10 महीने की लड़ाई में हर मोर्चे पर हारे व्लादिमीर पुतिन, नये साल में किस तरफ जाएगा यूक्रेन युद्ध?
रूस ने यूक्रेन के खिलाफ 24 फरवरी 2022 को सैन्य अभियान शुरू किया था और युद्ध के 10 महीने बीत चुके हैं। लेकिन जंग का फैसला अभी तक नहीं हुआ है।
Russia-Ukraine War: रूस ने जब इस साल की शुरूआत में यूक्रेन की सीमा पर अपने सैनिकों को जमा करना शुरू किया, तो दुनियाभर के विश्लेषकों की पहली प्रतिक्रिया यही थी, कि कुछ ही दिनों के भीतर कीव गिर जाएगा और यूक्रेन पर रूस का कब्जा हो जाएगा। अमेरिका समेत पश्चिमी देशों के विश्लेषकों का भी यही मानना था, कि रूस के आगे यूक्रेन का टिकना नामुमकिन होगा और रूस भी इसी अति-आत्मविश्वास में बैठा था, कि ज्यादा से ज्यादा एक हफ्ते में उसके सामने यूक्रेन धाराशाई हो जाएगा। लेकिन, ऐसा हो नहीं पाया। आइये जानते हैं, कि यूक्रेन में रूसी सैनिकों को लगातार कैसे साल भर हार मिलती रही?
यूक्रेन का वीरतापूर्ण प्रतिरोध
24 फरवरी 2022 को यूक्रेन के खिलाफ सैन्य अभियान की घोषणा करने के बाद रूसी सैनिकों ने तीन तरफ से यूक्रेन पर हमला किया और भीषण बमबारी के साथ यूक्रेनी सैन्य ठिकानों और हथियारों के भंडार को निशाना बनाना शुरू किया। लेकिन, युद्ध के एक हफ्ते खत्म होते-होते यूक्रेनी सेना डटने लगी और फिर एक हफ्ते बाद ही रूसियों को आभास होने लगा, कि यूक्रेन में युद्ध जीतना इतना भी आसान नहीं है। युद्ध के एक हफ्ते बाद कई जगहों पर यूक्रेनी सेना ने रूसी सैनिकों को रोकना शुरू कर दिया और रूसी सैनिकों को पीछे हटने के लिए मजबूर होना पड़ा। हालांकि, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सीधे तौर पर इसे आज भी स्वीकार नहीं किया है, लेकिन दिसंबर की शुरुआत में ऐसा लग रहा था, कि वह अपने देश को एक लंबी जंग के लिए तैयार कर रहे हैं।
रूस की हवाई संप्रभुता को यूक्रेन ने तोड़ा
फरवरी के आक्रमण के बाद कई उम्मीदें पूरी नहीं हुईं। यह सोचा गया था, कि रूस यूक्रेनी वायु सेना और एयर डिफेंस, दोनों को खत्म करके जल्दी से हवाई संप्रभुता हासिल कर लेगा, वो बुरी तरह से फेल साबित हुई है। कई एक्सपर्ट्स, जो ये आशंका जता रहे थे, कि यूक्रेन की वायुसेना के लिए रूस के सामने टिकना लगभग नामुमकिन है, उनकी आशंका गलत साबित हुई और रूस की वायुसेना भी यूक्रेन में बुरी तरह से नाकामयाब होने लगी। साल 2014 में जब रूस ने डोनबास पर हमला किया था और क्रीमिया को यूक्रेन से छीना था, उस वक्त युद्ध के शुरूआती कुछ दिनों में ही यूक्रेनी वायुसेना को जबरदस्त नुकसान हुआ था। युद्ध के शुरूआत में यूक्रेनी सेना ने अपने ज्यादातर हेलीकॉप्टर्स और फाइटर जेट्स खो दिए और फिर यूक्रेन ने अपने बचे हुए विमानों को बचाने का विकल्प चुना था। 2014 में रूस ने यूक्रेन की वायुसेना को करीब करीब खत्म ही कर दिया था। लेकिन, इस बार रूस की ये गलतफहमी भी टूट गई।
यूक्रेनी वायुसेना पर रूस दावा झूठा निकला
