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'पाकिस्तान के तीन टुकड़े हो जाएंगे', कह कर इमरान ख़ान ने ख़तरनाक रास्ता चुना?

पाकिस्तान के मीडिया रेगुलेटरी अथॉरिटी ने एक अधिसूचना जारी करके इमरान ख़ान पर आरोप लगाया है कि एक इंटरव्यू में उन्होंने देश की सुरक्षा, संप्रभुता और स्वतंत्रता के लिए ख़तरनाक बातें कही हैं.

By BBC News हिन्दी
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इमरान ख़ान
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इमरान ख़ान

पाकिस्तान के मीडिया रेगुलेटरी अथॉरिटी (पीएमआरए) ने एक प्राइवेट टीवी चैनल पर पूर्व प्रधानमंत्री और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ (पीटीआई) के नेता इमरान ख़ान के एक इंटरव्यू के कुछ हिस्सों को दोबारा प्रसारित करने पर प्रतिबंध लगा दिया है.

पीएमआरए की तरफ़ से जारी नोटिफ़िकेशन में कहा गया है कि इमरान ख़ान ने अपने इंटरव्यू के दौरान कुछ ऐसी बातें कही थीं, जो देश की सुरक्षा, संप्रभुता, स्वतंत्रता और विचारधारा के लिए गंभीर ख़तरा हैं.

इस नोटिफ़िकेशन में आगे कहा गया है कि इमरान ख़ान के इस इंटरव्यू से देश में नफ़रत पैदा हो सकती है और उनका बयान शांति व्यवस्था बनाए रखने में रुकावट की वजह बन सकता है.

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने अपने इस इंटरव्यू में कहा था कि अगर इस्टैब्लिशमेंट ने 'सही निर्णय' नहीं लिया, तो सेना तबाह हो जाएगी और "पाकिस्तान के तीन टुकड़े हो जाएंगे."

पीएमआरए के नोटिफ़िकेशन में यह भी कहा गया है कि इमरान ख़ान ने संविधान के अनुच्छेद 19 में दिए गए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन किया है और ये पीएमआरए के क़ानूनों के भी ख़िलाफ़ है.

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने अपने इंटरव्यू में कहा था कि अगर इस्टैब्लिशमेंट ने "सही निर्णय" नहीं लिया, तो सेना तबाह हो जाएगी और "पाकिस्तान के तीन टुकड़े हो जायेंगे."

ये बातें उन्होंने निजी टीवी चैनल 'बोल' के एंकर समी इब्राहिम से बातचीत के दौरान कही.

इमरान ख़ान
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इमरान ख़ान

इमरान ख़ान ने अपने इंटरव्यू में क्या कहा?

इस शो के दौरान, इमरान ख़ान से पूछा गया कि अगर देश की इस्टैब्लिशमेंट ने उनका साथ नहीं दिया तो उनकी आगे की रणनीति क्या होगी.

इसके जवाब में उन्होंने कहा, "यह असल में पाकिस्तान की समस्या है, इस्टैब्लिशमेंट की समस्या है. अगर इस्टैब्लिशमेंट सही निर्णय नहीं लेती है, तो ये भी तबाह होंगे. सेना सबसे पहले तबाह होगी."

उन्होंने कहा, "अगर हम डिफ़ॉल्ट कर जाते हैं, तो सबसे बड़ी संस्था कौन सी है जो प्रभावित होगी, पाकिस्तान सेना."

इमरान ख़ान के इस बयान पर उनके राजनीतिक विरोधियों के अलावा बड़ी संख्या में सोशल मीडिया यूज़र्स ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है.

जहां पीटीआई अध्यक्ष के समर्थक उनसे सहमत हैं, वहीं कुछ लोगों का मानना है कि उन्हें "ऐसी बातों से बचना चाहिए था."

