सूरज ने बुध पर जमकर बरपाया है अपना 'प्रकोप', पहली बार सामने आईं दुर्लभ तस्वीरें
नई दिल्ली: हमारे सौरमंडल में सूर्य का सबसे करीबी ग्रह बुध है, जो आकार में भी काफी छोटा है। इस ग्रह के रहस्यों को सुलझाने के लिए जापान और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने बेपीकोलंबो नाम से एक मिशन शुरू किया था, जिसने काफी कामयाबी हासिल की है। हाल ही में इस मिशन के तहत लॉन्च सेटेलाइट ने बुध की कई तस्वीरें लीं, जिससे उसकी रहस्यमयी दुनिया के राज खुल सकते हैं।
काफी पास पहुंचा सेटेलाइट
जापानी अंतरिक्ष एजेंसी के मुताबिक हाल ही में उनकी सेटेलाइट बुध ग्रह के सतह के काफी करीब आ गई थी। उस वक्त उसकी दूरी सतह से सिर्फ 200 किलोमीटर ही थी। उस दौरान बेपीकोलंबो ने सबसे छोटे ग्रह की कई तस्वीरें लीं। इसके लिए वैज्ञानिकों ने पहले से उसके ऊपर तीन हाईटेक कैमरे लगा रखे थे। इन कैमरों की मदद से पता चला कि सूर्य ने बुध की सतह पर काफी प्रकोप बरपाया है।
नाटकीय रूप से बदला नजारा
वैज्ञानिकों ने बताया कि बुध की पहली तस्वीर जो ली गई है, वो सतह के सबसे पास आने से 5 मिनट पहले की थी। उस वक्त सेटेलाइट की दूरी 800 किमी थी। जब अंतरिक्ष यान फिर से ग्रह से दूर चला गया तो करीब आने के बाद लगभग 40 मिनट के लिए फोटो खीचीं गई। जैसे ही अंतरिक्ष यान रात की ओर से दिन की ओर उड़ता गया, वहां का नजारा नाटकीय रूप से बदल गया।
सबसे बड़ा कैलोरिस बेसिन भी नजर आया
बेपीकोलंबो को ऑपरेट करने वाली टीम के मुताबिक जैसे ही सूर्य का उदय हुआ, सेटेलाइट को वहां पर गड्डों वाली एक दुनिया दिखाई दी। वहीं जब सेटेलाइट सतह के पास पहुंचने वाला था, तो सूर्य की चमक की वजह से 1550 किलोमीटर लंबा कैलोरिस बेसिन नजर आया। आम भाषा में कहें तो कैलोरिस बेसिन बुध की सतह पर बना एक बड़ा गड्ढा है। वहीं कैलोरिस के आसपास लावा नजर आया, जो लाखों साल या उससे भी ज्यादा पुराना था।
पूरी तरह काम नहीं कर रहे उपकरण
जापानी अंतरिक्ष एजेंसी के मुताबिक बेपीकोलंबो अभी 'स्टैक्ड' क्रूज कॉन्फ़िगरेशन' मोड में है, यानी उसके बहुत से उपकरण पूरी तरह से काम नहीं कर रहे हैं। अगर उनका पूरी तरह से इस्तेमाल किया गया तो वो चुंबकीय, प्लाज्मा, पार्टिकल आदि से प्रभावित हो सकते हैं। आमतौर पर ऑर्बिटल मिशन में ऐसा होता है।
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