क्या मनमोहन सरकार की गलत नीति से नेपाल में घुसा चीन? मोदी के पांचवें दौरे का महत्व जानिए
नई दिल्ली, 15 मईः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर नेपाल का दौरा करेंगे। आठ वर्षों के कार्यकाल में यह मोदी का पांचवा नेपाल दौरा होगा। साल 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी जब नेपाल गए थे, वह 17 वर्षों में पहला मौका था जब किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने नेपाल का दौरा किया। मोदी से पहले आखिरी नेता इंद्र कुमार गुजराल थे जो 1997 में नेपाल की यात्रा पर गये थे। हालांकि 2002 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी काठमांडो गये थे मगर वह दक्षेस की शिखर बैठक थी।
नेपाल नहीं गए मनमोहन सिंह
इस बीच मनमोहन सिंह पूरे एक दशक तक भारत के प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठे रहे मगर उन्होंने सबसे निकट पड़ोसी देश नेपाल जाना जरूरी नहीं समझा। भारत की कमजोर विदेश नीति का चीन ने खूब फायदा उठाया। यह मनमोहन सिंह का समय ही था जब नेपाल में पीएम पद की शपथ लेने के बाद प्रधानमंत्री भारत ने आने के बजाय चीन का दौरा करने लगे। दिसंबर, 2009 में एमाले नेता माधव कुमार नेपाल प्रधानमंत्री बनने के बाद आधिकारिक रूप से चीन की यात्र पर गये थे। और उसके बाद यह सिलसिला शुरू हो गया।
चीन ने उठाया फायदा
हमारी कमजोर विदेश नीति थी जिसमें चीन ने नेपाल में बड़ी तेजी से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश शुरू किया। भारतीय कंपनिया एफडीआई में पीछे छूटने लगीं। नेपाल में अधिक चीनी कंपनियों को एफडीआइ की अनुमति दी जाने लगी जबकि भारत की कंपनियों को कम अवसर मिलने लगा। मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री पद की कुर्सी छोड़ने तक 575 चीनी कंपनियों का पदार्पण नेपाल में हो चुका था। हालांकि मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद भी नेपाल से भारत के संबंध बहुत बेहतर नहीं रहे लेकिन भारत ने दोनों ही देशों के संबंधों को बेहतर बनाने की कोशिशों में लगातार सुधार किया। आंकड़े इसकी गवाही भी देते हैं। आठ सालों में नेपाल का पांच बार दौरा।
चीन के प्रभाव को कम करेगी यात्रा
ऐसा विश्वास जताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेपाल यात्रा वहां चीन के दखल को कम करने में निर्णायक साबित होगी। महज दो महीनों के भीतर दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों का एक-दूसरे देशों की यात्रा करना न सिर्फ पुराने संबंधों को पटरी पर लाने के लिए महत्वपूर्ण बनेगा, बल्कि इससे संबंधों में प्रगाढ़ता भी बढ़ेगी। नेपाल के मामलों में चीन को अलग-थलग करने के लिए भारत के लिए यह बेहद जरूरी है। विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा भी इस यात्रा को महत्वपूर्ण बताते हुए कहते हैं कि पिछले महीने नेपाल के प्रधानमंत्री भारत आए थे। इस दौरान विभिन्न मुद्दों पर द्विपक्षीय वार्ता हुई थी। अब इस वार्ता को वहां से आगे बढ़ाया जाएगा।
चीन को नेपाल ने दिया संकेत
नेपाल की पिछली कम्युनिस्ट सरकार के कार्यकाल में जिस प्रकार से लिपुलेख और कालापानी सीमा विवाद को उछाला गया, निश्चित है कि चीन के इशारे पर हुआ था। इसी प्रकार वहां चीन के निवेश को ज्यादा तरजीह दी जाने लगी तथा भारत विरोधी माहौल बनाने के प्रयास हुए। लेकिन, सरकार बदलने के बाद स्थितियां बदली हैं। महज डेढ़ महीने के भीतर ही प्रधानमंत्री का नेपाल यात्रा जाना चीन के लिए भी संकेत है कि नेपाल उसके इशारों पर नाचने वाला नहीं है। नेपाल, भारत को पुराने एवं सच्चे मित्र के रूप में देखता है।
भारत ने नेपाल में किया है निवेश
पिछले महीने प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने अपनी दिल्ली यात्रा में सीमा विवाद का राजनीतिकरण नहीं करने तथा तय तंत्र के जरिए समाधान निकालने पर सहमति प्रकट की थी। इसी प्रकार लंबित परियोजनाओं पर भी कार्य आगे बढ़ाने पर सहमति हुई है। नेपाल में बिजली परियोजनाओं, संचार, डिजिटल समेत कई क्षेत्रों में भारत ने पहले से ही निवेश कर रखा है। इस यात्रा के दौरान उसकी समीक्षा होगी ताकि तय समय में परियोजनाएं पूरी हों, साथ ही और भारत क्या कुछ कर सकता है, इस दिशा में भी दोनों प्रधानमंत्री चर्चा करेंगे।
नेपाल के साथ अद्वितीय संबंध
पिछली बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ कहा था कि भारत-नेपाल की खुली सीमाओं का अवांछित तत्वों द्वारा दुरुपयोग नहीं किया जाए। इसके लिए सुरक्षा संस्थाओं के बीच गहन सहयोग होना चाहिए। इस मुद्दे पर भी बैठक में बात होगी। भारत नेपाल से भी ऐसी किसी घोषणा की उम्मीद करता है। पीएम मोदी ने यह भी कहा कि दोनों पक्ष जलविद्युत, विकास और संपर्क सहित विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को विस्तार देने को लेकर बनी समझ को आगे बढ़ाएंगे। हमारे नेपाल के साथ संबंध अद्वितीय हैं। भारत और नेपाल के बीच सभ्यतागत और लोगों से लोगों के संबंध हमारे करीबी रिश्तों की स्थायी इमारत पर खड़े हैं।
Nepal and India are symbiotically tied. Yet, India's neglect allowed China to make deep inroads into Nepal. When Modi went to Nepal in August 2014, he became the first Indian prime minister to visit that country in 17 years. Now Modi is going to Nepal on his fifth visit as PM. pic.twitter.com/56XpW8cVvV
— Brahma Chellaney (@Chellaney) May 15, 2022