महाविध्वंसक हार्पून मिसाइल भारत को देने के लिए US तैयार, समुद्र में तबाही मचाने के लिए है मशहूर
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने भारत के साथ हुए इस करार की पुष्टि कर दी है और दोनों देशों के बीच ये करार 6 अरब डॉलर का हुआ है।
वॉशिंगटन/नई दिल्ली, अगस्त 03: अमेरिका और भारत में समुद्र में महाविध्वंसक माने जाने वाले एंटी-शिप हार्पून मिसाइल देने के लिए करार हो गया है। अमेरिका ने हार्पून ज्वाइंट कॉमन टेस्ट सेट यानि जेसीटीएस और उससे जुड़े तमाम उपकरण भारत को देने पर महमति जता दी है। भारत और अमेरिका के बीच ये डील 82 मिलियन अमेरिकी डॉलर यानि 6 अरब डॉलर से कुछ ज्यादा रुपयों में हुआ है। हार्पून एंटी शिप मिसाइल का इस्तेमाल अमेरिका के अलावा इजरायल भी करता है। माना जाता है समुद्र के अंदर ये काफी ज्यादा विध्वंसक मिसाइल और एक झटके में बड़े से बड़े जहाज को पूरी तरह से नेस्तनाबूद कर सकता है।
भारत-अमेरिका में करार
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने भारत के साथ हुए इस करार की पुष्टि कर दी है। पेंटागन की रक्षा सुरक्षा एजेंसी यानि डीएससीए ने अमेरिकी कांग्रेस को भी भारत के साथ हार्पून मिसाइल को लेकर हुए इस करार की जानकारी दे दी है। वहीं, अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने भारत के साथ हुए इस करार को लेकर कहा है कि प्रस्तावित सैन्य बिक्री से भारत को वर्तमान और भविष्य में सामने आने वाले खतरों से निपटने में मदद मिलेगी। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के मुताबिक हार्पून मिसाइल दुनिया की सबसे कामयाब एंटी शिप मिसाइल है और अमेरिका के सहयोगी 30 से ज्यादा देशों की सेना के साथ जुड़ा हुआ है।
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भारत ने जताई थी इच्छा
रिपोर्ट के मुताबिक भारत सरकार ने अमेरिका से हार्पून ज्वाइंट कॉमन टेस्ट सेट यानि जेसीटीएस खरीदने की इच्छा जताई थी और अब इस डील पर दोनों देशों के बीच करार हो गया है। इस करार में हार्पून इंटरमीडिएट स्तर तक का रखरखाव भी शामिल है। आपको बता दें कि जून 2016 में जब भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अमेरिका का दौरा किया था, उस वक्त अमेरिका ने भारत को अपने प्रमुख रक्षा भागीदार के तौर पर मान्यता दी थी, जिसके तहत भारत अमेरिका के उन निकटतम रक्षा भागीदारों में शामिल हो गया था, जिसके साथ अमेरिका रक्षा टेक्नोलॉजी साझा करता है। माना जा रहा है कि इस डील के बाद भारत, जो विश्व की टॉप-5 नेवी में शामिल है, उसकी समुद्री शक्ति में काफी ज्यादा इजाफा हो जाएगा। वहीं, विशेषज्ञ ये भी मानते हैं कि इस डील के साथ साउथ एशिया में अमेरिका का दबदबा और मजबूत हो जाएगा, वहीं हिंद महासागर में घुसने की फिराक में लगे चीन के लिए राह भी मुश्किल हो। जाएगी
बोइंग और भारत सरकार में डील
पेंटागन द्वारा जारी बयान के मुताबिक इंडियन आर्मी को इस मिसाइल को अपने बेड़े में शामिल करने में कोई दिक्कत नहीं होगी। रिपोर्ट के मुताबिक, ये डील अमेरिकी कंपनी बोइंग और भारत सरकार के बीच की गई है, हालांकि, अभी तक इस बात का पता नहीं चल पाया है कि इस डील में कोई ऑफसेट एग्रीमेंट है या नहीं। माना जा रहा है कि आगे जाकर भारत सरकार जब इस डील को लेकर विस्तृत जानकारी देगी, तो ऑफसेट पार्टनर का जिक्र किया जा सकता है।
हार्पून मिसाइल की विशेषता
हार्पून मिसाइल अमेरिका की बोइंग डिफेंस, स्पेस एंड सिक्योरिटी कंपनी द्वारा निर्मित पानी से पानी में मार करने वाली बेहद खतरनाक एंटी-शिप मिसाइल है। यह दुनिया की श्रेष्ठ एंटी-शिप मिसाइल है जो लैंड-स्ट्राइक और एंटी-शिप मिशन करने के लिए जाना जाता है। सबसे खास बात ये है कि हार्पून मिसाइल का इस्तेमाल किसी भी मौसम में किया जा सकता है। हार्पून मिसाइल से सतह से हवा में, सतह से सतह पर, पानी से पानी में मौजूद किसी टार्गेट को आसानी से भेदा जा सकता है। आपको बता दें कि अभी तक 600 से ज्यादा वार शिप्स, 180 पनडुब्बी और 12 प्रकार के विमान हार्पून मिसाइल के अलग अलग वेरिएंट से लैस हैं। हार्पून मिसाइल में जीपीएस, मिशन कम्प्यूटर, जीपीएस एंटीना और रिसिवर भी लगे हुए हैं। यानि, हार्पून मिसाइल से दुश्मन के टार्गेट को लॉक कर देने के बाद ये मिसाइल खुद ही जीपीएस की मदद से दुश्मन के ठिकाने को पूरी तरह से तहस-नहस कर देता है।
हार्पून मिसाइल की खासियत
समुद्र में काफी ज्यादा विध्वंसक माने जाने वाली हार्पून मिसाइल में बूस्टर, लॉन्चर, लॉन्च सपोर्ट स्ट्रक्चर, के अलावा लॉन्च सिस्टम भी लगे हुए हैं। हार्पून मिसाइल एक बार में 500 पाउंड के मिसाइल के साथ दुश्मनों के जहाज या फिर पनडुब्बी पर सटीक हमला कर सकता है। इसमें लगा नेविएगेशन पिन प्वाइंट को हिट करने के लिए जाना जाता है। हालांकि, अभी तक ये पता नहीं चल पाया है कि अमेरिका से भारत को कितने हार्पून मिसाइल मिलने वाले हैं, लेकिन बात अगर हार्पून मिसाइल के रेंज की करें तो इसका रेंज समुद्र में करीब 125 किलोमीटर है। अमेरिका ने चीन के एक और दुश्मन ताइवान को भी हार्पून मिसाइल पिछले साल दिया था, जिससे चीन काफी ज्यादा बौखला गया है। चीन अकसर ताइवान के समुद्री क्षेत्र में घुसपैठ करता रहता है, ऐसे में हार्पून मिसाइल के सिर्फ एक वार से चीन का सबसे बड़ा मिलिट्री एयरक्राफ्ट पूरी तरह से तबाह हो सकता है। वहीं, भारतीय नेवी की शक्ति में हार्पून मिसाइल मिलने के बाद हो जाएगा।
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