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Special Report: समंदर में मंडरा रहा चीन से युद्ध का खतरा, अमेरिका ने उतारी पूरी फौज, सहयोगी देश भी पहुंचे

अमेरिका ने चीन के खिलाफ अपने वारशिप साउथ चायना शी में उतार दिए हैं। वहीं जापान, इंग्लैंड, फ्रांस और जर्मनी भी चीन के खिलाफ हिंद प्रशांत क्षेत्र में उतर गये हैं।

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China Vs America: वाशिंगटन: दुनिया की महाशक्तियां जिस तरह से समुंदर में तैयारियां कर रही हैं, उससे आशंका बनने लगी है क्या अगला विश्वयुद्ध (World War) समंदर में ही होने वाला है। चीन (China) के खिलाफ अमेरिका, जापान, फ्रांस, जर्मनी ताइवान की नेवी समंदर में एक साथ जमा होने लगी हैं। आशंका बनने लगी हैं कि अगर ये युद्ध होता है तो मानवता के लिए आखिरी गिनती शुरू हो जाएगी। लड़ाई की ये नौबत सिर्फ और सिर्फ चीन की विस्तारवादी नीति की वजह से बनी है।

US CHINA

दरअसल, कोरोना काल में वैश्विक अर्थव्यवस्था के पतन के साथ ही चीन ने सुपरपावर अमेरिका को आंखें दिखानी शुरू कर दी है। जानकारों का मानना है कि चीन पहले अपने दुश्मनों को उकसाकर उनकी ताकत और उनकी मनोस्थिति को परखने की कोशिश करता है और फिर उस हिसाब से अपनी रणनीति बनाता है। चीन इस वक्त अमेरिका के नये राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) के धैर्य की परीक्षा ले रहा है। चीन ने एक ही हफ्ते में दो बार ताइवान (Taiwan) में परमाणु हथियारों से युक्त एयरक्राफ्ट भेज दिए और फिर ताइवान को धमकाकर कहा कि ताइवान का आजादी मांगना मतलब चीन को युद्ध के लिए ललकारना है। जिसके बाद अमेरिका ने अपनी नेवी को ताइवान की मदद के लिए भेज दिया है वहीं कई सहयोगी देश भी समंदर में उतर चुके हैं।

CHINA WARCRAFT

चीन उकसाएगा विश्व युद्ध हो जाएगा?

CNN की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यूएस पेसिफिक कमांड के पूर्व डायरेक्टर कार्ल शूस्टर ने कहा है कि 'चीन अपने विरोधी की मानसिकता और उसकी क्षमता जांचने के लिए लगातार उसे उकसाने की कोशिश करता है। और ताइवान को युद्द की धमकी देना, चीन की वही कोशिश है। अमेरिका को उकसाने के लिए चीन साउथ चाइना समंदर में ताइवान सीमा के पास मिलिट्री अभ्यास कर सकता है या फिर चीन के इलाके से गुजरने वाले जहाजों को निशाना बना सकता है, चीन की ये कोशिश अमेरिका के नये राष्ट्रपति जो बाइडेन की सीमा रेखा जांचने के लिए उठाया गया सिर्फ एक कदम होगा' लेकिन, इसके अंजाम बेहद खतरनाक हो सकते हैं।

अमेरिका की नई जो बाइडेन सरकार ने चीन को सख्त मैसेज देकर अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं। अमेरिका के नये रक्षामंत्री लॉयड एस्टन ने चीन को लेकर अपने बयान में कहा है 'चीन हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती है। अमेरिका पहले चीन या अपने किसी भी विरोधी देश को चेतावनी देना चाहेगा कि अमेरिकी सेना से लड़ाई करना उनके लिए काफी बुरा विचार होगा' जानकारों का मानना है कि चीन के खिलाफ अमेरिका फिलहाल तीन फ्रंट पर अपनी स्ट्रेटजी तैयार करेगा।

