क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

कोरोना: ब्रिटेन में मौजूद भारतीयों को किन हालातों से गुज़रना पड़ रहा है?

करोनो वायरस की वजह से एक देश से दूसरे देश जाने वाले यात्रियों के लिए कुछ ऐसे हालात पैदा हो गए हैं जिनके बारे में उन्होंने सोचा भी नहीं था. इसने दुनिया भर में लोगों की दिनचर्या के अलावा उनकी योजनाओं को बुरी तरह से बदल दिया है. पिछले कुछ हफ़्तों में ब्रिटेन गए भारतीय लोगों को कोरोना वायरस की वजह से बेहद मुश्किल हालातों का सामना करना पड़ा है. 

By गगन सभरवाल
Google Oneindia News
कोरोना
Getty Images
कोरोना

करोनो वायरस की वजह से एक देश से दूसरे देश जाने वाले यात्रियों के लिए कुछ ऐसे हालात पैदा हो गए हैं जिनके बारे में उन्होंने सोचा भी नहीं था.

इसने दुनिया भर में लोगों की दिनचर्या के अलावा उनकी योजनाओं को बुरी तरह से बदल दिया है. पिछले कुछ हफ़्तों में ब्रिटेन गए भारतीय लोगों को कोरोना वायरस की वजह से बेहद मुश्किल हालातों का सामना करना पड़ा है.

ब्रिटेन में ऐसे ही कुछ लोगों ने बीबीसी को अपनी आपबीती सुनाई है

अरविंद कुमार मंडावा, उम्र-38 साल, सॉफ्टवेयर इंजीनियर, लीड्स

कोरोना वायरस को लेकर ब्रिटेन में जो अभी हालात बने हुए हैं, उसे लेकर मैं बहुत दुखी हूँ. यह मेरे और मेरे परिवार के लिए काफ़ी तनावपूर्ण समय रहा है.

मेरे माता-पिता हैदराबाद से तीन महीने के लिए मेरे पास साथ रहने आए थे. चूंकि हम दोनों पति-पत्नी यहां नौकरी करते हैं तो वो इस दौरान हमारे दो छोटे-छोटे बच्चों का भी ख्याल रखते हैं. वे 5 मार्च को आए थे और पांच जून को जाने वाले थे.

लेकिन कोरोना वायरस से जो हालात पैदा हुए हैं उसने हमारी सारी योजना को बदल कर रख दिया. क्योंकि सरकार से जो निर्देश मिल रहे थे, उससे हम असमंजस की स्थिति में फँस गए थे. पहले हमें कहा गया कि अगर हमें सात दिनों के लिए अलग रखा जाएगा फिर इसे बदल कर 14 दिनों के लिए कर दिया गया.

ARVIND KUMAR MANDAWA

हमें लगा कि हमारे माता-पिता के लिए सुरक्षित यही होगा कि उन्हें वापस भारत भेज दें. इसलिए मैंने उन लोगों के टिकट बदलकर उन्हें वापस भेजने का फ़ैसला लिया. हालांकि इससे हमें काफ़ी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा.

मुझे लगता है कि ब्रिटेन की सरकार को इस हालात का सामना करने के लिए जितने प्रयास करने की ज़रूरत है उतने नहीं किए जा रहे हैं. मेरा मानना है कि सरकार बुरी तरह से नाकामयाब रही है.

मेरे माता-पिता भी यह देखकर हैरान थे कि उनकी न तो लंदन के हीथ्रो एयरपोर्ट और न ही लीड्स के ब्रैडफोर्ड एयरपोर्ट पर किसी ने जांच की. यह बहुत अचरज की बात थी कि कैसे किसी यात्री को ब्रिटेन में बिना किसी स्क्रीनिंग और जांच के जाने दिया जा रहा है. हां, उनकी हैदराबाद एयरपोर्ट पर ज़रूर आते वक़्त और जाते वक़्त जांच से गुज़रना पड़ा था तब फिर यहां ब्रिटेन में क्यों नहीं?

मानसी अढ़ोलिया, उम्र- 41 साल, हैरो- मिडलसेक्स

मैं एक भारतीय सिंगल मदर हूँ और यहां ब्रिटेन में अपनी नौ साल की बेटी के साथ रहती हूँ. मुझे ब्रिटेन की सरकार से कोई शिकायत नहीं है कि वो कैसे इस मुसीबत से निपट रही है. लेकिन मैं दो चीज़ों को लेकर परेशान हूँ.

MANASI ADHOLIYA

पहली बात यह कि मार्च और अप्रैल में मुझे जितने भी इवेंट में भाग लेने थे, वो सब कैंसिल करने पड़े और टिकट लौटाने पड़े. अब मैं किराया कैसे दूंगी. क्या हमारे लिए कोई राहत की व्यवस्था नहीं हो सकती.

