जापान से लेकर US, फिनलैंड से लेकर फ्रांस तक... इस सेक्टर में भारत पर पर कैसे निर्भर हुई दुनिया?
कोविड महामारी आने के साथ ही भारत तेजी के साथ वर्क फ्रॉम होम में परिवर्तन करने में कामयाब हो गया, लिहाजा, सॉफ्टवेयर कंपनियों के लिए भारत एक पसंदीदा ठिकाना और महत्वपूर्ण भागीदार बन गया।
नई दिल्ली, जुलाई 17: कोविड महामारी के दौर में ये हमारे अस्तित्व का सवाल बन गया था और महामारी के बाद रूस यूक्रेन संघर्ष ने लगभग सभी व्यवसायों को प्रासंगिक बने रहने के लिए टेक्नोलॉजी का सर्विस लेने वाली प्रणालियों को जल्द से जल्द अपनाने के लिए मजबूर कर दिया और जैसे-जैसे दुनिया डिजिटल होने की दिशा में बढ़ती गई और डिजिटल कल्चर जिस तरह से दुनिया के लिए न्यू नॉर्मल होता जा रहा है, टेक्नोलॉजी सर्विस सेक्टर पर दुनिया के करीब करीब हर देशों की निर्भरता भारत पर बढ़ती जा रही है। हालांकि, कोविड महामारी ने कई क्षेत्रों को गंभीर तौर पर प्रभावित किया था, लेकिन वो उतनी ही तेजी के साथ टेक्नोलॉजी सर्विस सेक्टर पर निर्भर होते गये।
टेक्नोलॉजी सर्विस सेक्टर का बादशाह बनता भारत
पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (पीएचडीसीसीआई) के अध्यक्ष प्रदीप मुल्तानी कहते हैं, कि "सर्विस एक्सपोर्ट कुल निर्यात का 40% है और व्यापारिक निर्यात की तुलना में ये काफी हाई रेट से बढ़ा है। कोविड-19 महामारी के दौरान सेवा निर्यात थोड़ा प्रभावित हुआ, लेकिन इस गिरावट को डिजिटलीकरण और काम करने के हाइब्रिड तरीकों से बढ़ाया गया।" भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2021-22 में देश के सर्विस सेक्टर का एक्सपोर्ट 254.5 अरब डॉलर तक पहुंच गया है और वित्तवर्ष 2020-21 के मुकाबले इसमें 23.4% की वृद्धि दर्ज की गई है। 2020-21 में ये 206.09 अरब डॉलर था।
आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि मार्च 2022 में, सर्विस एक्सपोर्ट 26.9 अरब डॉलर के मासिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था और इस डेलवपमेंट का नेतृत्व सॉफ्टवेयर सेक्टर, आईटी / आईटीईएस एक्सपोर्ट एंड मैनेजमेंट और प्रबंधन परामर्श सेवाओं द्वारा किया गया था। अकेले सॉफ्टवेयर सर्विस का एक्सपोर्ट साल 2020-21 में 2.1% (y-o-y) उछलकर 148.3 अरब डॉलर हो गया है।
वहीं,
आर्थिक
सर्वेक्षण
2021-22
के
अनुसार,
सर्विस
ट्रेड
में
आईटी-बीपीएम
सेगमेंट
का
प्रमुख
योगदान
था।
नैसकॉम
के
प्रोविजनल
अनुमान
कहते
हैं
कि,
आईटी-बीपीएम
राजस्व
(ई-कॉमर्स
को
छोड़कर)
2020-21
में
194
अरब
डॉलर
तक
पहुंच
गया
है
,
जो
पिछले
वित्तवर्ष
के
मुकाबले
2.26%
ज्यादा
है।
भारत का बढ़ता हुआ सेक्टर
