ओमिक्रॉन वेरिएंट पर दक्षिण अफ्रीकी रिपोर्ट ने बढ़ाई चिंता, भारतीय वैक्सीन के बूस्टर डोज ने दी खुशखबरी
ओमिक्रॉन वेरिएंट को रोकने में वैक्सीन पूरी तरह से प्रभावी तो नहीं है, लेकिन रिसर्च में सबसे महत्वपूर्ण बात ये निकलकर सामने आई है कि, ओमिक्रॉन वेरिएंट से बचाने में अभी भी वैक्सीन ही सबसे ज्यादा असरदार है।
नई दिल्ली, दिसंबर 03: कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वेरिएंट ने पूरी दुनिया को चिंता में डाल रखा है और आशंका इस बात को लेकर है कि क्या एक बार फिर से दुनिया लॉकडाउन जैसे भयानक दौर से गुजरने वाली है। कई देशों ने ओमिक्रॉन वेरिएंट को फैलने से रोकने के लिए सुरक्षा उपाय बढ़ाने शुरू कर दिए हैं। इस बीच दक्षिण अफ्रीका से ओमिक्रॉन वेरिएंट के प्रसार को लेकर चिंताजनक रिपोर्ट सामने आई है।
तीन गुना तेजी से फैलता है ओमिक्रॉन
दक्षिण अफ्रीका के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक प्रारंभिक रिसर्च से पता चलता है कि, ओमिक्रॉन वेरिएंट शरीर में मौजूद कोरोना वायरस प्रतिरोधक क्षमता को भेदने में सक्षम है। यानि, ओमिक्रॉन वेरिएंट से सुरक्षा की गारंटी दुनिया में मौजूद कोई भी वैक्सीन नहीं दे सकता है। इसके साथ ही दक्षिण अफ्रीका में हुए स्टडी में खुलासा हुआ है कि, कोरोना वायरस के बीटा और डेल्टा वेरिएंट की तुलना में ओमिक्रॉन वेरिएंट तीन गुना तेजी से फैल रहा है। दक्षिण अफ्रीका द्वारा जारी किए गये लेटेस्ट रिपोर्ट में कहा गया है कि, वैक्सीन ले चुके करीब 28 लाख लोगों में से 35 हजार 670 लोग फिर से कोरोना वायरस संक्रमित हो गये। स्टडी में पता चला है कि, इन लोगों ने कम से कम 90 दिन पहले कोरोना का दोनो टीका लगवा लिया था।
ओमिक्रॉन वेरिएंट पर कई खुलासे
रिपोर्ट के मुताबिक, ओमिक्रॉन वेरिएंट दक्षिण अफ्रीका के 5 प्रांतों में पूरी तरह से फैल चुका है। हालांकि, आशंका इस बात की भी है कि, अब तक ये वायरस दक्षिण अफ्रीका के सभी 9 प्रांतों में फैल चुका है। ये रिसर्च पेपर मेडिकल प्रीप्रिंट सर्वर पर उपलब्ध है और अभी तक इसकी समीक्षा नहीं की गई है। दक्षिण अफ्रीका के डीएसआई-एनआरएफ सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन एपिडेमियोलॉजिकल मॉडलिंग एंड एनालिसिस के निदेशक जूलियट पुलियम ने ट्वीट करते हुए वायरस का काफी 'डेंजरस' बताया है। रिसर्च के दौरान पता चला है कि, बड़ी संख्या में ऐसे लोग वायरस से संक्रमित हो रहे हैं, जिन्हें कोरोना वायरस वैक्सीन की दोनों खुराक दी जा चुकी है।
वैक्सीन से ही अभी भी बचाव
