क्या चीन कोरोना से तबाही में भी रच रहा है कोई बड़ी साजिश ? पिछले ट्रैक रिकॉर्ड से कांप रही है दुनिया
चीन अब कोरोना से संबंधित जानकारी और आंकड़ा बाहर आने ही नहीं दे रहा है। इस वजह से दुनिया भर के देशों की चिंता बढ़ गई है। डर इस बात का है कि कहीं नया वेरिएंट निकला तो उसे संभालना मुश्किल हो जाएगा।
कोरोना ने चीन में जो हाल कर रखा है, उससे पूरी दुनिया सहम गई है। ज्यादा टेंशन इस बात की है कि कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना की सरकार वास्तविक हालात सामने आने ही नहीं दे रही है। हर तरह की सूचना पर एक तरह की पाबंदी लगी है। चीन में कितने लोग कोविड संक्रमित हो रहे हैं ? उससे होने वाली मौतों का आंकड़ा क्या है, सबकुछ संदिग्ध है। वामपंथ की तानाशाही से कुछ भी निकाल पाना पश्चिम की खुफिया एजेंसियों के लिए भी नामुमकिन हो चुकी है। लेकिन, अगर चीन कोविड से जुड़ी जानकारी छिपा रहा है तो यह सबके लिए खतरे की बात है। क्योंकि, वहां जिस तरह से कोविड के संक्रमण फैले होने की अबतक की जानकारी है, उससे कोरोना वायरस के नए वेरिएंट के पैदा होने की आशंका है। दुनिया भर के देश इसी से डर रहे है कि यदि समय पर संभलने का वक्त नहीं मिला तो खामियाजा सबको भुगतना पड़ सकता है। ऊपर से चीन का ट्रैक रिकॉर्ड ऐसा रहा है, जिससे संदेह होता है कि वह अहम जानकारियां जानबूझ कर तो नहीं छिपा रहा है ?
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अगर चीन ने समय पर नहीं दी सूचना तो क्या होगा ?
भारत ने गुरुवार को चीन समेत हॉन्गकॉन्ग, जापान, साउथ कोरिया, सिंगापुर और थाईलैंड से आने वाले यात्रियों के लिए निगेटिव कोविड रिपोर्ट अनिवार्य कर दिया है। एक जनवरी से इन देशों से जो भी हवाई यात्री भारत आएंगे, उन्हें फ्लाइट पकड़ने से पहले एयर सुविधा पोर्टल पर अपनी ताजा आरटी-पीसीआर निगेटिव रिपोर्ट अपलोड करनी होगी। इससे पहले अमेरिका, जापान के अलावा कुछ और देशों ने भी चीन से आने वाले यात्रियों के लिए कोविड-19 टेस्ट अनिवार्य कर दिया था। विश्व के देशों की ओर से बरती जा रही यह एहतियात यही दिखाता है कि चीन में जो कोरोना विस्फोट हुआ है, उसकी वजह से इसके नए वेरिएंट के पैदा होने की चिंता को लेकर दुनिया किस तरह से कांप रही है। क्योंकि, दुनिया को यह आशंका है कि हो सकता है कि चीन किसी नए वेरिएंट की सूचना समय पर देने में कोताही बरते!