पहला फ्रंट- साउथ चायना सी

1.3 मीलियन स्क्वायर मील में फैली साउथ चायना सी के हर हिस्से पर चीन अपना मालिकाना हक बताता है। चीन ने साउथ चायना सी में एक मानव निर्मित द्वीप का भी निर्माण किया है, जिसपर उसने आधुनिक मिसाइल, रनवे और अलग अलग हथियारों का सिस्टम तैनात किया हुआ है। इतना ही नहीं, चीन फिलिपिंस, वियतनाम, मलेसिया, इंडोनेशिया, ब्रूनेई और ताइवान के समुद्री हिस्से पर भी अपना हक बताता है। ये सभी देश बहुत छोटे हैं और इन देशों को चीन से प्रोटेक्शन चाहिए। अमेरिका चीन के इस मालिकाना हक को खारिज करते हुए दक्षिण चीन सागर में अपने अमेरिकी वारशिप और मिलिट्री एयरक्राफ्ट भेजता रहता है। डोनाल्ड ट्रंप के शासनकाल में अमेरिका दक्षिण चीन सागर में काफी ज्यादा आक्रामक रहा और उसने दक्षिण चीन सागर में फ्रीडम ऑफ नेविगेशन ऑपरेशंस के तहत 10 बार अपने अपने वारक्राफ्ट दक्षिण चीन सागर में भेजे।

दरअसल, समुन्द्री कानून के हिसाब से किसी भी देश का हक उसकी जमीनी सरहद से समुन्द्र में 12 नौटिकल माइल तक ही हो सकता है, लेकिन चीन इस कानून का खुलेआम उल्लंघन करता है। लिहाजा, डोनाल्ड ट्रंप लगातार दक्षिण चीन सागर में अपने वारक्राफ्ट भेजते रहे। 2020 में डोनाल्ड ट्रंप ने 2 विशालयकाय कैरियर स्ट्राइक ग्रुप के साथ दक्षिण चीन सागर में युद्धाभ्यास भी कराया। डोनाल्ड ट्रंप के इस कदम से अमेरिका और चीन के संबंध काफी खराब हो गये थे। लेकिन, डोनाल्ड ट्रंप ने अपने कदम पीछे नहीं लिए। अमेरिका ने दोनों विशालकाय कैरियर स्ट्राइक को दक्षिण चीन सागर में तैनात कर दिया है साथ ही अमेरिका के और कैरियर स्ट्राइक दक्षिण चीन सागर में आ रहे हैं, जिसके बाद जानकारों का मानना है कि आने वाले वक्त में दक्षिण चीन सागर में अमेरिका और चीन की लड़ाई हो सकती है।

TAIWAN STRAIT

दूसरा फ्रंट- ताइवान और ताइवान की जलसंधि

अमेरिका और चीन के बीच ताइवान को लेकर पिछले एक हफ्ते में ही टेंशन बढ़ चुकी है। ताइवान को मिली चीनी धमकी के बाद अमेरिका में हलचल तेज हो चुकी है। बतौर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2020 में 13 बार ताइवान के समुन्द्री इलाके में चीन को जवाब देने के लिए वारशिप भेजा था। डोनाल्ड ट्रंप से पहले बराक ओबामा के शासनकाल में 12 बार अमेरिकन वारशिप को ताइवान के इलाके में भेजा गया था। उस वक्त जो बाइडेन अमेरिका के उपराष्ट्रपति थे। एक बार फिर से अमेरिका ने ताइवान का साथ देने की बात कह दी है। साथ ही ताइवान की मदद के लिए अमेरिका ने ताइवान जलडमरूमध्य में F-16 वारक्राफ्ट और कई आधुनिक मिसाइलों से लैस कैरियर को भेज दिया है।

जो बाइडेन प्रशासन ने चीन को सीधे शब्दों में कह दिया है कि भारी हथियार, मिसाइल और F-16 वारक्राफ्ट से लैश अमेरिकी कैरियर वापस नहीं लौटेंगे। अमेरिका के नये विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकेन ने चीन से कहा है कि 'ताइवान को अपनी ताकत दिखाकर धमकाने के बजाए चीन ताइवान की चुनी हुई सरकार से लोकतांत्रित रवैया अख्तियार कर बात करे, क्योंकि ताइवान की मदद करने के लिए अमेरिका पूरी तरह से तैयार है'। ऐसे में चीन के वारक्राफ्ट कैरियर और अमेरिका के वारक्राफ्ट कैरियर आमने सामने खड़े हैं। आशंका जताई जा रही है कि चीन के थोड़े और उकसावे के बाद दोनों देश के बीच लड़ाई शुरू हो सकती है।

