पृथ्वी अपने तापमान को नियंत्रित करने में खुद सक्षम है, ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ते खतरे के बीच चौंकाने वाली खोज
Future predictions of Global Warming: पृथ्वी युगों-युगों से अपने तापमान को खुद से ही नियंत्रित करती आ रही है। मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों ने यह ताजा खोज की है। दरअसल, दुनिया इस समय ग्लोबल वार्मिंग की वजह से जलवायु परिवर्तन का सामना कर रही है। ऐसे में यह संभव है कि पृथ्वी बढ़ते हुए तापमान को खुद से ही स्थरिता के स्तर पर ले आए। लेकिन, दिक्कत ये है कि पृथ्वी की यह प्रक्रिया पूरी होने में बहुत ही लंबा समय लग सकता है। इतना लंबा कि तबतक ग्लोबल वार्मिंग के असर से जीवन को बचाना ही मुश्किल हो जा सकता है।
पृथ्वी अपने तापमान को नियंत्रित करने में खुद सक्षम-शोध
मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों ने एक नई खोज की है। इसके मुताबिक पृथ्वी के पास एक अपना तंत्र है, जिससे वह वैश्विक तापमान को स्थिर और रहने योग्य दायरे में रखने में सक्षम है। जब दुनिया को ग्लोबल वार्मिंग के चलते जलवायु परिवर्तन के खतरे का सामना करना पड़ रहा है, ऐसे में यह खोज बहुत ही अच्छी मानी जा सकती है। लेकिन, चौंकाने वाली है कि फिलहाल विश्व को इन चुनौतियों से निजात मिलने की फिर भी उम्मीद नहीं लग रही। क्योंकि, पृथ्वी को अपने तापमान को खुद से नियंत्रित करने में लाखों साल लग सकते हैं। वैसे यह सही है कि उसके पास जो तंत्र है, उसके माध्यम से वह जलवायु को पूर्ण विनाश की स्थिति से लगातार खींच लाती है। लेकिन, इससे हमारा संकट टलता नजर नहीं आ रहा।
आज की समस्या का हल कैसे निकलेगा ?
यह शोध जर्नल साइंस एडवांसेज में छपा है। यूनिवर्सिटी की ओर से जारी एक रिलीज के मुताबिक एमआईटी के पृथ्वी, वायुमंडलीय और ग्रह विज्ञान विभाग के एक ग्रैजुएट स्टूडेंट कॉन्स्टेंटिन अर्न्शचेइड्ट ने कहा है, 'एक तरफ तो यह अच्छा है, क्योंकि हम जानते हैं कि आज की ग्लोबल वार्मिंग धीरे-धीरे पृथ्वी के तापमान स्थिर करने के तंत्र की वजह से आखिरकार खत्म हो जाएगा।......लेकिन, दूसरी तरफ ऐसा होने में लाखों वर्ष लग जाएंगे, यानि यह इतनी तेजी से नहीं होगा जिससे आज की समस्या का हल निकल सके।'
3.7 अरब वर्षों में कई बार आश्चर्यजनक बदलाव संभव हुए
शोधकर्ताओं ने पाया है कि पिछले 3.7 अरब वर्षों में जलावायु में कई बार आश्चर्यजनक बदलाव हुए हैं। मसलन, वैश्विक ज्वालामुखी गतिविधियों और हिम युगों की अवधियों के बावजूद पृथ्वी वापस इसपर जीवन को मुकम्मल बनाए रखने में सफल हुई है। यानि इस शोध का सीधा निष्कर्ष है कि पृथ्वी पर चाहे ग्लोबल वार्मिग की वजह से फिलहाल जो भी बदलाव देखने को मिल रहे हैं, वह हमेशा के लिए नहीं हैं। लेकिन, सबसे बड़ा सवाल है मौजूदा जीवन को उसके द्वारा सबकुछ फिर से सामान्य हो जाने के भरोसे छोड़ना कैसे संभव है।
तापमान नियंत्रित करने का पृथ्वी वाला मेकेनिज्म क्या है ?
सवाल है कि धरती अपने तापमान को खुद से कैसे नियंत्रित करती है? एमआईटी के शोधकर्ताओं के मुताबिक यह 'सिलेकिट अपक्षय' के जरिए होता है। वैज्ञानिकों को लगता है कि इस प्रक्रिया के माध्यम से धरती का कार्बन साइकिल नियंत्रित होता है। हालांकि, किसी शोध में इस तरह का नतीजा पहली बार आया है। कॉन्स्टेंटिन का कहना है, 'आपके पास ऐसा ग्रह है, जिसकी जलवायु में कई तरह के नाटकीय बाहरी बदलाव देखे जाते हैं। लेकिन, आखिरकार हर बार जीवन क्यों बचा रहा? एक तर्क यह है कि तापमान को हमेशा जीवन के अनुकूल बनाए रखने के लिए हमें किसी प्रकार के स्थिर रखने वाले तंत्र की आवश्यकता है।' उनके मुताबिक, 'लेकिन डेटा से यह कभी प्रदर्शित नहीं हुआ था कि इस तरह के तंत्र ने पृथ्वी की जलवायु को बार-बार नियंत्रित किया है।'
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वैज्ञानिकों ने कैसे जुटाए अरबों साल पुराने आंकड़े ?
इस बात की पुष्टि के लिए कि क्या सही में पृथ्वी के पास तापमान को स्थिर करने वाला अपना कोई तंत्र है, शोधकर्ताओं की टीम ने करोड़ों वर्षों के वैश्विक तापमान के उतार-चढ़ाव का विश्लेषण किया है। वैज्ञानिक प्राचीन समुद्री जीवाश्मों की रासायनिक संरचना के साथ-साथ संरक्षित अंटार्कटिक बर्फीले कोर के सैंपलों का उपयोग करके इस डेटा को संकलित करने में लगे हुए हैं। शोध छात्र ने बताया कि 'यह पूरा अध्ययन केवल इसलिए संभव हुआ है, क्योंकि इन गहरे समुद्र के तापमान के रिकॉर्डों का विश्लेषण कर पाने में काफी प्रगति हुई है।' उन्होंने बताया कि 'अब हमारे पास ' 6.6 करोड़ साल पुराने आंकड़े हैं, जो कि हजारों वर्षों के अंतराल के हैं।'