डोनाल्ड ट्रंप सही थे- कोरोना के खिलाफ 200% प्रभावी है हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन, दुनिया से बहुत बड़ा धोखा हुआ?
वैज्ञानिकों ने रिसर्च के आधार पर रिपोर्ट जारी करते हुए कहा है कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के इस्तेमाल से कोरोना पीड़ित मरीजों की जिंदगी 200 प्रतिशत ज्यादा रफ्तार से बताई जा सकती है।
वॉशिंगटन, जून 11: पिछले साल जब कोरोना वायरस अमेरिका में काफी खतरनाक कहर बरपा रहा था, उस वक्त आपको याद होगा कि तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया था कि मलेरिया के खिलाफ काम आने वाली दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन कोरोना वायरस के खिलाफ काफी प्रभावी है और इस दवा के इस्तेमाल से कोरोना वायरस संक्रमितों की जान बचाई जा सकती है। डोनाल्ड ट्रंप के उस दावे के खिलाफ अमेरिका के कुछ वैज्ञानिकों ने खूब आलोचना की थी, जिनमें डॉ. एंथनी फाउची भी शामिल थे। लेकिन, अब खुलासा हुआ है कि डोनाल्ड ट्रंप ने जो कहा था वो सही कहा था।
हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन है असरदार
वैज्ञानिकों ने रिसर्च के आधार पर रिपोर्ट जारी करते हुए कहा है कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के इस्तेमाल से कोरोना पीड़ित मरीजों की जिंदगी 200 प्रतिशत ज्यादा रफ्तार से बताई जा सकती है और कोरोना के गभीर मरीजों के खिलाफ ये दवा काफी कारगर है। रिसर्च के दौरान वैज्ञानिकों को पता चला है कि जो मरीज कोरोना वायरस की वजह से वेंटिलेटर तक पहुंच गये हैं और जिनके बचने की उम्मीद काफी कम हो गई है, उन मरीजों को जब हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा की हाई डोज जिंक के साथ दी गई, तो उनकी सेहत में आश्चर्यजनक तरीके से सुधार हो गया। डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले साल मार्च में कहा था कि वो हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा का इस्तेमाल कोरोना वायरस संक्रमण से बचने के लिए कर रहे हैं। डोनाल्ड ट्रंप अक्टूबर महीने तक कोरोना वायरस से संक्रमित नहीं हुए थे और इस दौरान उन्होंने मास्क का भी इस्तेमाल नहीं किया था।
ट्रंप ने कहा था हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन को चमत्कार
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा को कोरोना वायरस के खिलाफ एक चमत्कार होने का दावा किया था लेकिन उस वक्त अमेरिका के कई वैज्ञानिकों ने उन्हें सिरे से खारिज कर दिया था और डॉक्टरों को निर्देश दिया था कि वो हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा का इस्तेमाल मरीजों पर नहीं करें। डोनाल्ड ट्रंप की आलोचना करने वालों में सबसे आगे डॉ. एंथनी फाउची भी शामिल थे, जिनके ऊपर कोरोना वायरस बनाने के लिए चीन की वुहान लैब को फंड देने का आरोप लगा है। ऐसे में सवाल ये है कि क्या हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के खिलाफ सिर्फ इसलिए तो प्रचार नहीं किया गया, कि लोग कहीं ठीक होने ना लग जाएं और जो साजिश चल रही है, वो कहीं खराब ना हो जाए ? क्या इंसानों के खिलाफ विश्व के कुछ बड़े वैज्ञानिकों ने बहुत बड़ी साजिश रची है? क्या ये साजिश भारत के भी खिलाफ है, क्योंकि भारत दुनिया में सबसे ज्यादा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन का उत्पादन करता है और पिछले साल डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा की मांग की थी।
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डोनाल्ड ट्रंप गुट की प्रतिक्रिया
अमेरिका के न्यू-जर्सी स्थिति संत बरनबास मेडिकल सेंटर में कोरोना वायरस से काफी क्रिटिकल हो चुके 255 मरीजों पर हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा को लेकर रिसर्च किया गया है और इसकी रिपोर्ट को 31 मई को medRxiv मेडिकल वेबसाइट पर पब्लिश किया गया है। वहीं, हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन को लेकर हुए नये रिसर्च के बाद डोनाल्ड ट्रंप के प्रवक्ता ने ट्वीट कर आलोचना करने वाले वैज्ञानिकों पर सवाल उठाए हैं। डोनाल्ड ट्रंप के प्रवक्ता जेसन मिलर ने ट्वीट करते हुए कहा कि 'स्टडी से पता चला है कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन और जिंक के इस्तेमाल से कोरोना वायरस से जिंदा रहने की उम्मीद आश्चर्यजनक तौर पर करीब तीन गुना बढ़ जाती है।'
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ट्रंप के बेटे का ट्वीट
वहीं, डोनाल्ड ट्रंप के बेटे जूनियर ट्रंप ने ट्वीट के जरिए कहा है कि 'पिछले हफ्ते हमें पता चला है कि मीडिया, तथा-कथित फैक्ट चेकर्स, बड़े बड़े बिजनेस कंपनियों ने पहले लैब लीक थ्योरी को लेकर झूठ बोला था और अब हमें पता चल रहा है कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन भी कोरोना के खिलाफ असरदार है। क्या यह सब झूठ सिर्फ डोनाल्ड ट्रंप को बदनाम करने के लिए था? आखिर इन्होंने इतना बड़ा झूठ क्यों बोला'
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डॉ. एंथनी फाउची खामोश क्यों ?
