पूर्व अमेरिकी NSA का दावा, फिर धोखा दे रहा है पाकिस्तान, तालिबान की अफगानिस्तान में कर रहा है पूरी मदद
बोल्टन ने इंटरव्यू में यहां तक कहा कि पाकिस्तान न सिर्फ अमेरिका बल्कि अफगानिस्तान फोर्स के खिलाफ भी काम करने में व्यस्त है। अफगान बलों पर हमले को अंजाम देने में भी उसकी भूमिका है।
वॉशिंगटन, जून 28: अमेरिका के पूर्व एनएसए जॉन बोल्टन ने कहा है कि अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी के लिए पूरी तरह पाकिस्तान जिम्मेदार है। खामा प्रेस के मुताबिक, उन्होंने यह बयान अमेरिका के वॉयस ऑफ अमेरिका को दिए एक इंटरव्यू के दौरान दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और पाकिस्तान का डीप स्टेट दशकों से तालिबान को मदद दे रहा है।
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तालिबान-पाकिस्तान में संबंध
इंटरव्यू के दौरान बोल्टन ने कहा कि जब से अमेरिका ने अफगानिस्तान से पीछे हटने की बात की है और जबसे इसकी शुरूआत हुई है, उसके बाद से लगातार तालिबान अफगानिस्तान में पैर पसार रहा है। उसने कई जिलों पर कब्जा कर लिया है। बोल्टन ने तालिबान को सुरक्षित जगह मुहैया कराने के लिए पाकिस्तान को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने अपने इंटरव्यू में यहां तक कहा कि पाकिस्तान न सिर्फ अमेरिका बल्कि अफगानिस्तान फोर्स के खिलाफ भी काम करने में व्यस्त है। अफगान बलों पर हमले को अंजाम देने में भी उसकी भूमिका है।
पाकिस्तान को चेतावनी
अमेरिका के पूर्व एनएसए बोल्टन ने इंटरव्यू में पाकिस्तान को बड़ी चेतावनी दी है कि अगर तालिबान अफगानिस्तान में सत्ता हथिया लेता है तो वह पाकिस्तान के लिए भी एक बड़ा खतरा बन जाएगा। ऐसे में पाकिस्तान सरकार पर आतंकी संगठनों की संख्या बढ़ाने का जबरदस्त दबाव होगा। बोल्टन ने इस इंटरव्यू में साफ तौर पर कहा कि वह भविष्य को लेकर काफी चिंतित हैं। अमेरिका के पूर्व एनएसए का यह बयान ऐसे समय आया है जब अफगानिस्तान से अमेरिका के बाहर निकलने की समय सीमा लगातार कम होती जा रही है।
अफगानिस्तान में तालिबान का विस्तार
आपको बता दें कि जब से अमेरिका ने अफगानिस्तान से अपनी फौज निकालने का ऐलान किया है, तब से तालिबान अफगानिस्तान में लगातार पैर पसार रहा है। हाल ही में अफगानिस्तान के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत डेबरा लियोन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को चेतावनी दी थी कि अगर तालिबान को नहीं रोका गया, तो वह पहले की तरह अफगानिस्तान के अधिकांश हिस्से पर कब्जा कर लेगा। उनके मुताबिक, मई से अब तक तालिबान ने 50 से ज्यादा जिलों पर हमला कर कब्जा कर लिया है। कुछ दिन पहले तालिबान ने अपने एक बयान में साफ कर दिया था कि वे अफगानिस्तान में इस्लामिक कानून लागू करना चाहते हैं। उनके मुताबिक वह इस कानून के आधार पर महिलाओं को भी अधिकार देंगे। उनके इस बयान ने तालिबान शासन खत्म होने के बाद खुली हवा में सांस लेने वाली महिलाओं की चिंता बढ़ा दी है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक जानकारों की राय में अगर तालिबान दोबारा सत्ता में आता है तो यहां की महिलाओं को एक बार फिर अपने घरों में कैद रहना पड़ सकता है.
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