। भारत और जापान जल्द ही 2+2 वार्ता का आयोजन भी करेंगे। पीएम मोदी ने भारत और जापान के बीच होने वाली 2+2 वार्ता पर विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच इस तरह की वार्ता का मकसद दुनिया में शांति और स्थिरता को बढ़ावा देना है। भारत और जापान के रक्षा मंत्री इस वार्ता में शामिल होंगे।