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फिनलैंड, स्वीडन ने जमा किए NATO सदस्यता फॉर्म, पुतिन के पास मुंह ताकने के अलावा नहीं बचे विकल्प!

तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप अर्दोआन ने फिनलैंड और स्वीडन के नाटो गठबंधन में शामिल होने पर आपत्ति जताई है।

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मॉस्को, मई 18: फिनलैंड और स्वीडन ने रूस की सारी धमकियों को नजरअंजाज करते हुए नाटो गठबंधन में शामिल होने के लिए एप्लीकेशन फॉर्म भरकर सौंप दिया है और इसके साथ ही राष्ट्रपति पुतिन की सबसे बड़ी हार मुकम्मल हो गई है। नाटो के महासचिव जेन्स स्टोल्टेनबर्ग ने बुधवार को कहा कि, फिनलैंड और स्वीडन ने आधिकारिक तौर पर दुनिया के सबसे बड़े सैन्य गठबंधन में शामिल होने के लिए आवेदन जमा किया है, जो यूक्रेन में रूस के युद्ध पर सुरक्षा चिंताओं के बाद लिया गया फैसला है।

एप्लीकेशन फॉर्म जमा

एप्लीकेशन फॉर्म जमा

नाटो के महासचिव जेन्स स्टोल्टेनबर्ग ने कहा कि, "मैं नाटो में शामिल होने के लिए फिनलैंड और स्वीडन के अनुरोधों का गर्मजोशी से स्वागत करता हूं। आप हमारे सबसे करीबी साथी हैं'। स्टोल्टेनबर्ग ने दो नॉर्डिक देशों के राजदूतों से उनके आवेदन पत्र प्राप्त करने के बाद संवाददाताओं से कहा कि, "यह हमारी सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण में एक अच्छा दिन है।" हालांकि, फिनलैंड और स्वीडन ने नाटो की सदस्यता हासिल करने के लिए आवेदन तो कर दिया है, लेकिन वो नाटो गठबंधन का हिस्सा बन ही जाएगा, इसका फैसला नाटो के 30 सदस्य देश मिलकर करेंगे और इस प्रक्रिया में करीब 2 हफ्तों का वक्त लगेगा। लेकिन, माना जा रहा है कि, तुर्की के विरोध के चलते फिनलैंड और स्वीडन का नाटो सदस्य बनने का सपना अधूरा भी रह सकता है।

कितने दिनों में हो जाएगा शामिल?

कितने दिनों में हो जाएगा शामिल?

तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप अर्दोआन ने फिनलैंड और स्वीडन के नाटो गठबंधन में शामिल होने पर आपत्ति जताई है। और अगर तुर्की की आपत्तियों को दूर कर दिया जाता है, तो फिर कुछ महीने के भीतर ये दोनों ही देश नाटो गठबंधन का हिस्सा बन जाएंगे। इस प्रक्रिया में आमतौर पर आठ से 12 महीने लगते हैं, लेकिन रूस से नॉर्डिक देशों के सिर पर मंडरा रहे खतरे को देखते हुए नाटो जल्दी से आगे बढ़ना चाहता है। उदाहरण के लिए, कनाडा का कहना है कि उसे कुछ ही दिनों में अपने एक्सेशन प्रोटोकॉल की पुष्टि करने की उम्मीद है। वहीं, नाटो महासचिव स्टोलटेनबर्ग ने कहा कि, नाटो सहयोगी "सभी मुद्दों के माध्यम से काम करने और तेजी से निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए दृढ़ हैं।" उन्होंने कहा कि, "सभी सहयोगी नाटो के विस्तार के महत्व पर सहमत हैं। हम सभी सहमत हैं कि हमें एक साथ खड़ा होना चाहिए, और हम सभी सहमत हैं कि यह एक ऐतिहासिक क्षण है जिसमें हमें साथ रहना है'।

