Impact Crater: 28 करोड़ साल पहले उल्कापिंड की टक्कर से बने 30 से ज्यादा गड्ढे, अब मिली वो जगह
नई दिल्ली, 11 मार्च: आपने कई बार सुना होगा कि पृथ्वी की तरफ अंतरिक्ष से उल्कापिंड आने वाला है। कई दफा उल्कापिंड धरती पर गिरे भी हैं। कई स्पेस स्टडी के बेस पर वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि पृथ्वी से डायनासोर का खात्मा भी विशालकाय उल्कापिंड की वजह से हुआ था। हाल ही में एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि उत्तर-पूर्व चीन में एक इम्पैक्ट क्रेटर धरती पर उल्कापिंड के गिरने से बना है, जिसका आकार चंद्रमा के बराबर था। इम्पैक्ट क्रेटर का मतलब जब धरती से कोई उल्कापिंड या एस्टेरॉयड की भिड़ंत होती है तो उसके बाद एक बड़ा गड्ढा बनाता है, उसे ही इम्पैक्ट क्रेटर (Impact Crater) कहा जाता है, लेकिन इस बीच एक सवाल उठा है कि क्या इन्हीं उल्कापिंड की टक्कर से कई और गड्ढे यानी इम्पैक्ट क्रेटर बन सकते हैं।
एक नहीं बल्कि 30 से ज्यादा इम्पैक्ट क्रेटर बने
इस सवाल का जवाब हाल ही में मिला है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि उल्कापिंड से टक्कर से एक नहीं बल्कि 30 से ज्यादा इम्पैक्ट क्रेटर बने हैं। अमेरिका के व्योमिंग में ऐसा ही हुआ है। जियोलॉजिकल एसोसिएशन ऑफ अमेरिका की ओर से पब्लिश एक नई रिसर्च रिपोर्ट में ऐसा ही दावा किया गया है। नए रिसर्च में जर्मनी की यूनिवर्सिटी ऑफ फ्रीबर्ग के जियोलॉजिस्ट और इस स्टडी के प्रमुख थॉमस केंकमैन ने बताया कि 30 से ज्यादा ये गड्ढे एक ही उल्कापिंड की टक्कर से बने हैं।(फोटो साभार: केंट सुंडेल/कैस्पर कॉलेज)
28 करोड़ साल पहले बने थे व्योमिंग में क्रेटर
शोधकर्ताओं ने एक नई स्टडी में कहा कि दक्षिण-पूर्व व्योमिंग की साइट में 30 से अधिक क्रेटर हैं, जो लगभग 280 मिलियन वर्ष यानी 28 करोड़ साल पहले बने थे। बताया गया कि सैकड़ों मील दूर उल्कापिंड के प्रभाव के बाद क्रेटर बनाए गए थे, जिससे हवा में बेडरॉक के बोल्डर उड़ गए। यानी कि यह एक ही उल्कापिंड की टक्कर से बने है, जिसकी हकीकत यह थी कि यह उल्कापिंड गिरा कहीं और था, उसके बाद वह हजारों टुकड़ों में टूटा। फिर उसके कुछ टुकड़े बंटकर यूएस के व्योमिंग के पास आकर गिरे, जिससे इम्पैक्ट क्रेटर बन गए। (सांकेतिक तस्वीर)
एक ही उल्कापिंड से अलग होकर बने गड्ढे