INDIAN NAVY

हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की घेराबंदी शुरू

हिंद प्रशांत क्षेत्र यानि इंडो पैसिफिक रीजन में सहयोग बढ़ाने के लिए भारत- ऑस्ट्रेलिया और फ्रांस के बीच पहले ही समझौते हो चुके हैं। साथ ही अमेरिका और जापान विश्व में सबसे महत्वपूर्ण साझेदार हैं। अमेरिका ने जापान के योकोसुका (YOKOSUKA) में यूएस नेवी 7th फ्लीट की तैनाकी कर रख है। इस इलाके को अमेरिकी सेना का होमग्राउंड माना जाता है। जानकारों का मानना है कि डोनाल्ड ट्रंप चीन को इसलिए मात नहीं दे पाए क्योंकि उन्होंने चीन के खिलाफ किसी भी एक्शन में सहयोगी देशों से बात तक नहीं की। लेकिन जो बाइडेन प्रशासन ने अमेरिका के मित्र देशों से चीन को लेकर संपर्क साधना शुरू कर दिया है।

हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिति जापान के करीब 1900 किलोमीटर के सेनककुस (Senkakus) इलाके पर भी चीन अपना दावा ठोकता है। ये इलाका सामरिक और सैन्य दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। अमेरिका जापान के दावे के साथ खड़ा है। जापान के प्रधानमंत्री योशीहिदे सुगा (Yoshihide Suga) से पिछले हफ्ते अमेरिका के नये राष्ट्रपति जो बाइडेन ने बात की थी। जिसमें सेनककुस (Senkakus) इलाके में चीनी दखलअंदाजी को रोकने को लेकर दोनों नेताओं में बात हुई। इसके साथ ही माना जा रहा है कि चीन की गर्दन पकड़ने के लिए जो बाइडेन की टीम बहुत जल्द भारत, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण कोरिया के राष्ट्राध्यक्षों से भी बात कर सकती है। भारत भी दक्षिण चीन सागर में अपने नेवल वारक्राफ्ट भेज चुका है तो हिंद-प्रशांत क्षेत्र और हिंद महासागर में भारत मजबूती के साथ खड़ा है।

ब्रिटेन ने भी हिंद-प्रशांत महासागर में अपने विशालकाय 'एचएमएस क्वीन एलिजाबेथ एयरक्राफ्ट कैरियर स्ट्राइक ग्रुप' को भेजने की घोषणा कर चुका है। इसके साथ ही उम्मीद ये भी है कि फ्रांस और जर्मनी भी अमेरिका-जापान और फिलिपिंस के सामुहिक युद्धाभ्यास में शामिल हो सकता है। ऐसे में हिंद प्रशांत क्षेत्र लड़ाई का नया मैदान बन सकता है।

WAR CRAFT

क्या ये विश्वयुद्ध की आहट है ?

चीन की गर्दन पकड़ने के लिए भले ही अमेरिका के नेतृत्व में भले ही कई देश साथ आ रहे हों लेकिन सच ये भी है कि चीन के पास विश्व की दूसरी सबसे बड़ी सेना है। साथ ही इस बार चीनी कम्यूनिस्ट पार्टी की स्थापना दिवस के मौके पर ऐसी संभावना है कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग चीन के लिए नये टार्गेट की घोषणा कर सकते हैं। माना ये भी जा रहा है कि चीन में घरेलू स्तर पर फैले असंतोष से चीनी जनता का ध्यान भटकाने के लिए शी जिनपिंग अमेरिका के साथ साथ अलग अलग देशों को ललकार रहे हैं ताकि युद्ध की नौबत बन जाए और उनकी गद्दी बनी रहे। ऐसे में क्या चीन की विस्तारवादी नीति और उसकी महत्वाकांक्षा से ये दुनिया एक और विश्वयुद्ध की तरफ आगे बढ़ रहा है?

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English summary
The threat of war with China hovering in the sea, the US landed the entire army, allied countries also reached
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