यूक्रेन युद्ध से डरे फिनलैंड और स्वीडन

यूक्रेन युद्ध से डरे फिनलैंड और स्वीडन

आपको बता दें कि, 24 फरवरी को यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद से ही फिनलैंड और स्वीडन में नाटो में शामिल होने और देश की सुरक्षा व्यवस्था को सुनिश्चित करने की धारणा काफी मजबूती से बनने लगी थी और फिर दोनों देशों ने नाटो गठबंधन में शामिल होने पर अपनी सहमति जता दी। हालांकि, फिनलैंड और स्वीडन पहले से ही नाटो के साथ घनिष्ठ रूप से सहयोग करते रहे हैं, लेकिन अभी तक इन दोनों देशों ने नाटो में शामिल होने के लिए आवेदन नहीं दिया था। ये दोनों देश नाटो में शामिल होने के लिए जरूरी शर्त, जैसे लोकतंत्र, अच्छी तरह से वित्त पोषित सशस्त्र बल जैसे कुछ शर्तों का पालन करते हैं, लिहाजा नाटो में शामिल होने इन दोनों ही देशों के लिए काफी आसान था। लेकिन, अभी तक इन दोनों ही देशों ने तटस्थ रूख अपना रखा था।

रूस की धमकी हो गई बेअसर

रूस की धमकी हो गई बेअसर

इससे पहले फिनलैंड और स्वीडन के नाटो में शामिल होने को लेकर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की नाराजगी और बढ़ने की आशंका जताई जा रही थी। रूस नार्डिक देशों के इस कदम से आगबबूला तो है, लेकिन ऐसा लग रहा है, कि अब रूस विकल्पहीन हो चुका है। रूस ने फिनलैंड और स्वीडन को चेतावनी तो दी थी, कि अगर उन्होंने नाटो से जुड़ने का ऐलान कर उन्होंने एक 'बहुत बड़ी गलती' कर दी है। रूसी उप विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव ने सोमवार को कहा था कि फिनलैंड और स्वीडन ने नाटो सैन्य गठबंधन में शामिल होना एक गलती है। इसके दूरगामी परिणाम होंगे और वैश्विक स्थिति में आमूल-चूल परिवर्तन होगा। रयाबकोव ने कहा कि फिनलैंड और स्वीडन को इस बात का कोई भ्रम नहीं होना चाहिए कि रूस उनके फैसले को आसानी से स्वीकार कर लेगा। लेकिन, अब लग नहीं रहा है, कि रूस इसके खिलाफ कोई कदम उठाने की स्थिति में भी है, क्योंकि यूक्रेन में पहले ही रूस की सांसे लड़खड़ा चुकी हैं।

क्या तुर्की लगा सकता है अड़ंगा?

क्या तुर्की लगा सकता है अड़ंगा?

तुर्की के राष्ट्रपति तैय्यप अर्दोआन ने कहा है कि वो इन देशों की नाटो सदस्यता के रुख का समर्थन नहीं करता। उन्होंने कहा था कि अंकारा एक बार फिर से गलती नहीं करेगा। आपको बता दें कि किसी नए देश को नाटो सदस्यता के लिए सभी मौजूदा सदस्य देशों का समर्थन चाहिए होता है। अगर तुर्की वीटो करता है तो यह मामला खटाई में पड़ सकता है। पुतिन पहले ही कह चुके हैं कि नाटो का पूर्वी सीमा में विस्तार उसकी क्षेत्रीय संप्रभुता के लिए चुनौती है और वो इसका पुरजोर तरीके से विरोध करेगा। नाटो में अभी 30 सदस्य देश हैं और अमेरिका इन्हें किसी भी हमले या कार्रवाई पर सैन्य सुरक्षा की गारंटी देता है। वहीं, पुतिन और तुर्की की दोस्ती पहले भी रही है। हालांकि, तुर्की ने यूक्नेन पर रूसी हमले का विरोध भले ही किया था, लेकिन तुर्की ने ही मध्यस्थता कराने की भी कोशिश की थी और ऐसी संभावनाएं हैं, कि तुर्की इन दोनों ही देशों के नाटो में शामिल होने को लेकर वीटो कर सकता है।

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English summary
Finland and Sweden have officially submitted applications to join NATO.
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