भारतीय मूल की अमेरिकी किशोरी का बड़ा कमाल, कोरोना की संभावित दवा के लिए जीते 25,000 अमेरिकी डॉलर
नई दिल्ली। भारतीय मूल की अमेरिकी किशोरी ने एक अनोखी खोज के लिए 25,000 अमेरिकी डॉलर का पुरस्कार जीता है, यह खोज कोविड-19 का एक संभावित उपचार प्रदान कर सकती है। 14 वर्ष की अनिका चेबरोलू ने प्राइज '3एम यंग साइंटिस्ट चैलेंज' में जीता है। मालूम हो कि '3एम यंग साइंटिस्ट चैलेंज' यूएस की एक प्रमुख माध्यमिक विद्यालय विज्ञान प्रतियोगिता है, जिसे कि हर वर्ष '3एम' मिनेसोटा स्थित एक अमेरिकी विनिर्माण कंपनी आयोजित कराती है।
अपनी इस कामयाबी पर खुश होते हुए टैक्सेस में पढ़ने वाली अनिका ने कहा कि वो साल 2019 में इन्फ्लूएंजा संक्रमण से जूझ रही थीं, इसी दौरान उन्होंने फैसला किया था वो '3एम यंग साइंटिस्ट चैलेंज' में हिस्सा लेंगी क्योंकि वो इन्फ्लूएंजा का इलाज खोजना चाहती थी, उन्हें लगा उनके जैसे ना जाने कितने लोग इस घातक संक्रमण से जूझते होंगे इसलिए इस दिशा में काम करना बहुत ज्यादा जरूरी है।
कोरोना वायरस ने बहुत कुछ बदल दिया
लेकिन पूरे विश्व में हुए कोरोना अटैक की वजह से सारी स्थिति बदल गई और इसके बाद उनका सारा फोकस सार्स-सीओवी-2 संक्रमण पर आ गया,फिलहाल वो अपनी इस कामयाबी का सारा श्रेय अपनी मेहनत और अपने घरवालों को देती हैं, उन्होंने कहा कि मैं अमेरिका के शीर्ष युवा वैज्ञानिकों की सूची में शामिल होकर खुश हूं।
अनिका ने किया इन-सिलिको पद्धति का उपयोग
आपको बता दें कि अनिका चेबरोलू ने एक अणु (molecule) विकसित किया है जो कोरोनावायरस के एक निश्चित प्रोटीन को बांध सकता है और इसे अटैक करने से रोक सकता है, अनिका ने कहा कि इस घातक वायरस की संभावित दवा को खोजने के लिए कई कंप्यूटर प्रोग्रामों को इस्तेमाल किया और इन-सिलिको पद्धति का उपयोग किया है। अनिका ने कहा कि उनके दादा जी, जो खुद रसायन विज्ञान के प्रोफेसर थे, ने उन्हें विज्ञान पढ़ने के लिए प्रेरित किया, वो उन्हीं की तरह प्रोफेसर बनना चाहती हैं और विज्ञान के क्षेत्र में काफी कुछ करना चाहती हैं।
कुल संक्रमितों की संख्या करीब 84 लाख
आपको बता दें कि पूरा विश्व कोरोना से जंग लड़ रहा है, कोरोना के सबसे ज्यादा मरीज अमेरिका में ही हैं, यहां अब एक्टिव केस की संख्या बढ़कर अब 27 लाख के पार पहुंच गई है जबकि कुल संक्रमितों की संख्या करीब 84 लाख है, पिछले 24 घंटे में 45 हजार नए मामले आए और 448 संक्रमितों की जान चली गई है।
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