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दक्षिण अफ्रीका को सता रहा Covid Vaccine चोरी का डर, गुप्त जगह पर रखी जाएगी वैक्सीन

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Covid Vaccine At Secret Place In South Africa: दक्षिण अफ्रीका की सरकार अगले कुछ हफ्तों में भारत से पहुंचने वाली कोरोना वायरस वैक्सीन की 15 लाख डोज को गुप्त स्थान पर रखने की तैयारी में है। दक्षिण अफ्रीकी सरकार ऐसा इसलिए कर रही है क्योंकि सरकार को डर है कि कोविड वैक्सीन को ब्लैक मार्केट के रेट पर बेचने के लिए चोरी किया जा सकता है।

चोरी से बचाने के लिए नहीं दी स्थान की जानकारी

चोरी से बचाने के लिए नहीं दी स्थान की जानकारी

स्वास्थ्य विभाग के प्रवक्ता पोपो माजा ने रविवार को पत्रकारों को बताया कि "एक बार चोरी हो जाने और काला बाजार में पहुंचने के बाद ये वैक्सीन बहुत ही ऊंचे दाम पर बिकने वाली चीज बन जाएगी।" उन्होंने आगे कहा कि अगर ऐसा होता है तो इन वैक्सीन की कीमत बेतहाशा बढ़ जाएंगी जो लोगों की पहुंच से बाहर होगी।

पोपो माजा ने कहा "वैक्सीन पहुंचने पर इसकी खेप को एक केंद्रीय स्थान पर रखा जाएगा जहां से इसे अस्पताल और क्लीनिक फॉर्मेसी को भेजा जाएगा जहां वे इसे स्टोर कर सकेंगे।"

उन्होंने बताया कि "इसके सुरक्षा कारण भी हैं क्योंकि जिन देशों में इसका टीकाकरण शुरू किया गया है उन्होंने हमें चेताया है कि इसकी बड़ी मात्रा में चोरी हो रही है। इसलिए हम ये नहीं बता सकते कि वैक्सीन को किस जगह पर इकठ्ठा किया जा रहा है।"

दक्षिण अफ्रीका में खतरनाक कोरोना वायरस की दूसरी लहर के चलते तेजी से केस बढ़ रहे हैं। इसी बीच देश में कोरोना वायरस के एक नए वेरिएंट का पता चला है जो अब तक फैल रहे स्ट्रेन के मुकाबले अधिक संक्रामक है। रविवार को दक्षिण अफ्रीका में 21,600 नए कोरोना वायरस के मामले सामने आए हैं जबकि 399 लोगों की मौत इस वायरस के चलते हुई है।

स्वास्थ्य मंत्री ने संसद में दी थी जानकारी

स्वास्थ्य मंत्री ने संसद में दी थी जानकारी

पिछले सप्ताह स्वास्थ्य मंत्री ज्वेली मखीज ने संसद में बताया था कि दक्षिण अफ्रीका ने भारत से एस्ट्राजेनेका कोविड वैक्सीन की 15 लाख डोज सुरक्षित कर ली हैं। भारत में एस्ट्राजेनेका की कोविड-19 वैक्सीन का निर्माण सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया कर रही है। इस वैक्सीन को भारत सरकार ने भी देश में आपात उपयोग की अनुमति दी है।

भारत से 10 लाख डोज इस महीने के अंत तक दक्षिण अफ्रीका पहुंचने की संभावना है जबकि 5 लाख डोज फरवरी में पहुंचेगी। ये वैक्सीन सबसे पहले सरकारी और निजी क्षेत्र में काम कर रहे फ्रंट लाइन स्वास्थ्य कर्मियों को दी जाएगी।

मंत्री मखीज ने बताया कि भारत से आने वाली कोरोना वायरस वैक्सीन को अभी दक्षिण अफ्रीकी स्वास्थ्य नियामक ने मंजूरी नहीं दी है।

उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग के साथ-साथ दक्षिण अफ्रीकी स्वास्थ्य उत्पाद विनियामक प्राधिकरण (SAHPRA) की टीमें सभी नियमों और प्रक्रियाओं को लेकर एक दूसरे के साथ मिलकर काम कर रही हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वैक्सीन को रोलआउट करने के लिए कोई अनावश्यक देरी न हो।

सरकार ने सीधे निर्माता से किया सौदा

सरकार ने सीधे निर्माता से किया सौदा

उन्होंने कहा "हम सब खुश हैं कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और एस्ट्राजेनेका वैक्सीन को पहले ही विभिन्न नियामकों से मंजूरी मिल चुकी है और कई देशों में इसका वितरण किया जा रहा है।"

एक सवाल के जवाब में कि क्या भ्रष्टाचार के चलते वैक्सीन की कीमतें बहुत ज्यादा हो सकती हैं जैसा कि पहले पीपीई किट में हो चुका है, मखीज ने बताया कि वैक्सीन में किसी तरह का भ्रष्टाचार नहीं होगा क्योंकि ये सौदा सीधे और दक्षिण अफ्रीका की सरकार और निर्माता (सीरम इंस्टीट्यू) के बीच हुआ है और इसमें बिचौलियों की कोई भूमिका नहीं है।

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English summary
covid vaccine south africa to store at secret place
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