इस इंटरव्यू का बचाव करते हुए, पूर्व सूचना मंत्री फ़वाद चौधरी ने अपने एक ट्विट में कहा कि "इमरान ख़ान ने आर्थिक तबाही की स्थिति में पाकिस्तान के सामने आने वाले ख़तरों की ओर इशारा किया है."

'हम ब्लैकमेल हुए, पॉवर पूरी तरह से हमारे पास नहीं थी'

समी इब्राहिम के साथ इंटरव्यू की शुरुआत में, इमरान ख़ान ने लॉन्ग मार्च के दौरान अपने कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी की निंदा की और कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद, "हम संतुष्ट थे, हमने सोचा कि हम आसानी से निकल जाएंगे. लेकिन अब हमें सोचना होगा कि हमारा मुक़ाबला माफिया से है."

उनसे पूछा गया कि जब वे प्रधानमंत्री थे, तो अविश्वास प्रस्ताव की रात संसद के बाहर क़ैदियों की वैन खड़ी की गई थी और "वह कौन था?"

उनका जवाब था, कि "अगर फिर से वैसी ही सरकार मिलनी होती, तो इसे कभी स्वीकार नहीं करता. यह एक गठबंधन सरकार थी, जो लोग हमसे जुड़े हम उन्हें जानते नहीं थे. हम बहुत कमज़ोर थे. अगर अब ऐसा होगा तो दोबारा चुनाव कराके बहुमत हासिल करना चाहूंगा."

इमरान ख़ान ने कहा, "हमारे हाथ बंधे हुए थे. हम हर तरफ़ से पकड़े गए. यानी (हमें) हर जगह से ब्लैकमेल किया गया. पॉवर पूरी तरह से हमारे पास नहीं थी... पाकिस्तान में हर कोई जानता है कि पॉवर कहां है."

"इसलिए हमें उन पर निर्भर रहना पड़ा. हर समय उन्हीं पर निर्भर रहते थे. उन्होंने कुछ अच्छे काम भी किए. लेकिन कई चीज़ें जो होनी चाहिए थीं वो नहीं की. उनके पास पॉवर तो है. क्योंकि वे एनएबी (नेशनल एकाउंटेबिलिटी ब्यूरो) जैसे संस्थानों को नियंत्रित करते हैं. एनएबी हमारे कंट्रोल में नहीं है, एनएबी स्वतंत्र है, न्यायपालिका स्वतंत्र है."

"देश की जिम्मेदारी मेरी है. लेकिन पॉवर पूरी नहीं हैं... जिम्मेदारियां और पॉवर हमेशा एक ही जगह पर होते हैं, तभी एक सिस्टम काम करता है."

इस इंटरव्यू में इमरान ख़ान ने अपने कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए कहा कि हमारी लड़ाई माफिया से थी.
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इस इंटरव्यू में इमरान ख़ान ने अपने कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए कहा कि हमारी लड़ाई माफिया से थी.

पाकिस्तान के तीन टुकड़े होंगे

जब एंकर ने उनसे पूछा कि अगर इस्टैब्लिशमेंट ने उनका साथ नहीं दिया और उनके ख़िलाफ़ रहे, तो क्या उन्हें लगता है कि वह सरकार में नहीं आ पाएंगे और उनकी आगे की रणनीति क्या है?

इमरान ख़ान ने जवाब दिया, "अल्लाह मुझे दुनिया में सब कुछ दे चुका है, साढ़े तीन साल प्रधानमंत्री पद पर भी रहा. यह वास्तव में पाकिस्तान की समस्या है, इस्टैब्लिशमेंट की समस्या है. अगर इस्टैब्लिशमेंट इस समय सही निर्णय नहीं लेगी, तो मैं आपको लिखकर देता हूँ कि ये भी बर्बाद होंगे, सेना सबसे पहले बर्बाद होगी."

