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इराक में अमेरिका ने की मिशन खत्म करने घोषणा, 18 सालों बाद निकलेगी सेना, बाइडेन-इराकी पीएम में समझौता

अमेरिका ने इराक में अपना मिशन खत्म करने का ऐलान कर दिया है। 18 सालों के बाद अमेरिकी फौज इराक से बाहर निकलेगी। जो बाइडेन और इराक के प्रधानमंत्री के बीच समझौता हो गया है।

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वॉशिंगटन/बगदाद, जुलाई 27: 18 सालों की लंबी लड़ाई के बाद अब अमेरिका ने इराक में अपना मिशन खत्म करने की घोषणा कर दी है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और इराकी प्रधानमंत्री मुस्तफा अल काजिमी ने सोमवार को समझौते की घोषणा कर दी है। अमेरिकी सैनिकों के इराक में भेजे जाने के 18 सालों के बाद इस मिशन को बंद करने की घोषणा की गई है। 2021 के अंत तक इराक में अमेरिकी लड़ाकू मिशन को औपचारिक रूप से समाप्त करने के समझौते पर मुहर लगा दी गई है।

इराक में खत्म अमेरिकी मिशन

इराक में खत्म अमेरिकी मिशन

अफगानिस्तान के बाद अमेरिका ने इराक में भी अपना मिशन खत्म करने का फैसला कर लिया है और अब एक निश्चित समय सीमा के भीतर अमेरिकी सेना इराक से निकल जाएगी। अफगानिस्तान और इराक, दोनों जगहों पर लड़ाई अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने शुरू की थी और अब जो बाइडेन के कार्यकाल में अमेरिका ने दोनों जगहों पर लड़ाई खत्म करने का ऐलान कर दिया है। यानि, अफगानिस्तान के बाद अब इराक में भी अमेरिकी युद्ध अभियान खत्म हो गया है। इराक की मौजूदा हालात पर चर्चा के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और इराक के प्रधानमंत्री मुस्तफा अल काजिमी के बीच व्हाइट हाउस में मुलाकात हुई थी। दोनों नेताओं के बीच आमने-सामने की ये पहली मुलाकात थी, जिसमें अमेरिका ने इराक में अपना मिशन खत्म करने ऐलान कर दिया है।

इराक को मिलती रहेगी मदद

इराक को मिलती रहेगी मदद

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि इराक में मिशन खत्म होने के बाद भी अमेरिका उसकी मदद करता रहेगा। जो बाइडेन ने कहा कि ''हम इराक को मदद देते रहेंगे, उनके सैनिकों को ट्रेनिंग देंगे और आईएसआईएस से निपटने के लिए बाकी जरूरी मदद करते रहेंगे। लेकिन, इस साल के अंत तक हमारा लड़ाकू मिशन खत्म हो जाएगा।'' व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस में जो बाइडेन और इराकी प्रधानमंत्री कदीमी ने समझौते पर हस्ताक्षर कर दिया है, जिसके मुताबिक 2021 के अंत तक इराक में अमेरिका का मिशन पूरी तरह से खत्म हो जाएगा। आपको बता दें कि करीब 18 साल पहले सद्दाम हुसैन की सत्ता को उखाड़ने के लिए अमेरिका ने अपनी सेना को इराक भेजा था और बाद में सद्दाम हुसैन को फांसी की सजा दी गई थी। हालांकि, इराक के ऊपर जो जैविक बम बनाने का आरोप लगा था, वो साबित नहीं हो पाया। (फाइल फोटो)

