कोविड के बाद बांग्लादेश में तेजी से पांव पसार रहा है ड्रैगन, चीन को कैसे रोकेगी मोदी सरकार?
बांग्लादेश में कोविड-19 महामारी के बाद आर्थिक सुधार के लिए चीन खुद को एक विश्वसनीय भागीदार के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहा है...
बीजिंग/ढाका,
जून
04:
कोविड
महामारी
के
बाद
अर्थव्यवस्था
में
आई
रूकावट
से
उबरने
की
कोशिश
तो
वैसे
सभी
देश
कर
रहे
हैं,
लेकिन
छोटे
देशों
पर
इसका
काफी
खराब
असर
पड़ा
है।
वहीं,
कोविड
महामारी
को
जन्म
देने
वाला
चीन,
इस
आपदा
को
अपने
लिए
फायदे
में
बदलने
की
कोशिश
कर
रहा
है
और
उसकी
सबसे
ज्यादा
नजर
भारत
के
पड़ोसी
देशों
पर
है।
श्रीलंका
को
कर्ज
देकर
कंगाल
बनाने
के
बाद
अब
चीन
भारत
के
एक
और
अहम
पड़ोसी
देश
बांग्लादेश
में
भी
तेजी
से
अपने
पैर
पसारने
की
कोशिश
कर
रहा
है,
जिसके
बाद
सवाल
ये
उठ
रहे
हैं,
कि
आखिर
चीन
को
भारत
सरकार
कैसे
रोक
सकती
है?
बांग्लादेश में पैर पसारता चीन
बांग्लादेश में कोविड-19 महामारी के बाद आर्थिक सुधार के लिए चीन खुद को एक विश्वसनीय भागीदार के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहा है, लेकिन चीन जिस तरह से आर्थिक साझेदारी करता है, वो मदद प्राप्तकर्ता देशों के लिए गले के फांस के तौर पर काम करता है। बांग्लादेश लाइव न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, 3 मई को बांग्लादेश में चीनी राजदूत ली जिमिंग ने महामारी का सामना करने के बावजूद अपने विकास की प्रवृत्ति को सफलतापूर्वक जारी रखने के लिए ढाका की सराहना की है, और यहां तक कि देश के कोरोनावायरस महामारी से निपटने का श्रेय भी उन्होंने चीन को दिया है। चीनी राजदूत ने कहा था, 'यह मुझे बहुत प्रेरित करता है और मुझे यह कहते हुए गर्व हो रहा है कि चीन ने आपकी इस महान उपलब्धि में उचित योगदान दिया है।"
बांग्लादेश के लिए चीन का जाल
चीनी राजदूत का ये बयान दिखा सकता है, कि चीन, बांग्लादेश का एक विश्वसनीय आर्थिक भागीदार है लेकिन इसका टैक्स चोरी और धोखाधड़ी का अलग तस्वीर पेश करता है। चीनी संचालित भ्रष्टाचार बांग्लादेशी व्यापारिक उद्यमों, यहां तक कि सरकारी लेनदेन की कई परतों में प्रवेश कर गया है। पिछले साल, मेगाप्रोजेक्ट्स में धन के गबन का मामला सुर्खियों में आने के बाद, बांग्लादेश के अधिकारियों ने चीनी सरकार को तीन बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए कर्ज लेने से इनकार कर दिया था। चीन, बांग्लादेश को कर्ज देकर रेलवे समेत कई और इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए कर्ज देना चाहता था, लेकिन चीन का वो कर्ज बांग्लादेश के सरकारी अधिकारियों के पास पहुंच गया। इसके साथ ही बांग्लादेश में एक चीनी परियोजना में बांग्लादेशी मजदूरों को काफी प्रताड़ित किया जाता है और उनके साथ मारपीट भी की जाती है। एक मजदूर की पिटाई के बाद इतनी स्थिति बिगड़ गई थी, कि बांग्लादेश लाइव न्यूज के अनुसार, उसे बेकरगंज उपजिला स्वास्थ्य परिसर में भर्ती कराया गया था।
मजदूरों में चीन के खिलाफ गुस्सा
