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भारत में मानवाधिकार और लोकतंत्र पर पलटा अमेरिका, किस बात से झुका बाइडेन प्रशासन?

बाइडेन प्रशासन ने भारत में मानवाधिकार उल्लंघन को लेकर हमेशा से सवाल उठाए हैं और भारत ने अमेरिकी रिपोर्ट पर हमेशा ये कहते हुए पलटवार किया, कि ये रिपोर्ट कुंठा और दिल में मैल रखकर तैयार किए जाते हैं।

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India-America News: मानवाधिकर उल्लंघन को लेकर भारत को बार बार कटघरे में खड़ा करने वाला अमेरिका अब अपनी बातों से पलट गया है और अमेरिका ने भारत को अलग अलग आस्थाओं का घर बताया है। अमेरिका ने मंगलवार को कहा कि, भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और विविध आस्थाओं का घर है। भारत को लेकर अमेरिका ये बयान उस वक्त आया है, जब अमेरिका ने धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर सऊदी अरब को भी ब्लैक लिस्ट में डाला है और अमेरिका के कुछ संगठनों ने ब्लैक लिस्ट से भारत को बाहर रखने को लेकर बाइडेन प्रशासन की आलोचना की है।

भारत पर पलट गया अमेरिका

भारत पर पलट गया अमेरिका

पत्रकारों को संबोधित करते हुए अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि, "बेशक, भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। यह विश्वासों की एक महान विविधता का घर है। अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर हमारी वार्षिक रिपोर्ट में कुछ चिंताओं को रेखांकित किया गया है, जिन पर हमने ध्यान दिया है और जब भारत की बात आती है तो हम सावधानीपूर्वक निगरानी करते हैं और भारत के अलावा भी हम सभी देशों में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति की सावधानीपूर्वक निगरानी करना जारी रखते हैं और इसमें भारत भी शामिल है।" नेड प्राइस ने कहा कि, "हम भारत सरकार को सभी के लिए धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए अपनी प्रतिबद्धता को बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित करते हैं और प्रोत्साहित करना जारी रखेंगे।"

'भारत से करते रहते हैं बातचीत'

'भारत से करते रहते हैं बातचीत'

अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि, 'हम नियमित तौर पर भारत से बात करते रहते हैं और भारत सरकार को धार्मिक स्वतंत्रत पर अपने किए गये वादों को लेकर भी हमारी बातचीत होती रहती है। दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्र होने के नाते संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत, हम दोनों एक स्थायी परियोजना के लिए भी प्रतिबद्ध हैं।' बाइडेन प्रशासन का भारत में मानवाधिकार को लेकर ये बयान चौंकाने वाला है, क्योंकि बाइडेन प्रशासन ने मानवाधिकार उल्लंघन को लेकर हमेशा से भारत पर सवाल उठाए हैं, जिसका भारत की तरह से कड़ा जवाब भी दिया गया है। वहीं, बाइडेन प्रशासन का ये बयान 1998 के अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के तहत नामित देशों के नाम जारी करने के बाद आया है, जिसमें सऊदी अरब के साथ साथ चीन और पाकिस्तान को भी रखा गया है, लेकिन भारत को लिस्ट से बाहर रखा गया है।

लिस्ट में कौन-कौन देश शामिल?

लिस्ट में कौन-कौन देश शामिल?

अमेरिकी विदेश मंत्रालय द्वारा जारी बयान के मुताबिक, अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने एक बयान में कहा है कि, "आखिरकार, मैं अल-शबाब, बोको हराम, हयात तहरीर अल-शाम, हौथि, आईएसआईएस-ग्रेटर सहारा, आईएसआईएस-पश्चिम अफ्रीका, जमात नुसरत अल को नामित कर रहा हूं। इस्लाम वाल-मुस्लिमिन, तालिबान, और वैगनर समूह, जो मध्य अफ्रीकी गणराज्य में सक्रिय हैं, वो विशेष चिंता वाली लिस्ट में शामिल हैं।" अमेरिकी विदेश मंत्री ने ये भी कहा कि, क्यूबा और निकारागुआ को "विशेष चिंता" वाले देशों की सूची में जोड़ा गया है और चीन, रूस, ईरान, बर्मा, इरिट्रिया, उत्तर कोरिया और पाकिस्तान इस सूची में बने हुए हैं"। अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा कि, "मैं अल्जीरिया, कोमोरोस और वियतनाम को भी धार्मिक स्वतंत्रता के गंभीर उल्लंघनों में शामिल होने या सहन करने के लिए विशेष निगरानी सूची में डाल रहा हूं"।

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English summary
India-US: America has taken a U-turn on the question of human rights and democracy in India.
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