पानी से उछलकर नाव में कूदी अत्यंत दुर्लभ 'सोने की मछली', 'खजाना' देखकर मछुआरे रह गये भौचक्के
नीदरलैंड में एक मछुआरे की नाव में पानी से उछलकर अत्यंत दुर्लभ 'सोने की मछली' आ गई, जिसे देखकर मछुआरा भौचक्का रह गया।
एम्सटर्डम, अक्टूबर 22: नीदरलैंड में मछुआरों के हाथ एक ऐसी दुर्लभ मछली लगी है, जिसे देख मछुआरे भौचक्का हैं और उन्हें अपनी किस्मत पर यकीन नहीं आ रहा है। मछुआरों के हाथ बेहद दुर्लभ माने जाना वाली 'सोने की मछली' लगी है, जिसे दुर्लभ माना जाता है। इस दुर्लभ मछली का नाम कैटफिश है।
खुद नाव में कूदी दुर्लभ मछली
सबसे दिलचस्प बात ये है कि, सोने की तरफ दिखने वाली ये दुर्लभ मछली खुद मछुआरे मार्टिन की नाव में पानी से कूद गई। बड़े-बड़े गलफड़ों के साथ विशाल और फुसफुसाते हुए केले की तरह दिखने वाली शानदार पीली कैटफिश पानी से बाहर निकलकर मार्टिन ग्लैट्ज़ की नाव में आ गई। जिसे पहली बार देखकर वो भौचक्का रह गये और काफी डर भी गये थे। उस वक्त मार्टिन अपने जुड़वां भाई ओलिवर के साथ नीदरलैंड में एक झील फिशर के पास मौजूद थे और नाव की सवारी कर रहे थे और अचानक ये मछली उछलकर उनके नाव में आ गई।
मछली देखकर रह गये भौचक्का
लाइव साइंस से बात करते हुए मार्टिन ने कहा कि उन्होंने अपनी जिंदगी में कभी ऐसी कैटफिश नहीं देखी है। उन्होंने कहा कि, मैं काफी ज्यादा आश्चर्य से भरा हुआ हूं, कि मैंने इस तरह की मछली को अपने जीवन में देखा है। शुरूआत में उन्हें पता भी नहीं चल पाया कि ये किस प्रजाति की कौन सी मछली है, लेकिन फिर मछली के जानकारों ने उन्हें इस दुर्लभ मछली के बारे में बताया।
सोने जैसी मछली
फील्ड एंड स्ट्रीम के अनुसार, व्हॉपर एक वेल्स कैटफ़िश (सिलुरस ग्लैनिस) है, जो एक बड़ी प्रजाति की मछली होती है और जो पूरे यूरोप में झीलों और नदियों की मूल निवासी मानी जाती है। ये मछलियां अपने विशाल आकार के लिए जानी जाती हैं। नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) के अनुसार, वे कम से कम 9 फीट (2.7 मीटर) लंबे और लगभग 300 पाउंड (130 किलोग्राम) वजन तक बढ़ सकती हैं। इस प्रजाति की कई मछलियां देखने में बिल्कुल केले के समान होती हैं और मार्टिन ने जिस मछली को पकड़ा है, वो देखने में बिल्कुल केले जैसी मछली है। एनओएए ने कहा कि ज्यादातर वेल्स कैटफ़िश में गहरे हरे-काले रंग के शरीर होते हैं, जिनमें मुट्ठी भर पीले धब्बे होते हैं।
दुर्लभ कैटफिश मछली
लेमन-जेड कैटफिश में ल्यूसिज्म होने की संभावना है, और एक दुर्लभ आनुवंशिक बीमारी की वजह से इस मछली की त्वचा पूरी तरह से पीली हो जाती है। आपको बता दें कि, स्तनधारियों, सरीसृपों, पक्षियों और मछलियों में भी ल्यूसिज्म देखा गया है, जिसके परिणामस्वरूप पीले पेंगुइन और सफेद किलर व्हेल जैसे आकर्षक दृश्य देखे गए हैं। 2017 में आयोवा में मिसिसिपी नदी में एक ल्यूसिस्टिक पीली कैटफिश देखी गई, जो स्थानीय समाचार पत्र हेराल्ड एंड रिव्यू में सुर्खियों में रही थी।
बेहद दुर्लभ होती है मछली
वैज्ञानिकों के मुताबिक बास मछली लाखों में एक पाई जाती है और इसका मिलना किस्मत की ही बात होती है और इसी साल जून के महीने में अमेरिका के रहने वाले जोश रॉजर की किस्मत भी कुछ देर के लिए उसके ऊपर मेहरबान हुई थी और उसके हाथ में 'सोने की मछली' लगी थी। लेकिन उसने मछली को फेंक दिया था। वैज्ञानिकों के मुताबिक मछली का रंग जैंकोक्रोमिज्म की वजह से बदल गया था। ये एक तरह का शरीर के अंदर चल रहे किसी खास कैमिकल की वजह से होता है। मछली का रंग भले ही सुनहरा हो जाता है, लेकिन वो पूरी तरह से स्वस्थ रहती है। बॉयलॉजिस्ट जॉन स्टीन के मुताबिक जेनेटिक गड़बड़ी की वजह से मछली का रंग बदल जाता है। वहीं, मछली पकड़ने वाले जोश रॉजर ने बाद में कहा कि उन्होंने सोचा कि मछली बीमार है, इसीलिए उन्होंने फोटो लेने के बाद उसे वापस पानी में छोड़ दिया।
पीले रंग का पेंग्विन भी दिखा था
सोने की मछली के हाथ आने से पहले एक वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर ने पीले रंग के पेग्विन की तस्वीर खींची थी, जिसने पूरी दुनिया को हैरानी में डाल दिया था। फोटोग्राफर जॉर्जिया के टूर पर गया हुआ था, जहां उसने पीले रंग की पेंग्विन को देखा था। अमूमन पेंग्विन काले-सफेद रंग के होते हैं, जिनके सिर पर पीले रंग का निशान बना होता है। पेंग्विन की तस्वीर लेने वाले फोटोग्राफर का नाम यीव्स ऐडम्स था, जिन्होंने पीले रंग के पेंग्विन की अंटार्कटिका और दक्षिण अटलांटिक में फोटो खिंची थी। उस फोटो में पीले रंग का पेंग्विन पानी में तैरता दिख रहा था। माना गया है कि पीले रंग का पेंग्विन पहली बार दुनिया में देखा गया था।
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