कोरोना वायरस: ब्रिटेन में फँसे भारतीय डॉक्टरों की पीड़ा
"मुझे अभी देश वालों को बचाना है. अगर मैं इंडिया वापस गई तो अगले दिन मैं अस्पताल ज्वाइन करना चाहूंगी"- ये शब्द थे कोलकाता की एक डॉक्टर अनीशा अमीन की, जो इन दिनों लॉकडाउन के कारण इंग्लैंड में फँसी हैं. अनीशा और उनकी तरह कई युवा भारतीय डॉक्टर, जो ब्रिटेन में एक मेडिकल परीक्षा देने गए थे, अचानक से दोनों देशों में लॉकडाउन के कारण भारत लौट नहीं सके.
"मुझे अभी देश वालों को बचाना है. अगर मैं इंडिया वापस गई तो अगले दिन मैं अस्पताल ज्वाइन करना चाहूंगी"- ये शब्द थे कोलकाता की एक डॉक्टर अनीशा अमीन की, जो इन दिनों लॉकडाउन के कारण इंग्लैंड में फँसी हैं.
अनीशा और उनकी तरह कई युवा भारतीय डॉक्टर, जो ब्रिटेन में एक मेडिकल परीक्षा देने गए थे, अचानक से दोनों देशों में लॉकडाउन के कारण भारत लौट नहीं सके.
कर्नाटक में मनिपाल के रहने वाले अभिषेक भट्टाचार्य भी ऐसे ही एक भारतीय डॉक्टर हैं, जो लॉकडाउन के कारण ब्रिटेन में फँसे हैं.
उन्होंने बताया, "मुझे मालूम है कि इस वक़्त भारत को हमारी कितनी ज़रूरत है. अगर मैं इस वक़्त इंडिया में होता तो मुझे पता है कि मैं कितने सारे लोगों की मदद कर सकता था. मुझे बहुत बुरा लग रहा है कि मैं यहाँ फंसा हूँ और वहां हमारे देश वासियों को हमारी ज़रूरत है."
डॉक्टरों की दुविधा
इस समय ऐसे सभी डॉक्टर दुविधा में हैं. कोरोना से लड़ने के लिए इन्हें इस समय फ़्रंट लाइन में होना चाहिए था. लेकिन सारी स्किल सेट के बावजूद वीज़ा स्टेटस के कारण ना तो वो ब्रिटेन के अस्पतालों में काम कर सकते हैं और ना भारत लौट कर अपने साथी डॉक्टरों के साथ मिलकर मरीज़ों का इलाज कर सकते हैं.
फंसे हुए डॉक्टरों के पैसे ख़त्म हो चुके हैं. उनकी मदद के लिए सामने आए हैं भारतीय मूल के डॉक्टर, ब्रिटिश एसोसिएशन ऑफ़ फिजिशियन ऑफ इंडियन ओरिजिन (बापियो) और ब्रिटिश इंटरनेशनल डॉक्टर्स एसोसिएशन (BIDA) जैसे संगठनों ने 20,000 पाउंड जमा करने का लक्ष्य रखा है.
बापियो के अध्यक्ष और ब्रिटेन के एक जाने माने डॉक्टर रमेश मेहता ने बीबीसी हिंदी को फ़ोन पर बताया कि फंसे हुए डॉक्टरों की संख्या बताना मुश्किल है. लेकिन उन्हें दी गई जानकारी के अनुसार 100 से 200 ऐसे डॉक्टर इस समय ब्रिटेन में फँसे हुए हैं.
उनकी मदद के लिए सबसे पहले सामने आईं भारतीय मूल की डॉक्टर राका मोइत्रा, जो मनोचिकित्सक हैं. डॉक्टर राका ने ट्विटर पर इन युवा भारतीय डॉक्टरों के बारे में सबसे पहले लोगों का ध्यान आकर्षित किया.
इसकी पुष्टि रमेश मेहता ने भी की. उन्होंने बताया, "डॉक्टर राका ने हमें ख़बर दी कि ऐसे कई डॉक्टर हैं जो आए थे लेकिन यहाँ फँस गए हैं. तो हमने कहा कि इन डॉक्टरों को जो भी ज़रूरत हो हम उनकी सहायता करेंगे."