उन्होंने कहा, "मैं आपको लाइन से बता देता हूँ. ये जबसे आये हैं रुपया गिर रहा है, शेयर बाज़ार, चीज़ें महंगी हो गई हैं. पाकिस्तान डिफॉल्ट की तरफ़ जा रहा है. अगर हम डिफ़ॉल्टर हो जाते हैं, तो सबसे बड़ी संस्था कौनसी है जो प्रभावित होगी, पाकिस्तान सेना."

"जब सेना कमज़ोर पड़ेगी तो उसके बाद हमारे सामने क्या शर्त रखी जाएगी, जो उन्होंने यूक्रेन के सामने रखी थी कि डी-न्यूक्लियराइज़ करें (यानी परमाणु हथियारों को ख़त्म कर दें). ये अकेला इस्लामिक देश है जिसके पास परमाणु हथियार हैं. जब वो चला जाएगा तो फिर क्या होगा? मैं आज आपको बताता हूं कि पाकिस्तान के तीन टुकड़े होंगे."

उन्होंने कहा, "अगर इस समय सही फ़ैसले नहीं किए गए तो देश आत्महत्या की ओर बढ़ रहा है. मैं इसीलिए ज़ोर लगा रहा हूं."

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ख़तरनाक राह पर निकल पड़े हैंइमरान?

क्या इमरान ख़ान 'ख़तरनाक रास्ते' पर चल पड़े हैं, उन्होंने कोई 'फुल टॉस' फेंक दिया है या उनकी बात का ग़लत मतलब निकाला जा रहा है? यहां भी लोगों की राय बंटी हुई नज़र आती है.

इमरान ख़ान के राजनीतिक विरोधी जहां उनके इस बयान की निंदा कर रहे हैं, वहीं उनके समर्थक इसपर सफाई देते नज़र आ रहे हैं.

पूर्व राष्ट्रपति आसिफ़ अली ज़रदारी ने कहा, "कोई भी पाकिस्तानी इस देश के टुकड़े करने की बात नहीं कर सकता. यह भाषा किसी पाकिस्तानी की नहीं, बल्कि मोदी की है. इमरान ख़ान दुनिया में सत्ता ही सब कुछ नहीं होता, बहादुर बनो और अब अपने पैरों पर खड़े होकर राजनीति करना सीख लो."

"इस देश के तीन टुकड़े करने की इच्छा हमारे और हमारी नस्लों के ज़िंदा रहते पूरी नहीं हो सकती."

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उधर, डिजिटल मीडिया पर पूर्व प्रधानमंत्री के सलाहकार अरसलान ख़ालिद कहते हैं, "जिस किसी ने भी आज इमरान ख़ान का बयान सुने बिना किसी की इच्छा पर नीच दर्जे का पाकिस्तान विरोधी विश्लेषण दिया है, वो सब पत्रकारिता का अपमान कर रहा है. वे आर्डर पर झूठ बोलते हैं. उनकी न कोई प्रतिष्ठा है और न ही कोई अब उन्हें गंभीरता से लेता है. उनके माध्यम से नैरेटिव बनाने के चक्कर में आप बेनकाब होंगे."

हालांकि मज़हर अब्बास का मानना है कि इमरान ख़ान ख़तरनाक रास्ते पर चल पड़े हैं. उन्होंने कहा था कि अगर उन्हें हटाया गया तो वे और भी ज़्यादा ख़तरनाक होंगे.

पत्रकार अजमल जामी ने आम लोगों से अपील की है, "अपने किसी भी राजनीतिक नेता को संत या पैग़म्बर का दर्जा न दें."

वो आगे कहते हैं कि "अंधी नफ़रत और भक्ति में डूबे पीड़ितों से गुज़ारिश है कि नेता समाज को जोड़ते हैं तोड़ते नहीं हैं, ज़ख्मों पर मरहम लगाते हैं, नमक नहीं छिड़कते. एक पूर्व प्रधानमंत्री को चेतावनी के अंदाज़ में इस तरह की बातचीत से बचना चाहिए था."

