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तालिबान राज में अफगान महिलाएं कर रही हैं 'आत्महत्या', बेची जा रही हैं लड़कियां

जिनेवा में स्थित मानवाधिकार परिषद में बहस के दौरान अफगान संसद की पूर्व डिप्टी स्पीकर फौजिया कूफी ने कहा कि, अफगानिस्तान में महिलाओं के साथ अत्याचार हो रहा है, जिसके कारण वे मानसिक तनाव में आकर सुसाइड कर रही हैं।

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काबुल/जिनेवा 2 जुलाई : एक तरफ दुनिया के कई हिस्सों में महिला अधिकारों पर बातचीत के लिए मंच सजा दिए जाते हैं, वहीं दूसरी तरफअफगानिस्तान में लड़कियां, महिलाएं आत्महत्या कर रही हैं। उनका सरेआम शोषण किया जा रहा है। यह दुनिया के लिए एक गंभीर विषय है। जानकारी के मुताबिक,हर रोज 1 या 2 महिलाएं अपनी जिंदगी से तंग आकर आत्महत्या (Afghan women commit suicide) कर रही हैं। एक पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं की ऐसी हालत निंदनीय है।

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अफगान संसद के एक पूर्व डिप्टी स्पीकर ने क्या कहा जानें

अफगान संसद के एक पूर्व डिप्टी स्पीकर ने क्या कहा जानें

इस गंभीर विषय पर अफगान संसद के एक पूर्व डिप्टी स्पीकर ने शुक्रवार को कहा, 'हर दिन कम से कम एक या दो महिलाएं आत्महत्या करती हैं', अवसर की कमी और बीमार मानसिक स्वास्थ्य पर प्रकाश डाला, जो अफगान महिलाओं पर भारी पड़ रहा है।

एक गंभीर मुद्दा, जिस पर कार्रवाई जरूरी

एक गंभीर मुद्दा, जिस पर कार्रवाई जरूरी

यह रहस्योद्घाटन जिनेवा में मानवाधिकार परिषद (HRC) में महिला अधिकारों के मुद्दे पर हुई तत्काल बहस के दौरान हुआ। तालिबान द्वारा अधिग्रहण के बाद से देश में अधिकारों की स्थिति पर चर्चा करने के लिए एचआरसी ने अफगानिस्तान में महिलाओं और लड़कियों के मानवाधिकारों पर एक तत्काल बहस की। यह बैठक ऐसे समय हो रही है जब अफगान महिलाओं को वहां की सरकार ने उनके अधिकारों से वंचित कर दिया है और उनके साथ बुरा बर्ताव किया जा रहा है। इन परिस्थितियों में वहां की महिलाएं अपने अधिकारों के लिए आवाज उठा रही हैं। वहीं, कुछ महिलाओं ने मानसिक तनाव की वजह से आत्महत्या का सहारा ले रही हैं।

मानसिक तनाव नहीं झेल पा रही हैं

मानसिक तनाव नहीं झेल पा रही हैं

जिनेवा में स्थित मानवाधिकार परिषद में बहस के दौरान अफगान संसद की पूर्व डिप्टी स्पीकर फौजिया कूफी ने कहा कि, अफगानिस्तान में महिलाओं के साथ अत्याचार हो रहा है, जिसके कारण वे मानसिक तनाव में आकर सुसाइड कर रही हैं।

अफगान महिलाओं की दुर्गति

अफगान महिलाओं की दुर्गति

अफगान संसद की पूर्व डिप्टी स्पीकर ने अफगानिस्तान में महिलाओं की हो रही दुर्गति की चर्चा करते हुए कहा कि, वहां 9 साल और उससे बड़ी उम्र की लड़कियों को बेचा जा रहा है। उनके परिवार की आर्थिक हालत खराब नहीं है, उन्हें लगता है कि लड़कियों का अफगानिस्तान में कोई भविष्य नहीं है, उनके लिए कोई उम्मीद नहीं बची हुई है। दुनिया के लिए यह बेहद ही डरावनी तस्वीर है, क्योंकि, पूरी दुनिया आज महिला अधिकारों की बात करती है, लेकिन अफगानिस्तान में महिलाओं के साथ हो रहे सरेआम अत्याचार पर उन्होंने अपनी आंखें मूंद रखी है।

छोटी बच्चियों का शोषण

छोटी बच्चियों का शोषण


आज अफगानिस्तान में छोटी-छोटी बच्चियों का शोषण हो रहा है, उनके भविष्य के साथ खिलावाड़ किया जा रहा है, उनकी मानसिक स्थिति बिगड़ती जा रही है, वे अब सुसाइड कर रही हैं, ऐसे में विश्व के सभ्य समुदाय को तालिबान सरकार के खिलाफ अवाज उठाना चाहिए।

तालिबान सरकार की कड़ी निंदा

तालिबान सरकार की कड़ी निंदा

वहीं, अफगानिस्तान की स्थिति पर चिंता प्रकट करती, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार की प्रमुख मिशेल बाचेलेट ने अफगान में महिलाओं की दयनीय स्थिति की घोर निंदा की। उन्होंने अफगान में महिलाओं के लिए लागू किए गए ड्रेस कोड, बेरोजगारी की कड़ी निंदा की। बाचेलेट ने कहा कि 1.2 मिलियन लड़कियों की अब माध्यमिक शिक्षा तक पहुंच नहीं है।

कहां है महिलाओं का अधिकार?

कहां है महिलाओं का अधिकार?

अगस्त 2021 में सत्ता संभालने के बाद तालिबान सरकार ने महिलाओं के खिलाफ एक के बाद कई प्रतिबंधों की घोषणा कर चुकी है। तालिबान के फरमान के अनुसार वहां के महिला स्वामित्व वाले संचालित व्यवसायों को बंद कर दिया गया है। उन्होंने आगे कहा कि, उनके अफगानिस्तान दौरे के क्रम में वहां के जिन अधिकारियों से उन्होंने बातचीत की थी, वे सभी शरिया कानून का वकालत करते नजर आए थे।

एक सवाल, जिसका हल जरूरी

एक सवाल, जिसका हल जरूरी

अफगानिस्तान में महिलाओं की हालत तालिबान सरकार के आने के बाद से और भी बदतर हो चुकी है। महिलाओं के मानवाधिकारों का हनन किया जा रहा है। उन्हें बेचा जा रहा है..वे आत्महत्या कर रही हैं, और दुनिया तमाशा देख रही है। कब अफगान महिलाओं को उनका अधिकार प्राप्त होगा कब वहां कि महिलाएं चैन की जिंदगी जी पाएंगी, यह एक बड़ा सवाल है।

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English summary
Every day there are at least one or two women who commit suicide', said a former deputy speaker of the Afghan Parliament on Friday, highlighting the lack of opportunity and ailing mental health that is taking a toll on Afghan women.
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