न्यूयॉर्क: स्तन कैंसर से जूझ रही और कर्ज में डूबी भारतीय महिला के लिए 'ह्यूमन्स ऑफ न्यूयॉर्क' ने जुटाए पैसे
न्यूयॉर्क में रह रही एक भारतीय महिला की एक संस्था ने ऑनलाइन फंड जुटाकर मदद की है। महिला अपने पति की मौत के बाद भार कर्ज में डूबी हुई थी और स्तन कैंसर से जूझ रही थी।
नई दिल्ली, 26 जुलाई। न्यूयॉर्क में रह रही एक भारतीय महिला की एक संस्था ने ऑनलाइन फंड जुटाकर मदद की है। महिला अपने पति की मौत के बाद भार कर्ज में डूबी हुई थी और स्तन कैंसर से जूझ रही थी। महिला को जितने पैसों की जरूरत थी, संस्था ने उससे अधिक पैसे मात्र तीन दिनों में जुटाने में सफलता हासिल की है। महिला (सरोज) ने 'ह्यूमन्स ऑफ न्यूयॉर्क' को दिए एक साक्षात्कार में अपने पति की मौत के बाद हालात बद से बदतर होने, कर्ज में डूने और खराब स्वास्थ्य से जूझने के बारे में बताया था। सरोज और गोयल की शादी को 40 साल से अधिक हो गए थे, लेकिन 2 साल पहले गोयल की मृत्यु के बाद, न्यूयॉर्क में जिस कपड़े की दुकान को चलाते थे वह भारी कर्ज में डूब गया था।
पति की मौत के बाद पहली बार पहनी साड़ी
इंटरव्यू के दौरान सरोज ने कहा कि पति की मौत के बाद शायद ही उन्होंने कभी कपड़े पहने हों। उन्होंने कहा कि मैंने केवल इंटरव्यू के लिए साड़ी पहनी है और लिपिस्टिक लगाई है। क्योंकि अब मुझसे कोई तैयार होने के लिए नहीं कहता। सरोज कहती हैं कि उनके पति हमेशा से ही उन्हें अच्छी तरह से ड्रेस अप देखना चाहते थे। वे चाहते थे कि मैं हमेशा रानी जैसी दिखूं। जब भी हम किसी पार्टी में जाते वे मुझसे मेरी सबसे खुबसूरत साड़ी पहनने के लिए कहते थे। और कहते थे कि कुछ गहने भी पहन लेना। और मैं हमेशा उनसे कहती- 'ओह गोयल, प्लीज शट अप।'
सरोज कहती हैं कि हम दोनों पिछले 40 सालों से एक कपड़े की दुकान चला रहे थे और सारे वक्त मैं उनकी मदद करती थी। सरोज कहती हैं कि उनके पति बड़े मजाकिया था। एक मिनट में कम कम सौ चुटकुले सुना दिया करते थे। शादी पार्टियों में लोग उनसे हमशा जोक्स सुनाने की डिमांड करते थे।
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सरोज कहती हैं कि जब वह अस्पताल में भर्ती थे उस दौरान भी वह चाहते थे कि मैं बढ़िया तरीके से तैयार होऊं। वह काफी लंबे समय तक बीमारी से लड़े। सरोज कहती हैं कि मैं उन्हें अपनी एक किडनी डोनेट करना चाहती थी, लेकिन वो मैच नहीं हो सकी।
मैं
मरना
नहीं
चाहता
सरोज
सरोज
कहती
है
कि
अपने
आखिरी
समय
में
उन्होंने
मुझसे
कहा
कि
मैं
मरना
नहीं
चाहता
सरोज।
नहीं
मरना
चाहता।
लेकिन
आखिरी
दिन
उन्होंने
कहा,
सरोज
भगवान
मुझे
लेने
आ
रहे
हैं।
सरोज की मदद को उठे हजारों हाथ
सरोज के दोनों बच्चे उनसे दूर रहते हैं और सरोज इस समय स्तन कैंसर से जूझ रही हैं। 'ह्यूमंस फॉर न्यूयॉर्क' ने जैसे ही इस स्टोरी को प्रकाशित किया। सरोज की मदद करने वालों की बाढ़ सी आ गई। संस्था फंडिंग के माध्यम से 4,92000 डॉलर जुटाने में कामयाब रही, जबकि सरोज को केवल 130,000 डॉलर की ही जरूरत थी। सरोज की स्टोरी को सामने लाकर इस फंट को जुटाने में सबसे अहम रोल मिस्टर ब्रैंडन स्टैंटन का रहा, जो ह्यूमंस ऑफ न्यूयॉर्क से जुड़े हुए हैं।
यह स्टोरी ह्यूमन्स ऑफ न्यूयॉर्क के फेसबुक पेज से ली गई है, जिसका हिंदी में अनुवाद किया गया है।
फोटो साभार- ह्यूमन्स ऑफ न्यूयॉर्क ऑफीसियल फेसबुक पेज