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Special Report: समंदर में टकराने वाला है चीन और अमेरिका, साउथ चायना सी बनेगा युद्ध का नया मैदान

ताइवान को लेकर अमेरिका और चीन के बीच युद्द जैसे हालात बन गये हैं। दक्षिण चीन सागर में अमेरिकन नेवी वार एयरक्राफ्ट को चीन ने वापस नहीं लौटने पर उड़ा देने की धमकी दी है।

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बीजिंग/वाशिंगटन: ताइवान को लेकर अमेरिका और चीन के बीच युद्द जैसे हालात बन गये हैं। दक्षिण चीन सागर में अमेरिकन नेवी वार एयरक्राफ्ट को चीन ने वापस नहीं लौटने पर उड़ा देने की धमकी दी है। चीन ने अमेरिका को सीधी चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर अमेरिकन नेवी एयरक्राफ्ट वापस नहीं लौटता है तो चीन उसे उड़ाने में एक पल भी नहीं सोचेगा। जिसके जबाव में अमेरिका ने कहा है कि वो किसी हाल में चीन की दादागीरी को बर्दाश्त नहीं करेगा।

SOUTH CHINA SEA

चीन की चेतावनी

ताइवान को बार बार धमकी दे रहे चीन को खामोश करने के लिए अमेरिकन कैरियर एयरक्राफ्ट USS John S McCain साउथ चाइना सी में पहुंच गया है। जिसके जबाव में चीन ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि अगर अमेरिकन वार एयरक्राफ्ट वापस नहीं लौटा तो चीन एक्शन लेने से नहीं हिचकेगा। चीन की पिपल्स लिब्रेशन आर्मी साउदर्न थियेटर ने बयान जारी करते हुए कहा है कि अमेरिकी वारशिप एयरक्राफ्ट के जबाव में चीन ने भी Xisha Island में वारशिप और एयरक्राफ्ट तैनात कर दिए हैं। चीन की चेतावनी को सिरे से खारिज करते हुए अमेरिका ने कहा है कि वो अंतर्राष्ट्रीय समुद्री कानून का पालन कर रहा है। और जिस इलाके को लेकर चीन अपना दावा पेश कर रहा है, उसपर ताइवान, ब्रूनेई, फिलिपिंस और इंडोनेशिया भी अपना हक जताता है। ऐसे में ये समुन्द्री इलाका विवादित है लिहाजा यहां इंटरनेशनल कानून लागू होता है।

US NAVY

चीनी थियेटर कमांड की प्रवक्ता Tian Junli ने बयान जारी करते हुए कहा है कि अमेरिकन वारशिप ने चीनी जलक्षेत्र में आकर अंतर्राष्ट्रीय शांति को बिगाड़ने की कोशिश की है। चीनी बयान में कहा गया है कि चीनी जलक्षेत्र में आकर अमेरिका ने चीनी संप्रभुता उसकी सुरक्षा और अमेरिका-चीन के बीच बने बातचीत के अच्चे वातावरण, दोस्ती और सहयोग को खराब करने की कोशिश की है। जिसके जबाव में अमेरिका ने कहा है कि अमेरिका सिर्फ अंतर्राष्ट्रीय कानून का पालन कर रहा है।

ताइवान के साथ अमेरिका

चीनी दादागीरी को अमेरिका सीधी चुनौती दे रहा है। ताइवान की रक्षा के लिए अमेरिका ने अपने वारशिप को भेजा है। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने साउथ चाइना सी में कई बार अमेरिकन वारक्राफ्ट को युद्धाभ्यास के लिए भेजा था जिसके बाद अमेरिका और चीन के बीच कई बार युद्द जैसे हालात बन गये थे। लेकिन, जो बाइडेन के कार्यकाल में पहली बार अमेरिकन नेवी ने अपने वारक्राफ्ट कैरियर को साउथ चाइना सी में भेजा है।

अमेरिका ने अपने बयान में कहा है कि 'अमेरिका अंतर्राष्ट्रीय कानून और फ्रीडम ऑफ नेविगेशन का पालन कर रहा है। अमेरिका साउथ चाइना सी में चीन के द्वारा लगाए गये गैरकानूनी प्रतिबंध को सीधी चुनौती देता है। चीन अपनी ताकत का इस्तेमाल वियतनाम, इंडोनेशिया, मलेशिया और ताइवान को धमकाने के लिए कर रहा है, जो अमेरिका बर्दाश्त नहीं कर सकता है। साउथ चाइना सी पर सिर्फ चीन का हक नहीं है, बल्कि छोटे देश भी साउथ चायना सी पर बराबरी का हिस्सा और हक रखते हैं' अमेरिका ने अपने बयान में कहा है चीन, ताइवान और वियतनाम भी साउथ चाइना सी पर अपना हक जताता है, लिहाजा इस हिस्से पर अंतर्राष्ट्रीय कानून लागू होता है'।

