नाटो के पूर्व अध्यक्ष पेट्र पावेल बने चेक रिपब्लिक के नए राष्ट्रपति, पुतिन समर्थक सरकार की हुई हार
आठ शुरुआती उम्मीदवारों में से किसी को भी दो सप्ताह पहले मतदान के पहले दौर में पूर्ण बहुमत नहीं मिला, पावेल और बाबिस के बीच दूसरे दौर के रन-ऑफ में चुनाव का फैसला किया गया।
रिटायर जनरल पेट्र पावेल चेक गणराज्य के नए राष्ट्रपति होंगे। उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव में अरबपति कारोबारी आंद्रेज बेबिस को हरा दिया है। आपको बता दें कि पेट्र पावेल नाटो उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO) के पूर्व अध्यक्ष भी रह चुके हैं। पावेल 1990 के दशक से 2018 तक सेना में रहे हैं। 61 वर्षीय सेवानिवृत्त जनरल पावेल ने पहली बार चुनाव लड़ा था। उन्हें 58% से अधिक मत मिले हैं। आपको बता दें कि आठ शुरुआती उम्मीदवारों में से किसी को भी दो सप्ताह पहले मतदान के पहले दौर में पूर्ण बहुमत नहीं मिला, पावेल और बाबिस के बीच दूसरे दौर के रन-ऑफ में चुनाव हुआ था।
यूक्रेन का साथ देने का वादा
पेट्र पावेल मार्च महीने में विवादास्पद राष्ट्रपति मिलोस जमैन की जगह लेंगे। पावेल ने अपने चुनाव अभियान में नाटो और यूरोपीय संघ के समर्थन और यूक्रेन की सहायता का वादा किया था। वे यूरो मुद्रा अपनाने और समलैंगिक विवाह के समर्थक हैं। आपको बता दें कि चेक गणराज्य में राष्ट्रपति की देश चलाने में सीधी या सक्रिय भूमिका नहीं होती है, हालांकि वह प्रधानमंत्री और केंद्रीय बैंक के प्रमुख चुनते हैं, विदेश नीति में उनसे राय ली जाती है और वह सरकारी नीतियों को प्रभावित करते हैं।जीत के बाद पावेल ने लोगों का धन्यवाद किया और कहा कि आप सभी ने वोट देकर लोकतंत्र का सम्मान किया और इस देश की परवाह की।
अमेरिका के करीबी हैं पावेल
जमैन ने चुनावों में अरबपति आंद्रेज बाबिस को समर्थन दिया था। जमैन चेक रिपब्लिक में लोकप्रिय वोट से चुने गए पहले राष्ट्रपति थे। जमैन बीजिंग और मास्को के साथ घनिष्ठ संबंधों के पक्षधर थे, वहीं नए राष्ट्रपति अमेरिका के करीबी और नाटो के समर्थक हैं। संसद में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के प्रमुख और उद्योगपति बाबिस ने महंगाई को चुनावी मुद्दा बनाया। उन्होंने चुनाव प्रचार में आशंका जताई कि यूक्रेन से युद्ध चेक गणराज्य में फैल सकता है और युक्रेन-रूस के बीच शांति वार्ता में मध्यस्थता के प्रयास करने की बात कही। उन्होंने आशंका जताई कि पावेल देश को युद्ध में धकेल देंगे। इस तरह पावेल की चुनावी जीत को चेक गणराज्य की राजनीति में बड़े फेरबदल के रूप में देखा जा रहा है।
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