24 फरवरी को यूक्रेन के खिलाफ विध्वंसक हमला करने के साथ ही 28 फरवरी को रूस ने दावा किया, कि यूक्रेन की वायु संप्रभुता पर उसका नियंत्रण हो गया है। यानि, यूक्रेन की वायुसेना को रूस ने खत्म कर दिया है, लेकिन रूस का ये दावा झूठा निकला। हालांकि, ये पूरी तरह से सच है, कि रूसी वायु सेना आकार और टेक्नोलॉजी के मामले में स्पष्ट रूप से बेहतर है, लेकिन ये भी सच है, कि यूक्रेन अभी भी अपने कई सैन्य हवाई अड्डों से ऑपरेशंस को अंजाम दे रहा है और मिसाइलों का संचालन कर रहा है। यूक्रेन के हेलीकॉप्टर्स और जेट्स अभी भी आसमान में उड़ रहे हैं। इतना ही नहीं, अमेरिकी पेट्रियट एयर डिफेंस मिसाइल मिलने के बाद यूक्रेन का एयर डिफेंस काफी मजबूत हो जाएगा। वहीं, यूक्रेन ने तो अब रूस के हवाई अड्डों को भी ड्रोन से निशाना बनाना शुरू कर दिया है।
रूसी वायुसेना को भयंकर नुकसान
यूक्रेनी सूत्रों ने कहा है कि, युद्ध शुरू होने के बाद से रूस ने सैकड़ों विमान और हेलीकॉप्टर खो दिए हैं। हालांकि, इन दावों की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं की जा सकती है, लेकिन, पश्चिमी खुफिया सेवाएं भी रूसी वायु सेना के लिए भी महत्वपूर्ण नुकसान की तरफ इशारा करती हैं, जो कि फ्रंट लाइन पर सीमित आधार पर काम कर रही है और अब यूक्रेन के आंतरिक भाग में गहराई तक नहीं जा रही है। वहीं, अब रूस ने अपने फाइटर जेट्स और हेलीकॉप्टर्स का इस्तेमाल करना काफी कम कर दिया है और इनके बजाए अब ड्रोन और मिसाइलों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। जिन्हें यूक्रेनी एयर डिफेंस सिस्टम काफी आसानी से रोक रही हैं। हालांकि, यूक्रेन ऐसा अपनी बदौलत नहीं, बल्कि पश्चिमी देशों से मिली सहायता की बदौलत कर रहा है।
काला सागर में लड़खड़ाता बेड़ा
समुद्र में रूस ने पहले साफ तौर पर यूक्रेन को मात दे दिया था, लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है। पहले एक्सपर्ट्स ने आशंका जताई थी, कि रूस, दक्षिणी यूक्रेन में समुद्र के जरिए भीषण आक्रमण शुरू करेगा और ओडेसा की ओर बढ़ जाएगा। आशंका जताई गई थी, कि युद्धपोतों का इस्तेमाल करके बड़ी टुकड़ी संरचनाओं और बख़्तरबंद कर्मियों के वाहक को तट पर लाया जाएगा। लेकिन, रूस ने ऐसा नहीं किया और अब सैन्य विशेषज्ञों को कम उम्मीद है, कि रूस ऐसा करेगा।
रूसी नौसेना को भारी नुकसान
रूसी सैनिकों ने युद्ध की शुरूआत में अपने युद्धपोतों के जरिए स्नेक आइलैंड औकर ओडेसा के महत्वपूर्ण द्वीपों और बंदरगाहों पर कब्जा कर लिया था, लेकिन जून के अंत में अपने तोपों की बदौलत यूक्रेन ने ज्यादातर हिस्सों को वापस रूस से छीन लिया। हकीकत ये है, कि काला सागर में रूस की सबसे बुरी हार हुई है और उसके कई युद्धपोत बर्बाद हो चुके हैं। रूस करा प्रमुख क्रूजर मोस्कवा अप्रैल में यूक्रेनी मिसाइलों से क्षतिग्रस्त हो गया था और बाद में डूब गया था। उसे एक महीने पहले, लैंडिंग जहाज सेराटोव भी अजोव के सागर में बर्डियांस्क के बंदरगाह में एक यूक्रेनी मिसाइल के हमले के बाद डूब गया था। यानि, लगातार मिल रही हारों के बाद अब पुतिन के लिए युद्ध नाक का सवाल बना हुआ है, लिहाजा नये साल में देखना होगा, कि रूस इस युद्ध में जीत हासिल करने के लिए क्या करता है?
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