US NAVY AIRCRAFT

साउथ चायना सी में चायना VS अमेरिका

साउथ चायना सी में अगर आप चीन का नाम देखकर सोचते हैं कि ये चीन का समुंदर है तो आप गलत है। साउथ चाइना सी पर चीन अपना हक बताता है जबकि अंतर्राष्ट्रीय कानून के हिसाब से कोई भी देश अपनी सीमा से सिर्फ 12 नॉट मील तक ही अपना मालिकाना हक रख सकता है। लेकिन चीन की हड़प नीति इसे मानने से इनकार करते हुए पूरे साउथ चायना सी को अपना हिस्सा बताता है। तो सवाल ये उठता है कि वियतनाम, इंडोनेशिया, मलेशिया, ताइवान और ब्रूनेई फिर क्या करेंगे? चीन को इससे कोई मतलब नहीं है। वो सिर्फ इन छोटे देशों को धमकाने से मतलब रखता है। ताइवान को लेकर चीन ने सीधी चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि अगर ताइवान आजादी मांगने की कोशिश करेगा तो चीन उसपर हमला कर देगा। जिसके जबाव में साउथ चायना सी में अमेरिका ने अपने नेवी वारक्राफ्ट कैरियर को भेजा है। जो परमाणु हथियारों से लैस है।

डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने साउथ चायना सी में तीन वारशिप तैयार किए थे। जबकि जो बाइडेन के शासनकाल में अभी तक सिर्फ एक ही वारशिप को साउथ चायना सी में भेजा गया है। चीन और अमेरिका के वारशिप्स आमने-सामने हैं। माना जा रहा है कि अगर चीन ने ताइवान को लेकर नरमी नहीं दिखाई तो साउथ चायना सी जंग का मैदान बन सकता है।

साउथ चायना सी बनेगा जंग का मैदान?

माना जा रहा है कि साउथ चायना सी में अमेरिका अपना दबाव और बढ़ा सकता है। इसके साथ ही अमेरिका चीन को घेरने के लिए ऑस्ट्रेलिया और भारत से भी मदद मांग सकता है। भारतीय नेवी भी चीन पर दबाव बनाने के लिए साउथ चायना सी जा सकती है क्योंकि हिंद महासागर पर चीन की निगाहें हैं। लिहाजा आने वाले वक्त में साउथ चायना सी जंग का मैदान बन सकता है। जो बाइडेन पहले ही QUAD को फिर से मजबूत करने की बात कर चुके हैं। इसके साथ ही अमेरिकी नौ-सेना सूत्र तो ये भी कहते हैं कि विश्व का सबसे खतरनाक एयरक्राफ्ट कैरियर USS थियोडोर रूजवेल्ट भी साउथ चायना सी के पास मौजूद है और किसी भी आपात स्थिति में वो फौरन चीन को रोकने चला जाएगा। अमेरिका लगातार कहता है कि साउथ चाइना सी में अमेरिकन नेवी के जाने का मतलब सिर्फ एक है, समुद्री आजादी कानून को प्रमोट करना, जिसे चीन खत्म कर देना चाहता है। वहीं, मेरिकी नेवी के सातवें फ्लीट के प्रवक्ता जो केइली ने बयान जारी कर कहा है, 'मुक्त और खुले इंडो-पैसिफिक के प्रति अमेरिकी प्रतिबद्धता दिखाने के लिए जहाज ताइवान स्ट्रेट से होकर निकला है। अंतरराष्ट्रीय कानून जहां भी इजाजत देता है अमेरिकी सेना कहीं भी उड़ान भरेगी, जलयात्रा करेगी और कार्य करती रहेगी।

गौरतलब है कि बाइडेन के शासन के पहले ही हफ्ते में चीन (China) ने ताइवान की ओर कई लड़ाकू विमान भेजकर ताइवान को डराने की कोशिश की थी, जिसके बाद उसे भी अपने फाइटर जेट चीनी जंगी विमानों की निगराने के लिए तैनात करने पड़ गए थे।

साउथ चायना सी पर सख्त अमेरिका

अमेरिकी नेवी के ताजा रुख से लगता है कि बाइडेन भी डोनाल्ड ट्रंप की तरह ताइवान के साथ डटे होने की अमेरिकी नीति पर ही आगे बढ़ना चाहते हैं। ट्रंप ने ताइवान को ना सिर्फ एफ-16 फाइटर जेट दिए थे, बल्कि एडवांस मिसाइल, मेन बैटल टैंक देने के साथ ही अपने उच्च स्तरीय राजनयिकों को भी ताइपे भेजा था। इसी नीति को जारी रखने का संकेत देते हुए नए अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन (US Secretary of State Antony Blinken) ने हाल ही में कहा था, 'ताइवान के लिए एक मजबूत और द्वपक्षीय प्रतिबद्धता है। इस प्रतिबद्धता का एक हिस्सा ये है कि यह सुनिश्चत रहे कि ताइवान खुद को आक्रमकता के खिलाफ बचाव करने में सक्षम रहे। और यह प्रतिबद्धता बाइडेन प्रशासन में निश्चित तौर पर दिखाई देगी।

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English summary
A war-like situation has arisen between the US and China over Taiwan. China has threatened to blow up the American Navy War Aircraft in the South China sea.
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