ये आंकड़े भारत की अर्थव्यवस्था को बढ़ते रास्ते पर रखने में सॉफ्टवेयर उद्योग की भूमिका को उजागर करते हैं। यहां तक कि, जब दुनिया के ज्यादातर देश लॉकडाउन की वजह से बंद कर दिए गये थे और मैन्यूफैक्चरिंग प्रोसेस ठप हो गईं थी, तब भी सर्विस सेक्टर मुस्कुरा रहा था। सरकार के अनुमानों के अनुसार, वित्त वर्ष 2019-20 में भारत के 200-250 बिलियन डॉलर के वैश्विक सेवाओं के सोर्सिंग व्यवसाय में 55% बाजार हिस्सेदारी होने का अनुमान है और भारत सर्विस सेक्टर के लिए दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण गंतव्य स्थान बन गया है। मुल्तानी कहते हैं, कि "डिजिटल युग में, आईसीटी (सूचना और संचार प्रौद्योगिकी) सेवाओं के लिए एक महत्वपूर्ण बूस्टर बन गया है। ये सेगमेंट भारत के लिए निर्यात वृद्धि के नए अवसरों के द्वार खोल सकते हैं।"
कोविड महामारी ने प्रोसेस को बढ़ाया
कोविड महामारी के बाद की दुनिया का ये एक नया सच है, जहां ई-सेवाएं आम होती जा रही हैं। हालांकि, कई उद्योगों ने ई-सेवाओं की तरफ कदम बढ़ाते हुए डिजिटल परिवर्तन की तरफ तीन से चार साल पहले ही ध्यान देना शुरू कर दिया था, लेकिन कोविड महामारी ने इस प्रोसेस को कई गुना बढ़ा दिया। भारत में शीर्ष तकनीकी वकालत संघ नैसकॉम की वरिष्ठ वीपी और मुख्य रणनीति अधिकारी संगीता गुप्ता ने इकोनॉमिक टाइम्स से बात करते हुए कहा कि,'दुनिया भर में कई कंपनियां डिजिटल परिवर्तन क्षमताओं के लिए भारतीय फर्मों की ओर देख रही हैं, चाहे वह क्लाउड में स्थानांतरित हो या समाधान के लिए मोबाइल ऐप हो"।
सरकार और स्टार्टअप से मदद
लिहाजा, सॉफ्टवेयर कंपनियों के लिए भारत एक पसंदीदा ठिकाना और महत्वपूर्ण भागीदार बन गया। संगीता गुप्ता कहती हैं कि, 'हम परिणाम देख सकते हैं। पिछले वित्तीय वर्ष में प्रौद्योगिकी उद्योग पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 15-16% बढ़ा है'। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 31,922 पंजीकृत आईटी कंपनियां थीं और भारत सरकार ने दिसंबर 2019 में लोकसभा में इसकी जानकारी दी थी। सभी मूल्य बिंदुओं पर तकनीकी समाधान पेश करने वाले स्टार्टअप्स के बढ़ने से इस क्षेत्र को कई गुना बढ़ने में मदद मिली है। सरकारी और निजी अनुमानों ने इस क्षेत्र में रोजगार संख्या को काफी बढ़ाया है और करीब 50 लाख लोगों को इस क्षेत्र में रोजगार मिला है। आर्थिक सर्वेक्षण का अनुमान है कि, साल 2021-22 में करीब 1.38 लाख और नये लोग इस सेक्टर से जुड़े हैं।
लिहाजा, इस क्षेत्र की तेजी में सरकार के योगदान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। सेवाओं के डिजिटलीकरण के लिए इसके जोर का एक मजबूत योगदान रहा है।
जैसा कि भवन साइबरटेक के मुख्य परिचालन अधिकारी माइक मुरलीधरन कहते हैं,"भारत आईटी और आईटीईएस क्षेत्र में उद्यमशीलता और विकास को प्रोत्साहित करने के लिए नीति स्तर पर प्रणालीगत परिवर्तन कर रहा है। नैसकॉम के एक सर्वेक्षण में इस बात पर प्रकाश डाला गया है, कि नीतिगत सुधारों ने कंपलायंस बोझ को कम किया है, जिससे उत्पादकता में वृद्धि देखने को मिली है, वहीं, वैश्विक प्रतिस्पर्धा में वृद्धि ने भारत में व्यापार करने की लागत को कम किया है, जिससे इस सेक्टर को काफी फायदा हुआ है।
