भारत को चारों तरफ से घेरने की साजिश में चीन? सियाचिन के नजदीक बन रहे हवाई अड्डे का निर्माण बदला
भारत के सियाचिन ग्लेशियर के नजदीक बनने वाले ताशकुरगन एयरपोर्ट में चीन अंडरग्राउंड निर्माण कर रहा है।
नई दिल्ली, अगस्त 03: सेन्ट्रल एशिया पर अपना वर्चस्व कायम करने के लिए चीन लगातार नये-नये एयरपोर्ट्स बना रहा है। नये सैटेलाइट तस्वीरों से खुलासा हुआ है कि ताशकुरगन एयरपोर्ट पर चीन संरक्षित भूमिगत सुविधाएं तैयार कर रहा है और उसपर काफी तेजी से काम चल रहा है। इंडिया टूडे की रिपोर्ट के मुताबिक काफी ज्यादा ऊंचाई पर बनने वाले इस एयरपोर्ट के जरिए चीन पूरे सेन्ट्रल एशिया पर अपना दबदबा कायम करना चाहता है। (सभी तस्वीर फाइल)
कहां हैं ताशकुरगन एयरपोर्ट?
आपको बता दें कि ताशकुरगन एयरपोर्ट के जरिए चीन एक साथ कई देशों को अपने रडार में ले सकता है। ये एयरपोर्ट तजाकिस्तान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान से सटा हुआ है। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से ये एयरपोर्ट सटा हुआ है, लिहाजा साफ माना जा सकता है कि भारत पर दवाब बनाने के लिए इस एयरपोर्ट का निर्माण किया जा रहा है। इंडिया टूडे की रिपोर्ट के मुताबिक चीन के सिविल एविएशन अथॉरिटी ने पहली बार 2015 में खुलासा किया था कि पामीर पठार पर वो एयरपोर्ट का निर्माण करेगा, लेकिन 2020 में इस एयरपोर्ट का काम शुरू किया गया था। आपको जानकर हैरानी होगी कि पिछले साल लद्दाख में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुए जानलेवा संघर्ष से ठीक एक हफ्ते पहले चीन ने इस एयरपोर्ट का काम शुरू किया था और अब इस एयरपोर्ट के जमीन के अंदर भी काफी तेजी से निर्माण कार्य शुरू हो गया है।
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सैटेलाइट तस्वीरों से खुलासा
प्लानेट लैब द्वारा जारी की गई हाई रिजॉल्यूशन सैटेलाइट तस्वीरों से पता चलता है कि चीन इस एयरपोर्ट का दोहरा इस्तेमाल करने वाला है। इंडिया टूडे की रिपोर्ट के मुताबिक, रिटायर्ट कर्नल विनायक भट ने कहा, "ये सुरक्षित अंडरग्राउंड सुविधाएं चीन के इरादों को बताने के लिए काफी हैं, हालांकि इन सुविधाओं का मौजूदा वक्त में क्या इस्तेमाल हो सकता है, ये स्पष्ट नहीं है, लेकिन भविष्य में इसके द्वारा चीनी अभियानों को काफी ज्यादा मदद मिलेगी। सैटेलाइट तस्वीरों से खुलासा होता है कि चीन इस एयरबेस पर काफी तेजी के साथ अंडरग्राउंड निर्माण कर रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक जो तस्वीरें जारी की गई हैं, वो 28 मई 2021 की हैं। इन तस्वीरों से पता चलता है कि अंडरग्राउंड सुविधाओं के साथ-साथ चीन हवाई अड्डे के अन्य हिस्सों पर भी निर्माण कार्य तेजी से कर रहा है। तस्वीरों में स्टोन क्रशिंग मशीन, लैंड मूविंग इक्विपमेंट और कंस्ट्रक्शन ट्रक भी दिखाई दे रहे हैं।
भारत के लिए कितना खतरनाक
चीन इस हवाई अड्डे के जरिए एक साथ भारत, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान, यानि पूरे सेन्ट्रल एशिया पर नजर रख सकता है और हवाई हमले कर सकता है। चूंकी ये इलाका पाकिस्तान अधिगृहित कश्मीर से सटा हुआ है और वो इलाका भारत का है, लिहाजा भारत के लिए खतरे की बात से इनकार नहीं किया जा सकता है, वो भी तब जब पूर्वी लद्दाख में लगातार युद्ध की स्थिति बनी हुई है। ये हवाई अड्डा काराकोरम दर्रे के करीब ताशकोरगम पामीर में सबसे महत्वपूर्ण और अत्याधुनिक हवाई अड्डा है। ये हवाई अड्डा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के गिलगिट के उत्तर की तरफ स्थित है, जो करीब 10 हजार फीट की ऊंचाई पर है और सबसे महत्वपूर्ण ये है कि चीन का ये हवाई अड्डा भारत नियंत्रित सियाचीन ग्लेशियर के करीब है। लिहाजा चीन की कोशिश भारत पर प्रेशर बनाने की है।
एयरपोर्ट का रणनीतिक महत्व
विशेषज्ञों का मानना है कि ताशकुरगन में एयरबेस बनने से चीन के नेतृत्व को काफी ज्यादा फायदा होगा, क्योंकि चीन के हित अलग अलग इलाकों में फैले हुए हैं। कर्नल विनायक भट्ट ने इंडिया टूडे से बात करते हुए कहा कि "चीन पहले से ही ताजिकिस्तान और पाकिस्तान में भारी निवेश कर रहा है। अफगानिस्तान में तेजी से बदलती स्थिति के साथ, यह चीन के लिए अरब सागर और चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) को खोलने के लिए रणनीतिक मार्गों में से एक होगा, जो इसका हिस्सा है।
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