अमेरिका पर बुरी तरह बरसे इमरान खान, अफगानिस्तान में बर्बादी का ठहराया जिम्मेदार, बोले- सरकार में होगा तालिबान
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री PBS NewsHour में कहा कि ''अफगानिस्तान में अमेरिका ने ही बर्बादी फैलाई है''। उन्होंने अमेरिका की मंशा पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
इस्लामाबाद/वॉशिंगटन, जुलाई 28: पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने अफगानिस्तान के मुद्दे पर अमेरिका को जमकर भला-बुरा कहा है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने बेहद सख्त अल्फाजों का इस्तेमाल करते हुए कहा है कि आज अफगानिस्तान को बर्बाद करने में सबसे बड़ा हाथ है और अमेरिका ने ही अफगानिस्तान की स्थिति को इतना खराब कर दिया है। इमरान खान ने कहा कि अफगानिस्तान में सैन्य कार्रवाई की कोई जरूरत नहीं थी, लेकिन अमेरिका ने सैन्य कार्रवाई को अंजाम देते हुए अफगास्तान में काफी गड़बड़ मचा दिया।
अमेरिका पर बरसे इमरान
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री PBS NewsHour में कहा कि ''अफगानिस्तान में अमेरिका ने ही बर्बादी फैलाई है''। उन्होंने अमेरिका की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि अमेरिका का अफगानिस्तान पर हमला करना पहली गलती थी और फिर तालिबान के साथ मिलकर अफगानिस्तान में राजनीतिक समाधान खोजना, वो भी तब जब अफगान सरकार की स्थिति कमजोर थी, वो सबसे बड़ी गलती थी। प्रधानमंत्री इमरान खान की ये टिप्पणी उस वक्त आई है जब अमेरिकी सेना और सहयोगी नाटो की सेना अफगानिस्तान से निकलने के आखिरी चरण में है। 31 अगस्त तक अमेरिकी सेना पूरी तरह से अफगानिस्तान से बाहर निकल जाएगी, वहीं तालिबान लगातार अफगानिस्तान में काफी तेज गति से अपने पैर पसार रहा है।
अमेरिका पर इमरान को आया गुस्सा
इमरान खान ने अमेरिकन न्यूज प्रोग्राम शो पीबीएस न्यूज ऑवर में बोलते हुए कहा कि ''मेरा मानना है कि अमेरिका ने ही सब खराब किया है''। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने अमेरिका की जमकर आलोचना करते हुए कहा कि ''अमेरिका ने अफगानिस्तान में उस वक्त सैन्य समाधान खोजने की कोशिश की, जब उसकी कोई जरूरत नहीं थी''। उन्होंने कहा कि ''और मेरे जैसे लोग, जो अफगानिस्तान के इतिहास को जानते हैं, वो हमेशा से कहते आए हैं कि अफगानिस्तान में सैनिक कार्रवाई कोई समधान नहीं है, लेकिन मेरे जैसे लोगों को 'अमेरिका विरोधी' कहा जाता है और मुझे ''तालिबान खान'' कहा जाता है।
तालिबान का किया समर्थन
इमरान खान ने अमेरिका पर अफसोस जताते हुए कहा कि ''जब तक अमेरिका ने महसूस किया कि अफगानिस्तान मुद्दे का कोई सैन्य समाधान नहीं हो सकता है, दुर्भाग्य से अमेरिकियों या नाटो की सौदेबाजी की स्थिति काफी कमजोर हो चुकी थी''। इमरान खान ने कहा कि ''अमेरिका को बहुत पहले राजनीतिक समझौते का विकल्प चुनना चाहिए था, जब उसके और नाटो के अफगानिस्तान में 150,000 सैनिक थे। लेकिन एक बार जब उन्होंने सैनिकों की संख्या घटाकर मुश्किल से 10 हजार से भी कम कर दिया है और फिर जब उन्होंने अफगानिस्तान से बाहर निकलने की तारीख दे दी है, तो तालिबान ने सोचा कि वे जीत गए हैं। और इसलिए अब उनके लिए समझौता करना बहुत मुश्किल था"। जब प्रोग्राम के होस्ट ने इमरान खान से पूछा कि क्या आपको लगता है कि तालिबान का एक बार फिर से उभरना अफगानिस्तान के लिए सकारात्मक होगा, तो इमरान खान ने कहा कि ''एकमात्र सकारात्मक परिणाम राजनीतिक समझौता होगा, जो सबके लिए अच्छा होगा और निश्चित तौर पर तालिबान उस सरकार का हिस्सा होगा''
अफगानिस्तान में गृह युद्ध
इमरान खान ने प्रोग्राम के दौरान अफगानिस्तान में गृहयुद्ध की आशंका जताते हुए कहा कि ''अफगानिस्तान की स्थिति अगर सबसे ज्यादा खराब होती है, तो फिर देश में गृहयुद्ध हो जाएगा और पाकिस्तान के लिहाज से ये सबसे खराब स्थिति होगी, क्योंकि तब हम दो स्थितियों में फंस जाएंगे। सबसे बड़ी स्थिति होगी शरणार्थियों की समस्या।'' इमरान खान ने कहा कि ''पहले से ही पाकिस्तान 30 लाख से ज्यादा अफगान शरणार्थियों की शरण दे रहा है और हमें जिस बात का डर है, वह यह है कि ये एक लंबा गृहयुद्ध चलेगा और काफी ज्यादा शरणार्थी पाकिस्तान में आएंगे और हमारी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि हम उतने शरणार्थियों को देश में रख सकें''। इमरान खान ने कहा कि ''दूसरी बड़ी समस्या पाकिस्तान के लिए ये है कि अफगानिस्तान गृहयुद्ध की वजह से पाकिस्तान में अशांति की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी।'' इमरान खान ने कहा कि तालिबान का जाति पश्तून है और पाकिस्तान में काफी पश्तून रहते हैं और हमें डर है कि अफगान गृहयुद्ध में पाकिस्तानी पश्तून शामिल हो जाएंगे, लिहाजा पाकिस्तान की स्थिति भी खराब होने की आशंका है''।
''पाकिस्तान को दोषी ठहराना पूरी तरह गलत''
प्रोग्राम के दौरान जब होस्ट ने इमरान खान से पूछा कि क्या तालिबान को पाकिस्तान खुफिया तौर पर सैन्य और आर्थिक मदद नहीं पहुंचा रहा है, तो इमरान खान ने इन आरोपों को निराधार बता दिया। इमरान खान ने कहा कि ''अफगानिस्तान में अमेरिकी युद्ध में करीब 70 हजार पाकिस्तानी मारे गये हैं, वो भी तब जब इस लड़ाई से पाकिस्तान का कोई लेना-देना नहीं था और न्यूयॉर्क हमले से भी पाकिस्तान का कोई लेना-देना नहीं था।'' इमरान खान ने कहा कि ''उस समय अफगानिस्तान में अलकायदा था और उस वक्त पाकिस्तान में तालिबान का कोई आतंकी नहीं था और वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए हमले में कोई पाकिस्तानी शामिल नहीं था लेकिन फिर भी अफगानिस्तान की लड़ाई में पाकिस्तान को 150 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है।''
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