चीन के पिछले ट्रैक रिकॉर्ड से कांप रही है दुनिया
तथ्य ये है कि चीन में ओमिक्रॉन सब-वेरिएंट की वजह से हुए कोरोना विस्फोट के बाद अबतक किसी नए वेरिएंट के पैदा होने की सूचना नहीं है। लेकिन, चीन का जो ट्रैक रिकॉर्ड रहा है, वह यह सोचने को मजबूर कर रहा है कि वह नए स्ट्रेन के पैदा होने के संकेतों को लेकर पुख्ता डेटा शेयर ना करे, जिससे कि चीन के बाहर के देशों में भी संक्रमण विस्फोटक रूप ले सकता है। अमेरिका ने बुधवार को चीनी यात्रियों के लिए निगेटिव कोविड रिपोर्ट अनिवार्य करते हुए दो बातें सामने रखी हैं- एक वहां अप्रत्याशित रूप से फैले संक्रमण और दूसरा जीनोम सीक्वेंसिंग से लेकर इंफेक्शन की स्थिति पर जानकारी का अभाव।
WHO को भी है चीन में संक्रमण को लेकर जानकारी का अभाव
जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने पिछले हफ्ते चीन से आने वाले यात्रियों के लिए जो टेस्ट की आवश्यकता का ऐलान किया था, तो उन्होंने भी चीन से मिलने वाली सूचनाओं की कमी का ही हवाला दिया था। हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन के डीजी टेड्रोस अदनोम घेब्रेयसस ने भी ऐसी ही चिंता जाहिर की थी। उन्होंने कहा था कि WHO को चीन में फैले संक्रमण की गंभीरता के बारे में और ज्यादा जानकारी चाहिए,'जमीनी हालात का व्यापक जोखिम मूल्यांकन के लिए' खासकर अस्पताल में भर्ती और आईसीयू में दाखिले को लेकर। दक्षिण कोरिया, ताइवान और इटली ने भी चीनी यात्रियों की टेस्टिंग को लेकर दिशा-निर्देश दे रखे हैं और जर्मनी भी स्थिति की निगरानी कर रहा है।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय से एकजुटता से काम करने को तैयार-चीन
वैसे चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने पिछले हफ्ते कहा था कि चीन ने विश्व स्वास्थ्य संगठन और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ अपनी सूचना जिम्मेदारी को हमेशा साझा किया है। उन्होंने कहा था, 'हम कोविड चुनौती से ज्यादा प्रभावी तरीके से निपटने, लोगों के जीवन और स्वास्थ्य की बेहतर तरीक से रक्षा करने और मिलकर स्थिर आर्थिक विकास को बहाल करने और सभी के लिए स्वास्थ्य के लक्ष्य के साथ अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ एकजुटता से काम करने के लिए तैयार हैं।'
चीन ने अचानक क्यों बदली रणनीति ?
2019 के आखिर और 2020 की शुरुआत में चीन के वुहान में शुरुआती कोविड संक्रमण से तबाही मचने के बाद चीन ने इसके खिलाफ बहुत ही सख्त रणनीति अपनाई थी। वहां की सरकार इस महीने की शुरुआत तक जीरो-कोविड पॉलिसी पर चलती रही। लेकिन, इसी महीने के आरंभ में अचानक सारी पाबंदियां खत्म करके वायरस को हवा में फैलने के लिए बेकाबू छोड़ दिया। चंद दिनों में ही कोरोना ने ऐसा कहर बरपाना शुरू किया कि वहां दवाइयों की किल्लत शुरू हो गई, फीवर क्लिनिक्स के बाहर लंबी कतारें लग गईं और अस्पताल में मरीजों के लिए बेड और श्मशान स्थलों में मुर्दों के लिए जगह कम पड़ गई।
क्या चीन कोरोना से तबाही में भी रच रहा है कोई बड़ी साजिश ?
लेकिन, पूरी तरह से वामपंथी व्यवस्था की गिरफ्त में सिमटे चीन से ऐसी खबरें निकालनी मुश्किल हो चुकी हैं। ऊपर से वही विदेशी मीडिया पर हालात को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने के आरोप लगा रहा है। कोरोना से संबंधित सूचनाओं के साथ खिलवाड़ करने के आरोप चीन पर कोई अभी नहीं लगे हैं। यह महामारी की शुरुआत से ही चल रहा है। एपी की एक जांच से पता चलता है कि वह 2020 में कोविड-19 की पैदाइश को लेकर आंतरिक रिसर्च के प्रसार को कंट्रोल कर रहा था। WHO के एक ग्रुप की रिपोर्ट में इसी साल कहा गया है कि महामारी की शुरुआत कैसे हुई, इसका 'प्रमुख डेटा' अभी भी गायब है और इसने और गहराई से जांच करने को कहा है। (इनपुट-पीटीआई)