बांग्लादेश में चीनी मेगाप्रोजेक्ट्स के हिस्से के रूप में कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्रों की निर्माण प्रक्रिया में बांग्लादेशी मजदूरों के साथ दुर्व्यवहार एक प्रमुख चिंता का विषय है। पिछले साल, अप्रैल में एसएस पावर प्लांट के श्रमिकों का एक समूह उच्च मजदूरी और काम के घंटे कम करने के लिए शांतिपूर्वक विरोध करने के लिए चटगांव में इकट्ठा हुआ था, लेकिन बांग्लादेशी पुलिस ने मजदूरों के धरने पर लाठियां भांजी और उन्हें खदेड़ दिया था। बांग्लादेशी प्रेस ने इस संघर्ष में पांच लोगों की मौत और एक दर्जन लोगों के घायल होने की रिपोर्ट दी थी। दरअसल, बांग्लादेश में चीनी परियोजनाओं में प्रकृति का जमकर दोहन किया जाता है और स्थानीय पारिस्थितिक तंत्र को खुलेआम नुकसान पहुंचाया जाता है। वहीं, चीनी परियोजनाओं के लिए लोगों से जमीन भी छीन लिए गये हैं, जिसके खिलाफ बांग्लादेश में भारी विरोध भी हुआ था। लेकिन, सरकार ने चीन का साथ दिया और लोगों की जमीन पर जबरन कब्जा किया गया।
बांग्लादेश को बीआरआई में खींचने की कोशिश
दरअसल, बांग्लादेश को कर्ज के जाल में फंसाकर चीन उसे बीआरआई प्रोजेक्ट में खींचना चाहता है, ताकि वो बंगाल की खाड़ी में भारत को घेर सके। चीन को लगता है कि, बांग्लादेश उसके लिए एक बेहतरीन खिलाड़ी साबित होगा, और ढाका ने भी इस योजना में शामिल होने में अपनी रुचि दिखाई है। लेकिन, बांग्लादेशी एक्सपर्ट्स ने बांग्लादेश सरकार को चेतावनी दी है, कि सरकार को श्रीलंका में जो हुआ उससे सबक लेना चाहिए। वर्तमान में, श्रीलंका एक गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है, जिसमें भोजन और ईंधन की कमी से द्वीप राष्ट्र में बड़ी संख्या में लोग प्रभावित हैं और चीन जिम्मेदार कारकों में से एक है। महामारी के बाद की स्थिति में जहां बांग्लादेश भी आर्थिक सुधार की ओर देख रहा है, वहां उसे चीन से भारी कर्ज लेने का ऑफर भी मिल रहा है, लेकिन बांग्लादेशी मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है, कि बांग्लादेश की सिस्टम में जो भ्रष्टाचा है, वो बांग्लादेश को श्रीलंका के रास्ते पर ही ले आएगा।
बांग्लादेश पर कितना है चीनी कर्ज
बांग्लादेश पर लगभग 8 अरब अमेरिकी डॉलर का चीनी कर्ज और बांग्लादेश ने चीन से करीबी सैन्य संबंध भी बनाए हैं, वहीं, बांग्लादेश ने चीन कई लेटेस्ट हथियार भी खरीदे हैं और बांग्लादेश में चीन जिस तरह से घुसा है, वो भारत के लिए चिंता की बात है, क्योंकि इससे बंगाल की खाड़ी के साथ साथ हिंद महासागर में चीन के लिए एक और दरवाजा खुलता है। हालांकि, एक्सपर्ट्स का कहना है कि, बांग्लादेश के पास अपने कर्ज का प्रबंधन करने की क्षमता तो है, लेकिन बांग्लादेशी एक्सपर्ट्स का कहना है कि, चीन से अगल बांग्लादेश बचकर रहे, वही उसके लिए ठीक होगा। वहीं, ध्यान इस बात पर भी है, कि बांग्लादेश को चीन से अलग रखने के लिए भारत क्या कदम उठाता है।
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