तेजी से बढ़ रहे हैं ग्राहक
जैसे-जैसे सॉफ्टवेयर एक अनिवार्य मजबूरी बन रहा है, भारत में क्लाउड, एनालिटिक्स, आईओटी और एआई जैसी प्रौद्योगिकियों की मांग भी काफी तेजी से बढ़ती जा रही है, जिसका सीधा सकारात्मक असर प्रतिभाओं के निर्माण, रीस्किलिंग और अपस्किलिंग, इन्फ्रास्ट्रक्चर ढाचा का विकास और नीतियों की तरफ होता है। मुरलीधरन कहते हैं कि,'इसके अलावा, हम ग्राहकों को क्लाउड-आधारित समाधानों की पेशकश करते हैं, जो ग्राहकों को तेजी से आगे बढ़ने की सुविधा देते हैं। वहीं, नैसकॉम का अनुमान है, कि सॉफ्टवेयर उत्पादों से निर्यात राजस्व 2030 तक 100 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा। इस अनुमान का एक सत्यापन यह है कि, भारत में प्रौद्योगिकी और अनुसंधान में निवेश में काफी वृद्धि हुई है।
सॉफ्टवेयर मार्केट में निवेश बढ़ा
ऑननिवेशन के संस्थापक और सीईओ साकेत अग्रवाल ने इकोनॉमिक टाइम्स से बातचीत में कहा कि, 'कुछ प्रमुख भारतीय विश्वविद्यालय और वीसी फर्म उद्यमियों को पोषित करने के लिए एक्सेलेरेटर और इनक्यूबेशन हब लॉन्च कर रहे हैं, जो मुख्य रूप से इजरायली टेक कंपनियों को भारतीय कारोबार में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करता है। उन्होंने कहा कि, "दूसरा घटक नेटवर्क और साझेदारी से संबंधित है जो नीति निर्माता, उद्यमी और शोधकर्ता बना रहे हैं। जैसा कि हाल ही में देखा गया है, हम संयुक्त अरब अमीरात, ऑस्ट्रेलिया, इज़राइल और यूके जैसे देशों के साथ अपने एफटीए (विदेशी व्यापार समझौते) के हिस्से के रूप में तकनीकी सहयोग को प्राथमिकता दे रहे हैं। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि, यह हमें पारस्परिक रूप से लाभकारी नेटवर्क बनाने में मदद करता है, और इस तरह के नेटवर्क विकसित करना विघटनकारी नवाचारों को लाने के लिए आवश्यक है'।
छोटी कंपनियों के लिए बड़ी संभावना
इस सेगमेंट में, जो क्लाइंट बेस्ड मार्केट बन चुका है, वहां छोटी आईटी कंपनियों को बहुत मदद मिलने की संभावना है। कभी-कभी वे काफी तेजी से विकास कर सकते हैं और बड़े खिलाड़ियों की तुलना में तेज और सस्ती सेवाएं प्रदान करने में सक्षम होते हैं। पीडब्ल्यूसी इंडिया का कहना है कि, यह पिछले वित्त वर्ष में मध्य स्तरीय आईटी कंपनियों के लिए विशेष रूप से सच प्रतीत होता है। इकॉनोमिक टाइम्स से बात करते हुए, पार्टनर और लीडर-इंडस्ट्रियल मोहम्मद अतहर (सैफ) कहते है कि, "डॉलर रेवेन्यू ऑर्गेनिक ग्रोथ रेट मिड-साइज़ कंपनियों के लिए 7-9% की रेंज में थी, जबकि बड़ी फर्मों के लिए यह केवल 4-4.5% थी"। उन्होंने कहा कि, "इन फर्मों के अनुकरणीय प्रदर्शन के कारणों को उभरते बाजारों (मध्य पूर्व, अफ्रीका और दक्षिण पूर्व एशिया) में उनकी मजबूत उपस्थिति और क्लाउड और डेटा एनालिटिक्स जैसे बढ़ते उद्योग वर्टिकल के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।"
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