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के करीबी और व्हाइट हाउस के प्रमुख डॉक्टर ने अभी तक हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन को लेकर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। जबकि उन्होंने सबसे ज्यादा बार हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के खिलाफ बोला था। डॉ. एंथनी फाउची पर चीन के वुहान लैब को एक एनजीओ के जरिए फंड देने का आरोप लगा है। इसके साथ ही डॉ. एंथनी फाउची पर चीन के महामारी विभाग के डायरेक्टर के साथ ई-मेल पर हुई बातचीत का भी खुलासा हुआ है। इतना ही नहीं, डॉ. एंथनी फाउची ने वैक्सीन को लेकर बिल गेट्स के साथ भी कोरोना वायरस के शुरूआती दिनों में बात की थी। ऐसे में सवाल ये उठ रहे हैं कि क्या एक बहुत बड़ी साजिश के तहत विश्व के 37 लाख लोगों की जान तो नहीं ले ली गई? क्या वैक्सीन कंपनियों ने वैक्सीन बेचकर अरबों-खरब कमाने के लिए इंसानों के साथ सबसे बड़ा षडयंत्र तो नहीं किया है? वहीं, काफी ज्यादा महंगा इंजेक्शन रेमडेसिविर का इस्तेमाल पूरी दुनिया में काफी ज्यादा किया गया, जबकि उसी को लेकर कोई खास स्टडी नहीं की गई थी।
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नई स्टडी में क्या पता चला है ?
नई स्टडी में पता चला है कि 'हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन और एजिथ्रोमाइसिन का ज्यादा डोज देने से कोरोना से क्रिटिकल अवस्था में भी पहुंच गये लोगों की जिंदगी 200 फीसदी ज्यादा बच सकती है।' वहीं, डोनाल्ड ट्रंप के समर्थक और मार्जोरी टेलर ग्रीन ने सवाल उठाया है कि 'डॉ. एंथनी फाउची ने कहा था कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन बिल्कुल प्रभावी नहीं है और इससे लोगों की मौत हो सकती है, लेकिन रिसर्च में कितने लोगों की मौत हुई है? डोनाल्ड ट्रंप बिल्कुल सही थे और इसी लिए उन्हें तमाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से बैन कर दिया गया था'। आपको बता दें कि पिछले साल अप्रैल में डोनाल्ड ट्रंप ने अपने ट्वीट में कहा था कि 'हमने काफी ज्यादा संख्या में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवाई मंगवा ली है, जो मुझे लगता है कि काफी कारगर है और ये मलेरिया की दवा है। हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन वायरस के खिलाफ अविश्वसनीय तरीके से काम करता है और ये मलेरिया के खिलाफ काफी शक्तिशाली दवा है। और हमें पता चला है कि कोरोना वायरस के खिलाफ ये काफी प्रभावी है।' डोनाल्ड ट्रंप ने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन को लेकर 20 से ज्यादा ट्वीट किए थे, लेकिन डॉ. एंथनी फाउची समेत कुछ डॉक्टरों के कहने पर हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन का इस्तेमाल अमेरिका में नहीं किया गया था।
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