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दूसरी ओर, पूर्व मंत्री ज़रताज गुल इस बात से सहमत नहीं हैं कि इमरान ख़ान किसी ख़तरनाक रास्ते पर निकल पड़े हैं. इसके विपरीत, उन्हें लगता है कि उनकी बातों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया जा रहा है.

ज़रताज गुल कहते हैं, "मुस्लिम लीग (नवाज़) की ओर झुकाव रखने वाले पत्रकार और एंकर ख़ुद को तबाह करने वाले तरीके अपना रहे हैं. वे इस मज़बूत तथ्य के ख़िलाफ़ हैं कि देश पूरी तरह से इमरान ख़ान का समर्थन करता है."

सोशल मीडिया यूज़र असमा ने कहा कि "ख़तरनाक रास्ते पर इमरान ख़ान नहीं, बल्कि पाकिस्तान इस वक्त ख़तरनाक रास्ते पर है."

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इमरान ख़ान की बातों का असल मतलब क्या था, ये तो वो ही बेहतर तरीक़े से बता सकते हैं. लेकिन सदानंद धूमे का कहना है कि यह तो वही बात है, कि "मुझे घर की चाबी दे दो नहीं तो मैं पूरे घर को जला दूंगा."

उन्होंने कहा, कि "मैं ये बात समझ सकता हूं कि तीन टुकड़े कहा गया था, चार या पांच नहीं."

लेकिन उनके इस विश्लेषण पर ये बहस भी हुई, कि क्या तीन टुकड़ों का मतलब पूरी तरह से तबाही है या वास्तव में 'तीन टुकड़ों' का इसमें कोई मतलब है.

अनाया ख़ान नाम के एक यूज़र ने कहा कि इससे साबित होता है कि "यह व्यक्ति राष्ट्रहित के बारे में नहीं सोचता. वह केवल अपने बारे में सोचते हैं."

लेकिन ट्विटर पर पीटीआई समर्थक सारा बरकत का कहना है कि इमरान ख़ान सही भविष्यवाणी कर रहे हैं. "ये सच है कि इमरान ख़ान के बिना पाकिस्तान के तीन टुकड़े हो जाएंगे."

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याद रहे कि 10 अप्रैल को पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव सफल होने के बाद प्रधानमंत्री इमरान ख़ान सत्ता से बाहर हो गए थे.

इमरान ख़ान ने दावा किया था कि उन्हें सत्ता से बाहर निकालने के लिए अमेरिका के नेतृत्व में साजिश रची गई थी. उन्होंने किसी भी नई सरकार को स्वीकार करने से भी इनकार किया था.

सत्ता से बहार होने के बाद इमरान ख़ान ने सार्वजनिक भाषणों में बार-बार दावा किया था कि वह 20 लाख पीटीआई कार्यकर्ताओं को इस्लामाबाद लाएंगे और तब तक वहीं रहेंगे जब तक चुनाव की तारीख़ों की घोषणा नहीं की जाती.

उन्होंने 25 मई को देशव्यापी लॉन्ग मार्च करने की घोषणा की थी और "पूरे देश" से 25 मई को देश की राजधानी इस्लामाबाद पहुंचने का आह्वान किया था.

इस मौक़े पर इमरान ख़ान ने नौकरशाही और पुलिस को संबोधित करते हुए कहा था, कि अगर उन्होंने इस "शांतिपूर्ण विरोध" के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई की तो यह ग़ैरक़ानूनी होगा. उन्होंने सेना को भी संबोधित करते हुए कहा, कि "अगर आप तटस्थ हैं, तो इसमें भी तटस्थ रहें."

लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ (पीटीआई) के अध्यक्ष इमरान ख़ान ने पिछले महीने 25 मई का विरोध इस घोषणा के साथ समाप्त कर दिया था, कि वह "अगले छह दिनों में दोबारा लॉन्ग मार्च करेंगे."

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English summary
Imran Khan's Break Pakistan Into 3 Pieces
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