तो ब्रिक्स के बाद चीन ने इसलिए बुलाया पाकिस्तानी विदेश मंत्री को अपने घर
बीजिंग। ब्रिक्स शिखर सम्मेलन खत्म होने के तुरंत बाद चीन सरकार ने अपने दोस्त पाकिस्तान को चीन आने का निमंत्रण दिया है। पाकिस्तान विदेश मंत्री ख्वाजा मोहम्मद आसिफ चीन जा रहे हैं, जहां आतंकवाद पर चर्चा हो सकती है। ब्रिक्स 2017 के घोषणापत्र में पाक सरजमीं पर पल रहे आतंकी समूहों का नाम आने के बाद पाकिस्तान की यह पहली चीन यात्रा होगी। हालांकि इस यात्रा को लेकर अलग-अलग मायने भी निकाले जा रहे हैं।
ब्रिक्स घोषणापत्र को चर्चा हो सकती है
चीन के शियामेन शहर में ब्रिक्स सम्मेलन के समापन के बाद पाकिस्तान की इस यात्रा के अलग-अलग मायने निकाले जा रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों देशों के बीच ब्रिक्स घोषणापत्र को लेकर चर्चा हो सकती है। सूत्रों के मुताबिक, चीन यह जानना चाहता है कि ब्रिक्स घोषणापत्र के मद्देनजर पाकिस्तान इन आतंकी संगठनों के खिलाफ क्या कार्रवाई कर सकता है? चीन और पाकिस्तान एशिया के दो खास दोस्त माने जाते हैं।
चीन नहीं बिगाड़ेगा पाक से रिश्ता
ब्रिक्स घोषणापत्र में पाकिस्तान में पल रहे आतंकी संगठनों का नाम आने के बाद चीन नहीं चाहता कि पाकिस्तान के साथ रिश्तें बिगड़े। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, चीन बिल्कुल नहीं चाहेगा कि ब्रिक्स के कारण उस देश के साथ रिश्तों में खटास पैदा हो, जिसके साथ करीब 50 बिलियन इकनॉमिक हित जुड़े हुए हैं। आतंकवाद को लेकर चीन भले ही पाकिस्तान से संतुष्ट नहीं हो लेकिन इस देश के साथ व्यापारिक हित महत्वपूर्ण है। यही कारण है कि इस दौरे को चीन विदेश मंत्रालय सिर्फ एक रूटीन बता रहे हैं
ब्रिक्स घोषणापत्र में जैश का नाम आने से तिलमिलाया हुआ है पाक
चीन में 3 दिन तक चले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में सभी देशों ने आतंकवाद की निंदा करते हुए पाकिस्तान की सह पर पल रहे आतंकी समूहों का नाम लिया गया था। ऐसा पहली बार हुआ है जब ब्रिक्स के सभी देशों ने जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हक्कानी नेटवर्क को आतंकी संगठन बताया था। इसके बाद पाकिस्तान असहज महसूस करते हुए ब्रिक्स घोषणापत्र का खंडन किया था।