जर्मनी में फ्रीबर्ग यूनिवर्सिटी के भूविज्ञानी, स्टडी लीडर थॉमस केंकमैन ने जियोलॉजिकल एसोसिएशन ऑफ अमेरिका के एक बयान में कहा कि प्रक्षेपवक्र (Trajectory) एक सिंगल सोर्स की ओर इशारा करते हैं और दिखाते हैं कि क्रेटर एक बड़े प्राइमरी क्रेटर से अलग होकर ब्लॉकों द्वारा बनाए गए थे।" गड्ढों की जानकारी देते हुए थॉमस केंकमैन ने बताया कि चांद और अन्य ग्रहों पर बड़े क्रेटर्स के आसपास सेकेंडरी इम्पैक्ट क्रेटर अक्सर देखने को मिल जाते हैं। दरअसल, किसी उल्कापिंड की टक्कर से बनने वाला पहला क्रेटर यानी गड्ढा प्राइमरी क्रेटर कहलाता है, जबकि इसके बाद इस टक्कर से बनने वाले और दूसरे गड्ढों को सेकेंडरी क्रेटर कहते हैं। धरती पर इसका एग्जांपल एक ही है, जबकि अन्य ग्रहों पर ऐसा होता अमूमन होता है।(सांकेतिक तस्वीर)
चांद और अन्य ग्रहों पर मिलते हैं सेकेंडरी इम्पैक्ट क्रेटर
थॉमस केंकमैन ने बताया कि चांद और अन्य ग्रहों पर लार्ज क्रेटर्स के इधर-उधर सेकेंडरी इम्पैक्ट क्रेटर अक्सर देखे जाते हैं, लेकिन पृथ्वी पर कभी नहीं पाए गए। वैज्ञानिकों ने 31 क्रेटर के अलावा 60 और इम्पैक्ट क्रेटर्स यानी गड्ढे खोजे हैं। जब शोधकर्ताओं ने पहली बार क्रेटरों के एरिया को देखा, तो उन्हें लगा था कि एक एस्टेरॉयड (या अंतरिक्ष चट्टान) मध्य हवा में टूट गया था और चट्टानों को अपने रास्ते के नीचे जमीन में दुर्घटनाग्रस्त कर दिया था। शोधकर्ताओं ने कहा कि अलग-अलग क्रेटर 32 से 230 फीट (10 और 70 मीटर) व्यास के बीच होते हैं। (सांकेतिक तस्वीर)
कई गोलाकार के बजाय अण्डाकार
आगे की स्टडी में पता चला है कि कई क्रेटर छोटे क्षेत्रों में क्लस्टर किए गए हैं और कई गोलाकार के बजाय अण्डाकार हैं, जो एक अलग मूल कहानी (origin story) का सुझाव देते हैं। क्रेटर का किरण जैसे पैटर्न के साथ जुड़ना प्रतीत होते हैं, यह सुझाव देते हुए कि ये सेकेंडरी क्रेटर हैं जो मूल प्रभाव से बने सेंट्रल, प्राइमरी क्रेटर के चारों ओर फैले मलबे से बने हैं। टीम के काम से पता चलता है कि डेनवर बेसिन नामक क्षेत्र में व्योमिंग-नेब्रास्का सीमा के पास तलछट में गड्ढा "गहराई से दब गया" है। यदि वैज्ञानिक इसे आगे कभी ट्रैक करते है तो कई तरीके की जानकारी मिल सकती हैं। उम्मीद जताई गई है कि सोर्स क्रेटर लगभग 31 से 40 मील (50 से 65 किमी) के एरिया में होंगे। (सांकेतिक तस्वीर)
जीएसए बुलेटिन में प्रकाशित हुई थी स्टडी
तुलना के लिए यूकाटन प्रायद्वीप के क्रेटर की बात करें तो उसका प्राइमरी गड्ढा 150 किलोमीटर व्यास है, जिसका धरती पर डायानसोर के अंत से जुड़ा हुआ है। शोधकर्ताओं की गणना के अनुसार सभी सेकेंडरी इम्पैक्ट क्रेटर 13 फीट और 26 फीट (4 मीटर से 8 मीटर) के बीच है। वे कहते हैं कि मूल प्रभावकारक 1.2 मील (2 किमी) से अधिक चौड़ा हो सकता था। शोध पर आधारित एक अध्ययन 11 फरवरी को जीएसए बुलेटिन में प्रकाशित हुआ था।
This long-lost asteroid impact was so big its debris left more than 30 craters https://t.co/SnyA4I5UAP
— Live Science (@LiveScience) March 10, 2022