Farmers Protest: अमेरिका ने किया कृषि कानूनों का समर्थन, किसान प्रदर्शन को लेकर कही ये बात
America On farmers Protest And Farm Laws: वाशिंगटन। कृषि कानूनों पर किसानों के विरोध प्रदर्शन के बीच अमेरिका ने भारत सरकार द्वारा पारित किए गए तीन कृषि कानूनों का समर्थन किया है। अमेरिका ने कहा है कि ये कदम भारतीय बाजार की दक्षता को बढ़ाएंगे और क्षेत्र में निजी निवेश को आकर्षित करेगा। अमेरिका का बयान ऐसे समय में आया है जब अंतरराष्ट्रीय हस्तियों ने कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसानों का समर्थन किया है।
रिहाना, ग्रेटा थनबर्ग ने किया है आंदोलन का समर्थन
रिहाना, ग्रेटा थनबर्ग और मीना हैरिस (अमेरिकी उपराष्ट्रपति की भतीजी) ने भारत में कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसानों के समर्थन में ट्वीट किया था जिसके बाद भारत में सोशल मीडिया पर इसे लेकर काफी हल्ला मचा था। भारत के विदेश मंत्रालय ने अंतरराष्ट्रीय हस्तियों के ट्वीट को भारत के खिलाफ दुष्प्रचार कहा था। जिसके बाद सचिन तेंदुलकर और विरोट कोहली समेत देश की जानी-मानी हस्तियों ने इसे विदेशी हस्तक्षेप बताते हुए भारत सरकार के साथ एकजुटता दिखाई थी।
किसानों के प्रदर्शन पर प्रतिक्रिया देते हुए अमेरिका विदेश विभाग ने कहा कि हम शांतिपूर्ण प्रदर्शनों को लोकतंत्र की कसौटी मानते हैं। साथ ही ये भी कहा कि दोनों पक्षों को किसी भी असहमति को बातचीत से हल करना चाहिए।
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शांतिपूर्ण प्रदर्शन लोकतंत्र की कसौटी
विदेश विभाग के प्रवक्ता ने कहा "हम मानते हैं कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन किसी भी समृद्ध लोकतंत्र की कसौटी है। यहां ये याद रखने की जरूरत है कि भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने भी यही कहा है।"
हम दोनों पक्षों के बीच किसी भी असहमति को बातचीत से हल करने का समर्थन करते हैं। सामान्य तौर पर अमेरिका इन कदमों (कृषि कानूनों) का स्वागत करता है जो कि भारतीय बाजार की दक्षता को सुधारने और निजी निवेश को आकर्षित करने के लिए उठाए गए हैं।
दिल्ली बॉर्डर पर जुटे हैं किसान
पिछले साल ही केंद्र की मोदी सरकार ने संसद से तीन कृषि कानूनों को पारित किया था। इन कानूनों के विरोध में बीते साल 26 नवम्बर से ही दिल्ली की सीमा पर किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों की मांग है कि इन कृषि कानूनों को वापस लिया जाए और साथ ही एमएसपी पर कानून बनाया जाये। अब तक सरकार और किसानों के बीच 11 दौर की वार्ता हो चुकी है। 22 जनवरी को 11वें दौर की वार्ता में सरकार ने एक से डेढ़ साल तक कानूनों को स्थगित करने का प्रस्ताव रखा था जिसें किसान संगठनों से स्वीकार नहीं किया था।
26 जनवरी को गणतंत्र दिवस को किसानों ने दिल्ली के बाहर इलाकों में किसान ट्रैक्टर परेड की अनुमति मांगी थी। इस दौरान कुछ किसान राजधानी में घुस गए थे और हिंसा भड़क गई थी। इसके बाद गाजीपुर बॉर्डर पर भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत की एक भावुक अपील ने किसान आंदोलन को नया रूप दे दिया है।