इथियोपिया टिग्रे संकटः प्रधानमंत्री ने कहा अंतिम दौर में है लड़ाई
इथियोपिया के टिग्रे इलाक़े में सरकारी सैन्य बलों और टिग्रे विद्रोहियों के बीच छिड़ी लड़ाई ने हज़ारों लोगों को बेघर कर दिया है.
इथियोपिया के प्रधानमंत्री का कहना है कि देश के टिग्रे क्षेत्र में विद्रोहियों के ख़िलाफ़ जारी सैन्य अभियान अब अपने अंतिम चरण में है.
आबी अहमद का कहना है कि विद्रोहियों को आत्मसमपर्ण करने के लिए तीन दिन का समय दिया गया था जो अब समाप्त हो गया है.
संघीय सेना और टिग्रे विद्रोहियों के बीच दो सप्ताह से चल रही लड़ाई में सैकड़ों लोग मारे गए हैं. क़रीब 27 हज़ार लोगों ने भागकर पड़ोसी देश सूडान में शरण ली है.
संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि इस क्षेत्र में एक बड़ा मानवीय संकट शुरू हो रहा है.
टिग्रे से सटीक जाकारियों का मिलना बेहद मुश्किल है क्योंकि यहां संचार सेवाएं पूरी तरह ठप्प हैं.
इथियोपिया की संघीय सरकार और टिग्रे विद्रोहियों के बीच लड़ाई 4 नवंबर को शुरू हुई थी.
केंद्रीय सरकार ने टिग्रे पीपुल्स लिब्रेशन फ्रंट (टीपीएलएफ़) पर सेना के एक अड्डे पर हमला करके हथियार लूटने का आरोप लगाया था.
टीपीएलएफ़ के राजनीतिक दल है जो टिग्रे पर नियंत्रण करता है. केंद्र सरकार ने उस पर अवैध चुनाव कराने के आरोप भी लगए हैं.
टीपीएलएफ़ ने सैन्य अड्डे पर हमला करने के आरोपों को ख़ारिज किया है.
इस हमले के जवाब में आबी अहमद ने संघीय बलों को टिग्रे सरकार के समर्थक बलों पर हमला करने का आदेश दे दिया था.
अहमद का कहना था कि इस मामले में अंतिल लाल रेखा पार हो गई है.
वहीं टीपीएलएफ़ का कहना है कि केंद्रीय सरकार अवैध है क्योंकि आबी अहमद के पास सरकार चलाने लायक पूरा बहुमत नहीं है.
अहमद ने कोरोनावायरस की वजह से देश में आम चुनावों को टाल दिया था.
क्या लड़ाई अब अंत की ओर है?
फ़ेसबुक पर किए एक पोस्ट में आबी अहमद ने कहा है कि संघीय सैन्य बलों का अभियान अब अंतिम चरण में है.
उन्होंने कहा, क़ानून का शासन लागू करने का अंतिम अहम प्रयास अगले कुछ दिनों में किया जाएगा.
उन्होंने टीपीएलएफ़ के उन लड़ाकों का भी समर्थन किया जिन्होंने तीन दिन की समयसीमा का फ़ायदा उठाते हुए पाला बदल लिया.
हालांकि अहमद ने पाला बदलने वाले सैनिकों की संख्या जारी नहीं की है.
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार देश छोड़कर भागे इथियोपियाई नागरिकों को पूरी सुरक्षा देने और समाज में सम्मिलित करने के लिए तैयार है.
इसी बीच टीपीएलएफ़ के सलाहकार और इथियोपिया के पूर्व राजदूत फैसेहा तेसीमा ने बीबीसी से कहा कि टिग्रे के अहम शहर मेकैले में नागरिक इलाक़ों पर बमबारी की जा रही है.
फैसेहा ने कहा, 'टिग्रे के लोगों ने कुछ ग़लत नहीं किया है. वो अपने घरों में हैं, अपने चर्चों में हैं.'
वहीं संघीय सरकार ने नागरिक इलाक़ों पर हवाई हमलों के आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि सिर्फ़ सैन्य ठिकानों को ही निशाना बनाया जा रहा है.
कितना गंभीर है मानवीय संकट?
संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी संस्था यूएनएचसीआर का कहना है कि हज़ारों लोग लड़ाई से बचकर सूडान भागे हैं और एक बड़ा मानवीय संकट पैदा हो गया है.
प्रवक्ता बाबर बलोच ने बताया कि अनुमति मिलने के बाद संस्था टिग्रे में मानवीय मदद पहुंचाने के लिए पूरी तरह तैयार है.
संयु्क्त राष्ट्र का कहना है कि देश छो़ड़कर भागे लोग अपने घर से बेघर हुए लोगों का छोटा सा हिस्सा हो सकते हैं. लड़ाई और बमबारी के कारण बड़े पैमाने पर लोगों के बेघर होने का ख़तरा ज़ाहिर किया जा रहा है.
पड़ोसी देशों कीनिया और यूगांडा ने संघर्ष को बातचीत से समाप्त करने का आह्वान किया है.
हालांकि इथियोपिया की सरकार ने टीपीएलएफ़ के साथ बातचीत की संभावना से इनकार किया है.
कितने लोग मारे जा चुके हैं?
अब तक सैकड़ों लोगों के मारे जाने की ख़बरें आी हैं.
मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल का कहना है कि उसके पास मे-कद्र शहर में बीते सोमवार को बड़े पैमाने पर लोगों के मारे जाने की पुष्ट ख़बरें हैं.
लोगों पर चाकूओं से हमले किए गए हैं और उन्हें पीट-पीट कर मारा गया है.
आबी अहमद ने टिग्रे नेताओं के समर्थक बलों पर बड़े पैमाने पर हत्याएं करने के आरोप लगाए हैं.
टीपीएलएफ़ ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि वह किसी भी स्वतंत्र जांच दल का स्वागत करता है.
इथियोपिया के मानवाधिकार आयोग का कहना है कि हालात का जायाज़ा लेने के लिए वह अपना एक दल टिग्रे भेजेगा.