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धरती पर बढ़ रहा ग्लोबल वार्मिंग का खतरा! 20 वर्षों के आंकड़ों से दुनिया में हड़कंप, साइंटिस्ट्स ने किया आगाह

दुनिया में गर्मी से होने वाली मौतों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। पिछले 20 वर्षों से ग्लोबल वार्मिंग से मौतों को आंकड़ों का विश्लेषण करने पर भविष्य काफी भयावह लगता है।

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Global Warming effect on Earth: दुनिया में गर्मी से होने वाली मौतों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। पिछले 20 वर्षों से ग्लोबल वार्मिंग से मौतों को आंकड़ों का विश्लेषण करने पर भविष्य काफी भयावह लगता है। साइंस जर्नल 'द लैंसेट' में छपे एक लेख के अनुसार, पिछले 13 वर्षों के अंतराल में गर्मी से होने वाली मौतों के मामले में 68 प्रतिशत की वृद्दि दर्ज की गई है। आइए जानते हैं कि गर्मी की वजह से दुनिया में कैसे मौतों का आंकड़ा बढ़ता है और इसका जिम्मेदार कौन है?

'द लैंसेट' में छपी स्टडी का दावा

'द लैंसेट' में छपी स्टडी का दावा

दुनिया में 13 साल के भीतर गर्मी से होने वाली मौतों में 68% वृद्धि हुई है। ये स्टडी साल 2000 से 2021 के बीच गर्मी से होने वाली मौतों को लेकर की गई। अध्ययन के अनुसार, 2000-04 और 2017-21 के बीच गर्मी की वजह से स्वास्थ्य संबंधी मौतों में 68 प्रतिशत की वृद्धि हुई। साइंस जर्नल The Lancet की शोध रिपोर्ट में कहा गया कि इस पर अब भी नियंत्रण पाया जा सकता है। लेकिन इसके लिए हमें सजग होना पड़ेगा।

1986- 2005 तक स्थिति बेहतर थी- स्टडी

1986- 2005 तक स्थिति बेहतर थी- स्टडी

1986-2005 के बीच हीटवेव को लेकर स्थिति काफी बेहतर थी। लेकिन बाद के दशकों में एक बड़ी आबादी पर हीटवेव का असर पड़ा। 'द लैंसेट' में छपे एक शोध रिपोर्ट के अनुसार, 2000-2004 और 2017-2021 के बीच हीटवेब से 3.7 बिलियन आबादी प्रभावित हुई। हालात ये हो गए महज 13 वर्षों के भीतर आंकड़ा बढ़कर 68 प्रतिशत पहुंच गया।

अरबों डॉलर का नुकसान, कई देशों में तबाही

अरबों डॉलर का नुकसान, कई देशों में तबाही

जलवायु परिवर्तन (Climate change) के कारण पृथ्वी पर जीवन के लिए घातक प्रभाव उत्पन्न हो रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, चीन, मलेशिया, पाकिस्तान और अन्य देशों में बाढ़ से हजारों लोगों की मौत हुई। सैकड़ों हजारों लोग विस्थापित हुए और अरबों डॉलर का आर्थिक नुकसान हुआ। जंगल की आग ने ग्रीस, अल्जीरिया, इटली और जैसे देशों में तबाही मचाई। ताजा शोध रिपोर्ट में कहा गया है कि स्पेन और कई देशों में रिकॉर्ड तापमान दर्ज किया गया है।

रूस- यूक्रेन युद्ध भी जिम्मेदार

रूस- यूक्रेन युद्ध भी जिम्मेदार

पिछले दिनों वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से मौतों का आंकड़ा बढ़ने के कई कारण हैं। जिनमें सबसे अधिक प्रभावी फैक्टर जलवायु परिवर्तन है। जिसके लिए ईंधन और विस्फोटकों से निकलने वाले धुएं काफी जिम्मेदार हैं। रूस और यूक्रेन के बीच चल रहा लंबा संघर्ष भी इसका एक बड़ा कारण हो सकता है। वहीं पिछले दिनों महामारी के कहर से सब कोई परिचित है।

पेट्रोल, डीजल के उपयोग पर नियंत्रण की अवश्यकता

पेट्रोल, डीजल के उपयोग पर नियंत्रण की अवश्यकता

रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया के लगभग सभी देशों की सरकारें जीवाश्म ईंधन (पेट्रोल और डीजल) की खपत को नियंत्रित नहीं कर पा रही हैं। बल्कि इसे और अधिक बढ़ावा मिल रहा है। जिससे ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) का खतरा बढ़ता जा रहा है। जब तक सरकारें जीवाश्म ईंधन उत्पादन और खपत को प्रोत्साहित करती रहेंगी, धरती पर बढ़ते तापमान को नियंत्रित करना संभव नहीं है।

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English summary
Global warming effect on earth World stirred by data of 20 years about Heat wave scientists warn
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