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एक्सपर्ट्स ने क्यों दी चेतावनी, कनाडा अपना भला चाहता है, तो फौरन भारत के साथ ये समझौता करे

एक्सपर्ट्स ने अपने लेख में इंडो-पैसिफिक में कनाडा के खामोशी पर गंभीर सवाल उठाया है और लिखा है, कि इंडो-पैसिफिक के लिए भारत ही एक मजबूत और लोकतांत्रिक देश है, लेकिन कनाडा इस बातचीत से पूरी तरह से बाहर है।

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नई दिल्ली/टोरंटो, जुलाई 12: भारत और कनाडा के संबंध उतार-चढ़ाव भरे रहते हैं और एक लिहाज से दोनों देशों के संबंध अच्छे ही कहे जाने चाहिए, लेकिन कई मुद्दों पर दोनों देशों के बीच गहरा मतभेद भी रहता है। खासकर, किसान आंदोलन के दौरान जब कनाडा की तरफ से प्रतिक्रिया दी गई, तो भारत ने गहरा एतराज जताया था, लेकिन अब एक्सपर्ट्स का कहना है कि, कनाडा को भारत के साथ रणनीतिक संबंधों को गहरा करना चाहिए, अन्यथा आने वाले सालों में उसे गहरा नुकसान होगा और अगर कनाडा भारत के साथ अपने रणनीतिक संबंधों को मजबूत नहीं करता है, तो भारत-प्रशांत क्षेत्र में उभरे लोकतांत्रिक ग्रुप से बाहर होने का जोखिम बढ़ जाएगा।

एक्सपर्ट्स ने दी चेतावनी

एक्सपर्ट्स ने दी चेतावनी

कनाडाई दैनिक नेशनल पोस्ट में एक लेख प्रकाशित की गई है, जिसमें कनाडा सरकार को समझाते हुए लिखा गया है, कि भारत के साथ समझौता करने में ही उसका हित है। ओटावा स्थित थिंक टैंक मैकडॉनल्ड लॉरियर इंस्टीट्यूट (एमएलआई) द्वारा प्रकाशित इस लेख में लिखा गया है कि, 'भारत के साथ साझेदारी बनाने में कनाडा पहले ही अपने सबसे करीबी सहयोगियों, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया से पीछे रह गया है। जैसे-जैसे इंडो-पैसिफिक का महत्व बढ़ता जा रहा है, यह कनाडा के हित में है कि वह भारत के साथ एक अधिक सुरक्षित और समृद्ध दुनिया की दिशा में एक अग्रणी भूमिका को परिभाषित करे'। सोमवार को पोस्ट किए गये इस लेख को एमएलआई की विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा कार्यक्रम के प्रमुख शुवालॉय मजूमदार और भारत के ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के वरिष्ठ साथी समीर पाटिल ने लिखी है, जिसमें उन्होंने कहा कि, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और अन्य नेता "भारत के साथ पश्चिमी सहयोग को बेहतर बनाने के लिए काम कर रहे थे, जबकि कनाडा इसमं पूरी तरह से गायब है, जो एक 'बुरी खबर' है"।

इंडो-पैसिफिक में खामोश क्यों है कनाडा?

इंडो-पैसिफिक में खामोश क्यों है कनाडा?

एक्सपर्ट्स ने अपने लेख में इंडो-पैसिफिक में कनाडा के खामोशी पर गंभीर सवाल उठाया है और लिखा है, कि इंडो-पैसिफिक के लिए भारत ही एक मजबूत और लोकतांत्रिक देश है, लेकिन कनाडा इस बातचीत से पूरी तरह से बाहर है। उन्होंने लिखा है कि, इस क्षेत्र में कनाडा के गहरे सुरक्षा हित हैं, लेकिन जब पश्चिमी देश भारत के साथ रणनीतिक संबंध बना रहे हैं, तो कोई भी ये सोचेगा, कि कनाडा भी इस संबंध को बढ़ाने के लिए महत्वाकांक्षी होगा। लेकिन, इंडो-पैसिफिक के लिए बने लोकतांत्रिक ग्रुप, चाहे वो क्वाड हो, जिसमें भारत के अलावा अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया हैं, या फिर ऑकस, जिसमें अमेरिका के साथ साथ ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया हैं, या फिर इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क फॉर प्रॉस्पेरिटी, जिसमें हिंद प्रशांत क्षेत्र के 13 प्रमुख देश शामिल हैं, इनमें से किसी भी ग्रुप में शामिल होने के लिए कनाडा ने उत्सुकता नहीं दिखाई, बल्कि कनाडा को पूरी तरह से अलग कर दिया गया।

कनाडा काफी कुछ कर सकता है ऑफर

कनाडा काफी कुछ कर सकता है ऑफर

रिसर्च लेख में आगे कहा गया है कि, कनाडा के पास एडवांस डिफेंस इंडस्ट्री है और कनाडा का इकोसिस्टम भी इनोवेटिव है, लिहाजा, कनाडा के पास ऐसा काफी कुछ है, जो वो भारत को ऑफर कर सकता है और 21वीं सदी में इंडो-पैसिफिक में एक मजबूत नेटवर्क स्थापित करने में अपनी भागीदारी निभा सकता है। उन्होंने लिखा है कि, यूक्रेन संकट ने अब यह पूरी तरह से साफ कर दिया है कि, इंडो-पैसिफिक की सुरक्षा के लिए दुनिया के लोकतांत्रिक देशों को गंभीरता से आकलन करना चाहिए, जिसे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक तरह से नाटो माना जा सकता है। और एशियाई लोकतांत्रिक देशों, विशेष रूप से भारत और जापान के साथ सुरक्षा सहयोग का निर्माण शुरू करने के लिए पश्चिमी देशों को किसी इस तरह के संकट के सामने आने की प्रतीक्षा करने की आवश्यकता नहीं है।

कनाडा की इंडो-पैसिफिक रणनीति

कनाडा की इंडो-पैसिफिक रणनीति

कनाडा नवंबर 2019 से एक नई इंडो-पैसिफिक रणनीति पर काम कर रहा है और इस साल के अंत में इसकी घोषणा होने की उम्मीद है। नीति विकसित करने के लिए कनाडा के विदेश मंत्रालय द्वारा, ग्लोबल अफेयर्स कनाडा के एक विशेष सचिवालय की स्थापना की गई है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पिछले महीने जी7 शिखर सम्मेलन के दौरान व्यक्तिगल मुलाकात हुई थी और चार सालों में दोनों नेताओं की ये पहली ऐसी मुलाकात थी। इस दौरान दोनों नेताओं के बीच कुछ अलग मुद्दों के अलावा 'खुले और समावेशी इंडो-पैसिफिक' को लेकर चर्चा की गई।

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English summary
Experts have warned that Canada should develop a strategic partnership with India immediately.
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