पाकिस्तानियों पर टूटा विपत्ति का पहाड़, 30 रुपये पेट्रोल की कीमत बढ़ने के बाद बेतहाशा बढ़ा बिजली चार्ज
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से एक अरब अमेरिकी डॉलर कर्ज लेने के लिए शहबाज शरीफ ने आएमएफ की तमाम मांगों को मानना शुरू कर दिया है..
इस्लामाबाद, मई 27: विपत्ति का पहाड़ टूटना किसे कहते हैं, पाकिस्तानियों पर यह उदाहरण काफी सटीक बैठ रहा है। आतंकियों को पालने में और देश को कट्टरपंथी बनाने में अरबों डॉलर खर्च कर देने वाला पाकिस्तान आज खून के आंसू रो रहा है और नेताओं की बर्बाद बनाने वाली नीतियों की चपेट में आम पाकिस्तानी पिस रहे है। पाकिस्तान में शहबाज शरीफ की सरकार ने 30 रुपये पेट्रोल की कीमत बढ़ाने के बाज बिजली की कीमत में भारी इजाफा किया है।
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बिजली का रेट भी बढ़ा
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से एक अरब अमेरिकी डॉलर कर्ज लेने के लिए शहबाज शरीफ ने आएमएफ की तमाम मांगों को मानना शुरू कर दिया है और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली पाकिस्तानी सरकार ने लाभदायक सार्वजनिक स्वामित्व वाली विजली कंपनी DISCO के निजीकरण के अलावा बिजली की कीमतों में 7 रुपये की बढ़ोतरी का फैसला किया है। यह आईएमएफ द्वारा 2,600 अरब रुपये के बिजली शुल्क पर दी जा रही सब्सिडी पर चिंता व्यक्त करने के बाद फैसला लिया गया है। पाकिस्तान की एआरवाई न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, आईएमएफ ने सरकार को सार्वजनिक स्वामित्व वाले लाभदायक डिस्को का तुरंत निजीकरण करने का सुझाव दिया था।
7 रुपये बढ़ा बिजली का चार्ज
पाकिस्तान में पहले से ही बिजली का रेट काफी ज्यादा था और अब शहबाज शरीफ की सरकार ने बिजलीदरों में सात रुपये का इजाफा कर दिया है। घाटे में चल रहे ‘डिस्को' की दुर्बल स्थिति को ध्यान में रखते हुए आईएमएफ ने इसे प्रांतों को सौंपने की सलाह दी। मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने कहा, 'बिजली दरों में बढ़ोतरी एक जुलाई से लागू होगी।' उनके अनुसार बिजली की कीमतों में 7 रुपये की बढ़ोतरी में बुनियादी शुल्क और ईंधन समायोजन शुल्क में वृद्धि शामिल होगी।
सरकार के खिलाफ फूटा गुस्सा
पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक ही दिन में 30 रुपये पेट्रोल की कीमत और सात रुपये बिजली दर में इजाफा करने के बाद शहबाज सरकार के खिलाफ गुस्सा फूट पड़ा है और देश के कई हिस्सों में प्रदर्शन किए जाने की खबर आ रही है। वहीं, पाकिस्तान के व्यापार और उद्योग जगत के कारोबारियों ने देश में उत्पादन की लागत में वृद्धि के कारण पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 30 प्रति लीटर की वृद्धि के लिए शहबाज शरीफ सरकार को फटकार लगाई है। डॉन अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान के बिजनेसमेन ग्रुप (बीएमजी) के चेयरमैन जुबैर मोतीवाला ने पेट्रोलियम कीमतों में बढ़ोतरी के कारण उत्पादन लागत में 5-7 फीसदी की बढ़ोतरी की आशंका जताई है।
बढ़ जाएगी बेतहाशा महंगाई
पाकिस्तान के वरिष्ठ बिजनेस जर्नलिस्ट मेहताब हैदर का मानना है कि पाकिस्तान के लिए सब्सिडी वापस लेना बहुत महत्वपूर्ण था क्योंकि इससे देश के वित्तीय प्रबंधन को नुकसान हो रहा था। जियो डॉट टीवी से बात करते हुए हैदर ने कहा कि आईएमएफ ने इस्लामाबाद को स्पष्ट रूप से बता दिया था, कि अगर सरकार सब्सिडी को हटाने में विफल रही तो वह पाकिस्तान के लिए अपने बहुत जरूरी कार्यक्रम को फिर से शुरू नहीं करेगा। हालांकि, पेट्रोल की कीमत में 30 रुपये और बिजली दरों में 7 रुपये की बढ़ोतरी के बाद पाकिस्तान में महंगाई में बेतहाशा इजाफा होगा और इसके खिलाफ भारी प्रदर्शन होने की आशंका है। पाकिस्तानी रुपया पहले ही 200 के पार पहुंचा हुआ है, ऐसे में शहबाज शरीफ का ये फैसला देश में हिंसा को जन्म दे सकता है।
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जोखिम में फंस गया है पाकिस्तान
वहीं, बिजनेस जर्नलिस्ट मेहताब हैदर ने कहा कि, "अभी भी, सरकार ने आईएमएफ द्वारा निर्धारित शर्तों को सिर्फ आंशिक रूप से स्वीकार किया है। इसलिए, सरकार के लिए अंतर्राष्ट्रीय निकाय कार्यक्रम को पुनर्जीवित करना एक बड़ा टास्क होगा, क्योंकि इसके बिना, पाकिस्तान बहुत बड़े जोखिम में फंस जाएगा'। उन्होंने कहा कि, पाकिस्तानी विदेशी मुद्रा भंडार बुरी तरह से नीचे कर रहा है। हालांकि, उन्होंने कहा कि, ‘सरकार द्वारा अब तक दी जा रही सब्सिडी के कारण देश अमेरिकी डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपये पर बढ़ते दबाव को देख रहा था'।
शहबाज सरकार का सही फैसला?
पाकिस्तान के प्रमुख आर्थिक विशेषज्ञ और बैंकर सैयद अली सज्जाद ने कहा कि आईएमएफ कार्यक्रम रूकने की वजह से पाकिस्तान एक ऐसी स्थिति में आ रहा था, जहां स्थिति तेजी से बिगड़ सकती थी और पेट्रोल की कीमत में बढ़ोतरी का सरकार का फैसला सही दिशा में उठाया गया एक कदम है। सज्जाद ने जियो टीवी को बताया कि, ‘यह आईएमएफ से सिर्फ 900 मिलियन डॉलर मिलने का सवाल नहीं है, बल्कि अगर एक बार आईएमएफ से अगर इसे मंजूरी मिलती है, तो अन्य ऋणदाता भी पाकिस्तान को ऋण प्रदान करेंगे। इस प्रकार, आईएमएफ के कार्यक्रम के पुनरुद्धार के लिए सब्सिडी को हटाना जरूरी था।" उन्होंने उम्मीद जताई कि सब्सिडी खत्म होने से चालू खाता स्थिरता की ओर बढ़ेगा। लेकिन, पाकिस्तान के लोगों का कहना है कि, पाकिस्तान की ऐसी स्थिति नेताओं और सरकारों की गलत नीतियों की वजह से हुई और उसका खामियाजा वो क्यों भुगते?
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