इजरायल में टैक्स के विरोध में ईसा मसीह की जन्मस्थली वाला चर्च हुआ बंद
जेरूशलम। रविवार को इजरायल में नए टैक्स लॉ और आने वाले एक नए कानून के तहत ईसाई नेताओं ने जेरूशलम के सबसे पवित्र चर्च को बंद करा दिया। जेरूशलम का यह चर्च यहां के पवित्र धार्मिक स्थलों में से एक है क्योंकि इसी चर्च में ईसा मसीह का जन्म हुआ था। ऑफिसर्स की मानें तो अभी यह तय नहीं किया गया है इस चर्च को कब फिर से अनुयायियों और पर्यटकों के लिए खोला जाएगा। इस चर्च का नाम होली सफूकर है और यह चर्च न दुनिया भर से आने वाले अनुयायियों के लिए एक धार्मिक स्थल है। ईसाई धर्म के लोग मानते हैं कि इसी चर्च में प्रभु यीशु को सूली पर चढ़ाया गया और फिर यहीं पर उन्हें दफनाया गया था। सिर्फ इतना ही नहीं उनका पुनर्जन्म भी यहीं हुआ था।

चर्च को टैक्स में छूट क्यों
ग्रीक आर्थोडॉक्स, आर्मेनियन अपॉस्टॉलिक और कैथोलिक नेताओं की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि विरोध के तहत एक असाधारण कदम उठाते हुए हमने पवित्र समाधि वाले चर्च को बंद कर दिया है। उन्होंने कहा कि हालिया इजरायली कानून येरूशलम में ईसाइयत को कमजोर करने का प्रयास लगते हैं। ईसाई नेताओं ने येरूशलम में इजराइली अधिकारियों के उस कदम पर नाराजगी जताई है जिसमें चर्च की संपत्तियों को व्यावसायिक मानकर उन पर कर लगाया गया है। इजरायली अधिकारियों का कहना है कि केवल पूजा या धार्मिक शिक्षा वाले स्थानों पर कर छूट लागू है। वहीं दूसरी ओर जेरूशलम के मेयर निर बरकम का कहना है कि यह सोचना बिल्कुल ही अतार्किक है कि चर्च जिसके पास कमर्शियल प्रॉपर्टी जैसा होटल और रिटेल का बिजनेस भी है, वह टैक्स में छूट का आनंद उठाता रहे। उन्होंने कहा कि वह इस बात को साफ कर देना चाहते हैं कि वह किसी भी ऐसे धार्मिक स्थल जहां पर पूजा होता, उस पर टैक्स लगा रहे हैं, ऐसी जगहों पर टैक्स की छूट लागू रहेगी।
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