मेल शार्क को 'देखकर' ही गर्भवती हो गई फीमेल जेब्रा शार्क, कुंवारी रहकर दिया बच्चों को जन्म, वैज्ञानिक हैरान
वैज्ञानिकों के लिए पार्थेनोजेनेसिस की प्रक्रिया का सफल होना सुखद था, लेकिन इसके नतीजे निराशाजनक है। वहीं, बिना प्रजनन मां बनने की प्रक्रिया को समझना और भी मुश्किल हो गया है।
Female zebra shark: हमारी धरती पर एक से बढ़कर एक रहस्यमयी जीव मौजूद हैं और उन जीवों के विकास की प्रक्रिया भी काफी अजीबोगरीब होती है। अभी तक हम यही जानते आए हैं, कि प्रजनन की प्रक्रिया के बाद ही किसी प्राणी का जन्म होता है, लेकिन जेब्रा शार्क के बारे में वैज्ञानिकों ने एक हैरत भरा खुलासा किया है। खुलासा हुआ है, कि फीमेल जेब्रा शार्क ने बगैर प्रजनन के ही बच्चों को जन्म दे दिया है, जबकि इस दौरान उस टैंक में दो मेल जेब्रा भी मौजूद थे, लेकिन उनमें कोई संपर्क नहीं हुआ था।
कुंवारी रहकर बच्चों का जन्म
जर्नल ऑफ फिश बायोलॉजी में प्रकाशित एक नये रिपोर्ट के मुताबिक, दो मेल शार्क के साथ एक टैंक में रहने वाली एक मादा जेबरा शार्क (स्टेगोस्टोमा फासिआटम) ने अपने स्वयं के अंडों को खुद निषेचित करके बच्चों को जन्म दिया है। यह असामान्य परिदृश्य पार्थेनोजेनेसिस के जोखिमों और उससे होने वाले लाभों के बारे में पूर्व धारणाओं को चुनौती देता है, जिसमें अलैंगिक प्रजनन का लेकर कई दावे किए जाते रहे हैं। अध्ययन के लेखकों को मुताबिक, अभी तक यह एक रहस्य रहा है, कि कभी कभी कुंवारी रहते हुए कोई मादा कैसे बच्चों को जन्म दे देती है।
कुंवारेपन में कैसे बच्चों का जन्म?
शिकागो में फील्ड म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री के रिसर्च लेखक केविन फेल्डहाइम ने कहा कि, "यह सिर्फ दूसरा मामला है, जिसके बारे में अब हमें पता है, कि पार्थेनोजेनेसिस द्वारा शार्क ने बच्चे को जन्म दिया है।" यानि, एक फीमेल शार्क ने अपने दिए गये अंडों को मेल शार्क के वीर्य से उन अंडों को फर्टीलाइज करवाए बिन उनमें से बच्चों को जन्म दिया। हालांकि, इस दौरान उस टैंक में दो मेल शार्क मौजूद थे। एक्सपर्ट्स का कहना है, कि बिना प्रजनन के फीमेल शार्क का बच्चों को जन्म देना 'कुंवारी जन्म' क्यों होते हैं? इस कंसेप्ट को समझने की दिशा में बहुत कुछ समझा जा सकता है।
आपातकालीन विकल्प है पार्थेनोजेनेसिस
कई पक्षी, सरीसृप जीव, उभयचर और मछली की प्रजातियां, पार्थेनोजेनेसिस का उपयोग प्रजनन के लिए एक जैविक बैक-अप प्लान के तौर में करती हैं, जब साथियों का आना मुश्किल हो जाता है। लेकिन, ये प्रक्रिया जोखिम भरी होती है और पार्थेनोजेनेसिस के माध्यम से पैदा हुए जीवों की उम्र काफी कम होती है और ज्यादातर ऐसे प्रोसेस से जन्मे जीव बांझ भी होते हैं। फेल्डहाइम और उनके सहयोगियों ने शिकागो के शेड्ड एक्वेरियम में दो मेल शार्क पर नियमित आनुवंशिक परीक्षण करते हुए पार्थेनोजेनेसिस के सामान्य नियमों के मुताबिक ही परीक्षण किया है, जिसमें मादा शार्क ने बगैर मेल शार्क से प्रजनन किए बच्चों को जन्म दिया। लेकिन, इसके रिजल्ट चौंकाने वाले थे।
चौंकाने वाला था डीएनए टेस्ट
वैज्ञानिकों ने जब डीएनए टेस्ट का अध्ययन किया, तो पता चला, कि उस टैंक में मौजूद किसी भी शार्क के साथ बच्चों के डीएनए मैच नहीं कर रहे थे, जबकि मादा शार्क के साथ उनका डीएनए मेल खा रहा था। डीएनए टेस्ट में पता चला, बच्चों का जीन पूरी तरह से अपनी मां के समान था, लिहाजा पार्थेनोजेनेसिस को लेकर वैज्ञानिकों को और अधिक जानकारियां मिली हैं। लेकिन, पार्थेनोजेनेसिस को लेकर जो डर हमेशा से रहा है, वो डर यहां भी सच साबित हुआ, और जिन बच्चों का इस प्रोसेस से जन्म हुआ, कुछ ही महीनों तक वो जिंदा रहे। वैज्ञानिकों ने बताया कि, सिर्फ मां की जीन से बने बच्चों में कई आनुवंशिक कमजोरियां थीं और उनके शरीर में इतने दोष थे, कि उनका ज्यादा दिनों तक जिंदा रहना मुमकिन नहीं था।
वैज्ञानिकों के लिए निष्कर्ष है झटका
मादा शार्क को लेकर किए गये रिसर्च में जो निष्कर्ष निकला है, वो वैज्ञानिकों को निराश करने वाला है। ऐसा इसलिए, क्योंकि ये शार्क एक लुप्तप्राय प्रजाति के हैं और वैज्ञानिक इसे संरक्षित करना चाहते हैं। लिहाजा, वैज्ञानिकों का रिसर्च इस बात को लेकर चल रहा है, कि वे कैसे प्रजनन करते हैं और अगर ये पता चल जाता है, तो फिर एक्वैरियम में उनकी संख्या पढ़ाई जा सकती है।
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