
नेपाल में सरकार बनाने के लिए देउबा और प्रचंड हुए तैयार, भारत या चीन... किसे होगा फायदा?
Nepal Election Result: नेपाल में नई सरकार की गठन को लेकर अब धीरे धीरे तस्वीर साफ होने लगी है और नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा और सीपीएन-माओवादी सेंटर के अध्यक्ष पुष्पकमल दहल प्रचंड देश में नई सरकार बनाने के लिए तैयार हो गये हैं। शनिवार को राजधानी काठमांडू में एक बैठक के दौरान दोनों ही नेता देश में नई बहुमत वाली सरकार के हिस्से के रूप में अपने सत्तारूढ़ पांच दलों के गठबंधन को जारी रखने पर सहमत हो गये हैं। इसके साथ की पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार बनाने की कोशिशों को बहुत बड़ा झटका लग गया है।

देउबा-प्रचंड सरकार गठन को तैयार
नेपाल संसदीय चुनाल में डायरेक्ट वोटिंग के तहत डाले गये वोटों की गिनती अब करीब करीब खत्म होने वाली है और 20 नवंबर को हुए चुनाव के बाद अब विभिन्न राजनीतिक दलों ने सरकार बनाने के प्रयास तेज कर दिए हैं। लेकिन, अभी तक चुनावी परिणाम से ये बात साफ है, तकि पिछले एक दशक से राजनीतिक अस्थिरता का शिकार रहे नेपाल में इस चुनाव के बाद भी स्थिरता आने की संभावना नहीं है, क्योंकि किसी भी राजनीतिक दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिला है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री देउबा और सीपीएन-माओवादी सेंटर के अध्यक्ष प्रचंड ने काठमांडू के बालुवातार में प्रधानमंत्री आवास पर मुलाकात की। सीपीएन-माओवादी सेंटर की स्टैंडिंग कमेटी के सदस्य गणेश शाह ने कहा कि, बैठक के दौरान, दोनों नेताओं ने मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रमों पर चर्चा की और नई सरकार के गठन की संभावनाओं का पता लगाया।

सरकार बनाने पर बात फाइनल
नेपाली मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, गणेश शाह ने कहा कि, "दोनों नेता वर्तमान सत्तारूढ़ गठबंधन को जारी रखने के लिए एक समझ तक पहुंच गए हैं।" इसके साथ ही उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि, पांच दलों के गठबंधन के पास बहुमत वाली सरकार बनाने के लिए संसद में पर्याप्त ताकत होगी। शाह ने पीटीआई-भाषा से कहा कि, "उपेंद्र यादव के नेतृत्व वाली जनता समाजवादी पार्टी भी नेपाली कांग्रेस के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल होगी और दोनों मधेसी पार्टियों के समर्थन से हमारे पास सरकार बनाने के लिए पर्याप्त बहुमत होगा"।

गठबंधन में कौन कौन होंगे शामिल?
इस गठबंधन में प्रधानमंत्री देउबा के नेतृत्व वाली नेपाली कांग्रेस, प्रचंड के नेतृत्व में सीपीएन-माओवादी, माधव नेपाल के नेतृत्व वाली सीपीएन-यूनिफाइड सोशलिस्ट, महंत ठाकुर की लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी और चित्रा बहादुर के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनमोर्चा शामिल हैं। आपको बता दें कि, इन पांच दलों के सत्तारूढ़ गठबंधन ने अब तक 82 सीटें हासिल की हैं, जबकि पूर्व प्रधानमंत्री केपी ओली के नेतृत्व वाले सीपीएन-यूएमएल गठबंधन ने डायरेक्ट वोटिंग के तहत 52 सीटें हासिल की हैं। वहीं, अब इसी बात की सबसे ज्यादा संभावना है, कि डायरेक्ट वोटिंग और आनुपातिक चुनाव के पूरे नतीजे आने के बाद भी सत्तारूढ़ देउबा गठबंधन के पास ही बहुमत रहेगा।

भारत-चीन, किसकी करीबी सरकार?
देउबा-प्रचंड गठबंधन का सरकार बनना भारत के लिए अच्छी बात है और पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली का हारना चीन के लिए बहुत बड़ा झटका है। केपी शर्मा ओली चीन के समर्थक हैं, जबकि देउबा भारत के करीबी माने जाते हैं। वहीं, देउबा का समर्थन करने वाले प्रचंड भी हालिया महीनों में भारत के करीब आए हैं। इसी साल अपने भारत दौरे के दौरान प्रचंड ने नई दिल्ली में बीजेपी दफ्तर का दौरा किया था, जहां उनका स्वागत बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने किया था। इस मुलाकात के बाद ही कयास लगाए जा रहे थे, कि प्रचंड का अब रूख भारत को लेकर बदल गया है। वहीं, पीएम बनने के बाद शेर बहादुर देउबा भी अपने भारत दौरे के दौरान बीजेपी दफ्तर पहुंचे थे और उन्होंने अपने महज एक साल के कार्यकाल में दो बार पीएम मोदी से मुलाकात की। देउबा के कार्यकाल के दौरान नेपाल सरकार ने चीन के बीआरई प्रोजेक्ट की कुछ परियोजनाओं को रद्द करने का भी काम किया, वहीं चीन के कर्ज के एक बड़े पैकेज को भी ठुकरा दिया था। देउबा सरकार ने लगातार चीन को शक की निगाहों से देखा है, लिहाजा देउबा गठबंधन की सरकार बनना भारत के पक्ष में जरूर है, लेकिन फिर भी भारत को नेपाल की नई सरकार को लेकर सतर्क रहना होगा और नेपाल में चीन की गतिविधियों पर नजर रखनी होगी।
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