समझौते का आधार

समझौते का आधार

मध्य पूर्व और मिडिल इस्ट पर नजर रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार और रिसर्चर हरीथ हसन ने जेरूसलम पोस्ट को कहा कि ''इराक के प्रधानमंत्री पर अमेरिकी फौज को वापस भेजने का जबरदस्त प्रेशर था और वो इसमें कामयाब होते दिख रहे हैं।'' उन्होंने कहा कि"कदीमी पर ईरान से संबद्धित शिया गुटों और चरमपंथियों के बढ़ते दबाव का सामना करना पड़ रहा है, ताकि अमेरिकी सैनिकों की उपस्थिति को किया जाए और उसके लिए इराक की संसद प्रस्ताव पास करे और अमेरिकी फौज की वापसी को सुनिश्चित करे। इराक के ऊपर ईरान का काफी प्रेशर है और देश में चरमपंथियों का दवाब भी बढ़ा है''। उन्होंने कहा कि "इराक के प्रधानमंत्री एक ऐसे फॉर्मूले तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे इन चरमपंथी समूहों को संतुष्ट भी किया जा सके और देश में चरमपंथी ताकतों का फिर से उदय भी नहीं हो सके''। (फाइल फोटो)

आगे होगी तारीख तय

आगे होगी तारीख तय

रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका का सोचना है कि आतंकी संगठन आईएसआईएस अब इतना मजबूत नहीं रहा है और वो बम बड़े हमले के काबिल नहीं रहा है। हालांकि, पिछले हफ्ते ही आईएसआईएस ने राजधानी बगदाद के एक भीड़भाड़ वाले इलाके में बम फोड़ दिया था, जिसमें 30 लोग मारे गये थे। लेकिन, उसके बाद भी अमेरिका और इराक इस बात के लिए तैयार हो गये कि अब इराक में अमेरिकी मिशन के खत्म होने का वक्त आ गया है। हालांकि, अमेरिका आगे भी इराक की सरकार को सलाह और इराकी फोर्स को दूसरी जरूरी मदद देता रहेगा। वहीं, अभी तक इस बात की घोषणा नहीं की गई है कि इस साल के अंत में कब तक अमेरिकी फौज इराक से बाहर निकल जाएगी। लेकिन, माना जा रहा है कि अक्टूबर में इराक में चुनाव होने वाले हैं और चुनाव खत्म होने के बाद अमेरिका अपने सैनिकों को इराक से बाहर निकालने की कार्रवाई शुरू कर देगा। (फाइल फोटो)

इराकी प्रधानमंत्री ने क्या कहा ?

अमेरिका दौरे पर निकलने से पहले इराक के प्रधानमंत्री मुस्तफा अल काजिमी ने कहा था कि ''अब वो वक्त आ गया है जब अमेरिका इराक में अपना मिशन खत्म कर दे''। उन्होंने कहा कि ''इराक की धरती पर विदेशी सैनिकों की जरूरत नहीं है।'' आपको बता दें कि फिलहाल इराक में करीब 2500 अमेरिकी सैनिक हैं। इसके साथ ही इराक में अमेरिका के एयरबेस समेत कई ठिकाने हैं, जहां से वो आईएसआईएस के खिलाफ ऑपरेशन को अंजाम देता था। आपको बता दें कि इराक की स्थिति को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन काफी बेहतर समझते हैं, क्योंकि ओबामा के शासनकाल में वो इराक नीति के प्रभारी भी थे।

ईरान-तुर्की को मौका ?

ईरान-तुर्की को मौका ?

वरिष्ठ पत्रकार और खाड़ी देशों पर नजर रखने वाले हसन का मानना है कि अमेरिकी फौज के बाहर निकलते ही इराक में एक बार फिर से ईरान और तुर्की हावी होने की कोशिश करेंगे। उन्होंने कहा कि '' आमतौर पर अमेरिका के इस सैन्य वापसी को राजनीतिक डिसइंगेजमेंट या राजनीतिक जुड़ाव में कमी के तौर पर देखा जाएगा, जो ईरान, तुर्की और अन्य क्षेत्रीय एक्टर्स को उभरने और इराक में उपजे खाली स्थान को भरने का मौका देगा, जिससे आने वाले वक्त में इराक में और अस्थिरता पैदा होगी और संभवतः उलटफेर होगा।''

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English summary
America has announced the end of its mission in Iraq. After 18 years, US troops will leave Iraq. A deal has been reached between Joe Biden and the Prime Minister of Iraq.
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