गूगल ने डूडल के माध्यम से समलैंगिकों के संघर्ष के 50 वर्ष को किया याद
नई दिल्ली। आज से 50 वर्ष पहले न्यूयॉर्क पुलिस ने आज के ही दिन सुबह ग्रीनविच गांव स्थित एक काफी लोकप्रिय बार में छापेमारी की थी। यह बार समलैंगिक समुदाय के बीच काफी लोकप्रिय था, ऐसे में पुलिस की छापेमारी की वजह से यहां काफी विवाद हुआ था और दंगे भड़क गए थे। लोग एलजीबीटी समुदाय के अधिकारों के लिए अमेरिका की सड़क पर उतर आए थे। इसी दिन के 50 वर्ष पूरे होने के मौके पर गूगल ने आज का डूडल इसे समर्पित किया है। गूगल ने इसका बकायदा एक स्लाइड शो पब्लिश किया है, जिसमे पिछले पांच दशक में हुई प्राइड परेड को दिखाया गया है।
पांच दशक का संघर्ष
इस डूडल के जरिेए गूगल ने लोगों को इस बात की जानकारी देने की कोशिश की है कि कैसे पिछले पांच दशक में एलजीबीटी समुदाय के अधिकारों की लड़ाई का दायरा बढ़ा और अब यह दुनियाभर में मुहिम बन गया है। डूडल के जरिए एक मजबूत समाज बनाने का संदेश दिया गया है। बता दें कि पिछले कुछ सालों से गूगल समलैंगिंक समुदाय के अधिकारों को बड़े स्तर पर उठाता रहा है। 2008 में कंपनी ने एपोजिशन टू प्रोपोजीशन 8 की घोषणा की थी।
10-10 साल के अंतराल में संघर्ष को दिखाया गया
जून माह को गे और लेस्बियन के गौरव का माह करार देते हुए गूगल ने एक सर्च बार में इंद्रधनुष को जोड़ा है, जहां आप गे, लेस्बियन, समलैंगिक शब्दों के बारे में अधिक जानकारी हासिल कर सकते हैं। गूगल ने गे प्राइड की यात्रा को 10-10 साल के अंतराल में अपने स्लाइड शो में दिखाया है कि कैसे पिछले दशकों में समलैंगिकों के अधिकारी की लड़ाई आगे बढ़ी। बता दें कि एलजीबीटी समुदाय के लिए यह परेड एक उत्सव की तरह होती है, जिसे आजादी का प्रतीक माना जाता है। न्यूयॉर्क शहर में इस मौके पर क्रिस्टोफर स्ट्रीट पर प्राइड परेड का आयोजन किया जाता है। जिसमे एलजीबीटीक्यू समुदाय के लोग बड़ी तादात में हिस्सा लेते हैं।
बराबरी की मांग
कई दशकों से समलैंगिकों को समाज में बराबर का दर्जा नहीं मिला है, इसी दर्जे के लिए यह समुदाय पिछले काफी समय से संघर्ष कर रहा है। बता दें कि कई देशों में समलैंगिकता एक अपराध है। समलैंगिको को समानता का अधिकार देने के लिए 1950 में यह संघर्ष शुरू किया गया था। जोकि समय के साथ काफी आगे बढ़ता गया। बड़ी संख्या में इस समुदाय के लो समाज के बंधन को तोड़ते हुए आगे आने लगे और अपनी वरीयता का इजहार करने लगे। इस प्राइड परेड को दुनियाभर में बदलाव का प्रतीक माना जाता है।