Coronavirus के लक्षण दिखने से पहले ही मरीजों को सूंघकर पहचान लेंगे कुत्ते, UK में चल रही है ट्रेनिंग
नई दिल्ली- लंदन में स्पेशल स्निफर डॉग्स को एक खास ट्रेनिंग देने की तैयारी चल रही है, जिसके बाद वह कोरोना वायरस के बिना लक्षण वाले मरीजों को भी सूंघकर पहचान लेगें। दरअसल, ऐसी कई बीमारियां हैं, जिसके मरीजों का पता लगाने में प्रशिक्षित कुत्ते सक्षम हैं। वैज्ञानिकों को कुत्ते की इसी विशेष क्षमता ने कोरोना वायरस के मरीजों के मामले में भी आगे बढ़ने का हौसला दिया है। अगर ये ट्रेनिंग कामयाब रही है तो भले ही कोरोना की दवा या वैक्सीन आने में थोड़ी देर लगे, ट्रेंड कुत्ते कोरोना के खिलाफ जारी जंग को काफी आसान बना सकते हैं।
अब कोरोना के मरीजों को सूंघकर पहचान लेंगे कुत्ते!
यूके में कुछ स्निफर डॉग्स को ट्रेनिंग की दी जा रही है,ताकि वह उन कोरोना वायरस के मरीजों में लक्षण आने से पहले ही उनकी पहचान कर सकें। दरअसल, पहले यह बात साबित हो चुकी है कि मलेरिया, कैंसर और पार्किंसन्स के मरीजों में कुछ खास तरह की गंध होती है, जिन्हें प्रशिक्षित कुत्ते सूंघकर पहचान सकते हैं। अब अनुसंधानकर्ताओं की एक टीम इसी उम्मीद के साथ कोविड-19 के मरीजों को भी उनके विशेष गंध के आधार पर पहचानने के लिए कुछ खास कुत्तों को ट्रेनिंग देने जा रहे हैं। ये ट्रेनिंग अगले दो हफ्तों में शुरू होने वाली है। इस प्रोजेक्ट को अंजाम तक पहुंचाने के लिए लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन और ट्रॉपिकल मेडिसीन, डरहम यूनिवर्सिटी और चैरिटी मेडिकल डिटेक्शन डॉग्स के साथ मिलकर काम करने वाला है। इस टीम ने पहले मार्च में अपने इस अभियान का ऐलान किया था और अब ब्रिटिश सरकार ने इसके लिए 6,10,000 डॉलर यानि करीब 4,63,60,000 रुपये का फंड दिया है।
एक घंटे में 250 लोगों की स्क्रीनिंग कर सकेंगे कुत्ते
अगर यह ट्रेनिंग कामयाब रही तो स्निफर डॉग्स एक घंटे में 250 लोगों तक की स्क्रिनिंग में सक्षम होंगे और इनका एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशनों और बाकी यातायात के ठिकानों समेत बड़ी-बड़ी भीड़भाड़ वाली जगहों में इस्तेमाल किया जा सकेगा। ट्रेनिंग के लिए इस्तेमाल होने वाले मेडिकल डिटेक्शन डॉग्स के खास कुत्तों को पहले उन हेल्थकेयर वर्कर्स के सैंपल सुंघाए जाएंगे, जो कोविड-19 टेस्ट में पॉजिटिव आए हैं, लेकिन उनमें कोरोना वायरस के कोई लक्षण नहीं दिखाई दे रहे हैं। इसके लिए उन्हें कुछ घंटों तक नायलॉन की जुराबें और फेस मास्क पहनने के लिए दिया जाएगा, ताकि वो उनके खास गंध को सोख लें। इनमें से कुछ सैंपल को डॉग्स ट्रेनिंग सेंटर में भेजा जाएगा, जिन्होंने कोरोना वायरस के गंध की पहचान के लिए 6 स्पेशलिस्ट कुत्तों की पहचान की है और उन्हें 'सुपर सिक्स' का नाम दिया गया है। ये ट्रेनिंग और ट्रायल तकरीबन 8 से 10 हफ्ते चलेगी।
वैज्ञानिक भी करेंगे कोरोना की 'स्मेल' पर काम
लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन और ट्रॉपिकल मेडिसीन के डिपार्टमेंट ऑफ डिजीज कंट्रोल के हेड और इस प्रोजेक्ट के मुख्य अनुसंधानकर्ता प्रोफेसर जेम्स लोगान ने कहा है, 'जिन लोगों में लक्षण दिखाई देंगे उन्हें इस स्टडी में शामिल नहीं किया जाएगा और यह बहुत ही महत्वपर्ण पहलू है। जैसा कि हम कुछ और बीमारी में शुरुआती अवस्था में लक्षण आने से पहले ही इंफेक्शन का पता लगा लेते हैं, हमें भरोसा है कि यही कोविड-19 के साथ भी हो सकता है।' जब सैंपल जुटा लिए जाएंगे तो उनमें से आधे को वैज्ञानिकों के पास भेजा जाएगा, ताकि वह पता लगाएं के गंध में कौन सी रसायन है या कोविड-19 कि स्मेल कैसी है। जबकि, सैंपल के दूसरे हिस्से को लंदन के बाहरी इलाके में स्थित डॉग्स सेंटर में भेजा जाएगा जहां 'सुपर सिक्स' स्निफर डॉग्स को उसकी गंध पहचानने की ट्रेनिंग दी जाएगी।
कई देशों में हो रहा है कुत्तों पर काम
टीम
को
उम्मीद
है
कि
अगस्त
से
सितंबर
तक
उन्हें
इसके
सही
नतीजे
मिल
जाएंगे
और
तब
सही
लगेगा
तो
इस
बात
पर
काम
किया
जाएगा
कि
इसे
बड़े
पैमाने
पर
इस्तेमाल
कैसे
किया
जा
सके।
डरहम
यूनिवर्सिटी
के
पब्लिक
हेल्थ
एंटोमोलॉजिस्ट
प्रोफेसर
स्टीव
लिंडसे
ने
कहा
है,
'बेसिक
आइडिया
ये
है
कि
हम
उन
यात्रियों
का
पता
लगा
सकें
जो
इस
देश
में
अनजाने
में
आ
गए
हैं,
लेकिन
वह
कोविड-19
लेकर
आए
हैं,
ऐसे
लोगों
को
पहचान
कर
और
उन्हें
बाकी
समुदाय
से
अलग
आइसोलेट
कर
सकें।'
कोरोना
वायरस
का
पता
लगाने
के
लिए
कुत्तों
की
क्षमता
का
पता
लगाने
पर
सिर्फ
यूके
में
ही
काम
नहीं
चल
रहा
है,
कुछ
और
देश
भी
इस
काम
में
लगे
हैं।
अमेरिका
की
पेंसिलवेनिया
यूनिवर्सिटी
में
कुत्तों
को
इसके
लिए
तैयार
किया
जा
रहा
है
ताकि
वह
कोविड-19
पॉजिटिव
और
निगेटिव
मरीजों
की
पहचान
कर
सकें।
ऐसी
ही
ट्रेनिंग
फ्रांस
और
इरान
में
भी
चल
रही
है।
(तस्वीरें
सौजन्य-
सोशल
मीडिया)
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