मैं बच्चों को पढ़ाती हूँ वो भी ठप पड़ा हुआ है जिसकी वजह से मुझे फ़ीस के पैसे नहीं मिल रहे. क्या मेरे जैसे सिंगल मदर या फ़ादर को जो बाहर के देश में आकर संघर्ष की ज़िंदगी जी रहे हैं, किराए में कुछ राहत नहीं मिल सकती है. अगर ऐसा नहीं होता है तो यह हमारे लिए बहुत मुसीबत हो जाएगी.

दूसरी बात यह कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो क्या हमें अपने परिवारों के पास वापस लौटने की इजाज़त मिल सकती है.

चीनू किशोर, एसेक्स

मैं भारत से हूँ और मेरी मां भारत में अकेले रहती है. मैं अप्रैल में वहां जाने की योजना बना रहा था. लेकिन अब इस बीमारी की वजह से मुझे अपनी फ्लाइट कैंसिल करनी पड़ी है. हम सब एक तरह से घरों में क़ैद होकर रह गए हैं. यह हमारी नौकरी, पढ़ाई और आर्थिक स्थिति के लिहाज़ से अच्छा नहीं है.

नीना डारमेसी, उत्तर-पश्चिम लंदन

NINA DARMESI

मैं एक कोरियाग्राफर और जुम्बा डांस इंस्ट्रकटर हूँ. जो हालात पैदा हुए हैं उसे लेकर बहुत हताश हूँ. सभी दुकानें और सुपरमार्केट खाली पड़े हुए हैं. मेरा काम भी बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. मुझे नहीं पता कि हमारी ज़िंदगी पटरी पर कब लौटेगी.

इसके अलावा जो एक और बात बुरी हो रही है, वो हैं लोकल व्यापारियों का सामान के दाम बढ़ा देना. यह मजबूरी का फ़ायदा उठाने जैसी बात है जो बिल्कुल भी सही नहीं है.

प्रसन्ना शिरीश काबाडे, उम्र - 44 साल, वाटफोर्ड

मैं भारत और ब्रिटेन दोनों ही देशों को लेकर फ़िक्रमंद हूँ. दोनों ही देश हमें सुरक्षित रखने के लिए जो कर रहे हैं उसे लेकर मैं उनकी तारीफ़ करती हूँ. पिछले कुछ दिन ज़रूर मुश्किल भरे और डराने वाले रहे हैं लेकिन पूरा विश्वास है कि ब्रिटेन दुनिया के सबसे मज़बूत देशों में से एक है. जल्दी ही वो इस मुश्किल हालात पर काबू पा लेगा.

ऐसे वक़्त में एक-दूसरे की मदद करना और सुरक्षित रखना हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य है.

भावना पटेल, उम्र - 60 साल, लंदन

मुझे सबसे ज़्यादा चिंता अपने बच्चों को लेकर हैं जो मेडिकल प्रोफे़शन में हैं. उनके पास सुरक्षा के पूरे उपकरण नहीं हैं और न ही पूरी नींद लेने का समय. लोगों ने सामान इकट्ठा करने के चक्कर में दुकानें खाली कर दी हैं जिससे जिन लोगों के पास ख़रीदारी करने का कम समय मिलता है उन्हें परेशानी हो गई है. क्या ऐसे लोगों को ताज़ा फल और सामान मुहैया कराने की कोई व्यवस्था नहीं की जा सकती.

मासूम अखालवाया, उम्र-43 साल, ड्यूजबरी

MASOOM AKHALWAYA

कोरोना ने मेरे और मेरे परिवार को बहुत प्रभावित किया है. 78 साल के मेरे पिता अभी भारत से चार महीने अपने गांव में रहकर लौटे हैं. ज़्यादा उम्र होने की वजह से उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता उतनी मज़बूत नहीं है.

मैंने उन्हें घर में ही रहने की सलाह दी है और उनकी ज़रूरत की सारी चीज़ें घर में मुहैया हो जाए, इसका ख्याल रखा है. मेरी जुड़वा बेटियां भी हैं जो तीन साल की हैं. मुझे अपने पिता और दोनों बेटियों की ज़रूरी दवाएँ और तमाम ज़रूरी चीज़ों का इंतज़ाम करके रखना पड़ रहा है.

दफ्तर में घर से काम करने की इजाज़त मिल गई है इससे ज़रूर मदद मिली है लेकिन यह बहुत चुनौतीपूर्ण भी है. आने वाले कुछ हफ्ते और भी मुश्किल होने वाले हैं क्योंकि मुझे लगता है कि नई और सख्त पाबंदियां आगे लगने वाली है.

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
Coronavirus: Under what circumstances Indians are present in Britain?
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X