मदद
राका मोइत्रा कहती हैं, "जब हमें पता चला कि कुछ डॉक्टर फँसे हैं तो हमने अपने कुछ साथियों के साथ मिल कर एक वॉट्सऐप ग्रुप बनाया. उसमें 30 डॉक्टर शामिल हो गए. हमने देखा कि फँसे हुए डॉक्टरों को फाइनेंस, खाने और रहने की जगह की ख़ास समस्या थी. और हाँ वीज़ा की भी. बापियो बहुत सक्रिय हुआ. डॉक्टर मेहता और डॉक्टर बामरा जैसे लोगों ने चंदा इकट्ठा किया. इन्होंने कई डॉक्टरों के लिए सैल्फ़र्ड यूनिवर्सिटी और मैनचेस्टर में सस्ते में रहने का इंतज़ाम कर दिया."
इस हॉस्टल में रहने वालों में कोलकाता की डॉक्टर प्रियदर्शनी भट्टाचार्जी भी शामिल हैं. वो बताती हैं, "जिस दिन लॉकडाउन शुरू हुआ तो मुझे बहुत डर लग रहा था कि क्या करूँ क्या ना करूँ."
सल्फ़ोर्ड यूनिवर्सिटी में मिली जगह के बारे में वो कहती हैं, "रहने की जगह बहुत अच्छी है. सबको अलग-अलग कमरे दिए गए हैं. इनका इंतज़ाम बहुत बढ़िया है." महिलाएँ के लिए जगह कितनी सुरक्षित है, इस पर वो कहती हैं, "ये बहुत सुरक्षित जगह है. आपको तो पता ही होगा कि ऐसी स्थिति में मम्मी-डैडी कितनी चिंता करते हैं कि अकेली लड़की (विदेश में) कैसे और क्या करेगी."
प्रियदर्शनी ने 17 मार्च को परीक्षा स्थगित होने के बाद भारत लौटने की कोशिश की लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला.
उन्होंने बताया, "18 मार्च को अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट्स कैंसिल हो गईं. एक-दो फ्लाइट्स जो जा रही थीं, उनमें कुछ डॉक्टर चले गए. कुछ लोगों को टिकट मिला और वो वापस भारत लौट गए. हमने भी कोशिश की लेकिन हमें टिकट नहीं मिला."
ये डॉक्टर कौन सी परीक्षा देने गए थे
भारत और दूसरे कई देशों से हर साल सैकड़ों डॉक्टर Professional and Linguistic Assessments Board या प्लैब का इम्तिहान देने ब्रिटेन जाते हैं. ये इस टेस्ट का दूसरा भाग होता है. पहला भाग अपने ही देश में देना पड़ता है और पास करना पड़ता है. प्लैब 2 का टेस्ट पास करने वाले डॉक्टर ब्रिटेन के हेल्थ केयर सिस्टम नेशनल हेल्थ सर्विस या एनएचएस में काम करने के योग्य हो जाते हैं.
एनएचएस दुनिया के सबसे बड़े हेल्थ सिस्टम्स में से एक है. एनएचएस में ब्रिटेन के नागरिकों का मुफ़्त इलाज होता है. प्लैब 2 का टेस्ट पास करने के बाद दुनिया भर के कई डॉक्टर एनएचएस में नौकरी कर लेते हैं. ब्रिटेन के बाद भारत एक ऐसा देश है जहाँ के डॉक्टर एनएचएस में सबसे अधिक संख्या में काम करते हैं.
अब ब्रिटेन में फँसे डॉक्टर इस बात का इंतज़ार कर रहे हैं कि लॉकडाउन ख़त्म हो और भारत लौट कर कोरोना के ख़िलाफ़ जंग में शामिल हो जाएँ. अभिषेक कहते हैं कि ये समस्या जुलाई या उससे आगे भी जारी रहेगी. इसलिए उनकी ज़रूरत आगे भी पड़ेगी.
दूसरी तरफ़ इस बात की भी संभावना है कि ब्रिटेन में हालत बेहतर हुए, तो प्लैब 2 के दोबारा से इम्तिहान की तारीख़ भी तय हो जाए.
इस दौरान डॉक्टर राका ने इन युवा डॉक्टरों की पढ़ाई को जारी रखने के लिए ऑनलाइन क्लास लेने की ज़िम्मेदारी संभाल ली है.