ओमिक्रॉन वेरिएंट को रोकने में वैक्सीन पूरी तरह से प्रभावी तो नहीं है, लेकिन रिसर्च में सबसे महत्वपूर्ण बात ये निकलकर सामने आई है कि, ओमिक्रॉन वेरिएंट से बचाने में अभी भी वैक्सीन ही सबसे ज्यादा असरदार है। दक्षिण अफ्रीका की इस रिपोर्ट के मुताबिक, डेल्टा वेरिएंट की तुलना में ओमिक्रॉन वेरिएंट ज्यादा खतरनाक है और अभी भी इस वेरिएंट से बचाव वैक्सीन के द्वारा ही हो रही है। रिसर्च में पता चला है कि, जिन लोगों ने वैक्सीन की दोनों खुराक ले रखी है, वो दोबारा संक्रमित तो हो रहे हैं, लेकिन उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की नौबत नहीं आ रही है। लिहाजा, अभी तक इसका पता नहीं चल पाया है कि, जिन लोगों ने वैक्सीन नहीं लिया है, या फिर वैक्सीन की एक खुराक ली है, उनपर ओमिक्रॉन वेरिएंट का क्या प्रभाव पड़ता है।
ओमिक्रॉन के मरीजों में लक्षण
शुरूआत में दक्षिण अफ्रीकी डॉक्टर्स ने कहा था कि, जिन लोगों में ओमिक्रॉन वेरिएंट मिले हैं, उनमें हल्के लक्षण पाए गये हैं, लेकिन इसके साथ ही डॉक्टरों ने कहा है कि, अभी अंदाजा लगाना मुश्किल है कि ये वेरिएंट असल में कितना डेंजरस है। डॉक्टरों का कहना है कि, अभी इस वेरिएंट को लेकर पुर्वानुमान करना जल्दबाजी होगा। डॉक्टरों ने कहा है कि, ज्यादातर युवाओं में ये वेरिएंट देखने को मिला है, लिहाजा अभी कहा नहीं जा सकता है कि, ज्यादा उम्र के लोगों पर इस वायरस का कितना असर होता है। वहीं, जिन लोगों ने वैक्सीन ले रखी है, उनकी इम्युनिटी बेहतर हो चुकी है, लिहाजा पता लगाना मुश्किल हो रहा है कि, कोरोना का ये वेरिएंट कितना खतरनाक है।
भारतीय वैक्सीन ने बढ़ाई उम्मीद
अफ्रीका में मिले ओमिक्रॉन वेरिएंट को लेकर ब्रिटेन में भी शोध किया जा रहा है और ताजा शोध में भारत के लोगों के लिए बड़ी खुशखबरी सामने आई है। ब्रिटेन में किए गये ताजा रिसर्च में पता चला है कि, दुनियाभर में जितनी भी वैक्सीन का इस्तेमाल किया जा रहा है, उनमें से सात ऐसे वैक्सीन हैं, जिनका बूस्टर डोज कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वेरिएंट को रोकने में कारगर साबित हो रही है और बूस्टर डोज लगाने से लोगों को फायदा मिल सकता है। और इन सात वैक्सीन में भारत में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल की गई कोविशील्ड वैक्सीन भी शामिल है, जिसे ऑक्सफोर्ड-एस्ट्र्राजेनेका ने बनाया है।
मौत से बचाव है कोविशील्ड
रिपोर्ट के मुताबिक, ये रिसर्च उन लोगों पर किया गया है कि, जिन लोगों ने कोविशील्ड या फिर फाइजर की वैक्सीन की दोनों खुराक ले रखी है। पहली बार किए गये रिसर्च में पता चला है कि, वैक्सीन की दोनों डोज लेने वाले मरीजों को वैक्सीन की बूस्टर डोज देने के बाद अस्पताल में भर्ती होने की नौबत काफी कम हो जाती है। शोध में पता चला है कि, कोविशील्ड और फाइजर की दो डोज देने पर 6 महीने के बाद भी अस्पताल में भर्ती कराए जाने के मामलों में 79 प्रतिशत और मौतों के मामले में 90 प्रतिशत की कमी आई है। इस रिसर्च को 2 हजार 878 वयस्क लोगों पर किया गया है और पता चला है कि 7 वैक्सीन का तीसरा डोज देने पर लोगों में सुरक्षा का कोई खतरा नहीं हुआ है।
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