Nomura के बाद ADB बैंक ने भी घटाया भारत के ग्रोथ रेट का अनुमान, लुढ़का निर्यात, जताई बड़ी आशंका
रेटिंग एजेंसी नोमुरा ने भी भारत का ग्रोथ रेट कम कर दिया है, जिसके बाद सवाल उठ रहे हैं, कि क्या दुनिया के कई देशों के साथ भारत भी आर्थिक मंदी में फंस सकता है।
नई दिल्ली, जुलाई 21: एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने गुरुवार को भारत को लेकर अनुमानित विकास दर जारी किया है और एडीबी की रिपोर्ट में भारत के लिए वित्त वर्ष 2023 के विकास दर के अनुमान को घटाकर 7.2% कर दिया है, जो इस साल अप्रैल में 7.5% था। एडीबी बैंक ने संशोधित पूर्वानुमान के लिए भारत में खाद्य और ईंधन की कीमतों में वृद्धि को जिम्मेदार ठहराया है। बैंक के अनुमान को भू-राजनीतिक तनावों और आपूर्ति-श्रृंखला व्यवधानों से भी जोड़ा जा सकता है, जिससे आर्थिक स्थिति बिगड़ रही है।
एडीबी ने कम किया भारत के ग्रोथ रेट का अनुमान
एशियाई विकास बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, 'यूक्रेन में युद्ध की वजह से वैश्विक ऊर्जा संकट पैदा हुआ है और सामानों की कीमत में काफी इजाफा हो रहा है और आगे भी मुद्रास्फीति में इजाफा होने की आशंका है, जिससे जिससे विकासशील एशिया में विकास और मुद्रास्फीति पर संभावित असर पड़ सकता है।" इसके अलावा, भारत में फिर से उभरने वाले कोविड की आशंका बाजार डिमांड पर भारी पड़ सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि उच्च मुद्रास्फीति दबाव उपभोक्ताओं के खरीदने की शक्ति को प्रभावित कर सकता है, जिससे बाजार में मांग कम होने की स्थिति बन सकती है, जिसका सीधा असर देश के विकास पर पड़ेगा।
डॉलर का मजबूत होना भी शामिल
इन चिंताओं के अलावा रुपये के मुकाबले अमेरिकी डॉलर का मजबूत होना भी शामिल है। इससे भारत के लिए और अनिश्चितताएं पैदा होने की संभावना है। एडीबी की रिपोर्ट में कहा गया है कि, वित्तीय स्थितियों के सख्त होने से विकास दर में नरमी आ सकती है। भारत में मुद्रास्फीति की दर जून में 7.01% पर थी, जो लगातार छठे महीने रिजर्व बैंक के टॉलरेंस बैंड (2-6%) से ऊपर रही। यह मुद्रास्फीति पर काबू पाने के लिए आरबीआई द्वारा दरों में और बढ़ोतरी को आमंत्रित कर सकता है। वहीं, अधिकांश एशियाई देशों में मुद्रास्फीति तेजी से बढ़ रही है। खासकर मंगोलिया, पाकिस्तान, श्रीलंका, लाओस और म्यांमार जैसे देशों में मुद्रास्फीति की दर दो अंकों में जा चुकी है।
एशिया के विकास दर का अनुमान कभी घटा
भारत के साथ साथ एडीबी ने एशिया क्षेत्र के लिए भी विकास दर के अनुमान को कम कर दिया है। एडीबी ने चल रहे भू-राजनीतिक तनावों और आपूर्ति-पक्ष के मुद्दों के कारण वित्त वर्ष 2023 के लिए अपने विकास पूर्वानुमान को 5.2% से संशोधित कर 4.6% कर दिया है। खाद्य और ईंधन की कीमतों में वृद्धि के कारण इसने अपने मुद्रास्फीति अनुमान को 3.7 प्रतिशत से बढ़ाकर 4.2 प्रतिशत कर दिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि, "वैश्विक विकास में भारी मंदी निर्यात, विनिर्माण गतिविधि और रोजगार की संभावनाओं को नुकसान पहुंचा सकती है और वित्तीय बाजारों में उथल-पुथल का कारण बन सकती है।"
Nomura ने भी घटाया ग्रोथ रेट का अनुमान
आपको बता दें कि, रेटिंग एजेंसी नोमुरा ने भी भारत का ग्रोथ रेट कम कर दिया है, जिसके बाद सवाल उठ रहे हैं, कि क्या दुनिया के कई देशों के साथ भारत भी आर्थिक मंदी में फंस सकता है। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, मुद्रास्फीति के माहौल में दुनिया भर में मंदी की चिंताओं को देखते हुए, नोमुरा के विश्लेषकों ने भारत के लिए 2023 में जीडीपी के विकास दर के अनुमान को घटाकर 4.7% कर दिया है, जो भारत के लिहाज से बड़ा झटका है। नोमुरा के विश्लेषकों ने भारतीय जीडीपी के विकास दर के अनुमान को 5.4% से घटाकर 4.7% कर दिया है और नोमुरा ने अनुमान लगाया है, कि अगले साल भारत के विकास की दर धीमी रहेगी। रेटिंग एजेंसी नोमुरा ने जो रिपोर्ट जारी की है, उसमें कहा गया है कि, "उच्च मुद्रास्फीति, सख्त मौद्रिक नीति ,बिजली की कमी और वैश्विक विकास मंदी ने मध्यम अवधि के हेडविंड को जन्म दिया है।
एशिया की क्या है स्थिति?
जापान के परिवारों ने मई में तीन महीने में पहली बार खर्च में कटौती की है, जो इस का संकेत देता है, कि आर्थिक सुधार पहले की तुलना में कमजोर साबित हो रहा है। वहीं, संकेत बढ़ रहे हैं कि चीन की अर्थव्यवस्था 2020 के बाद पहली बार दूसरी तिमाही में सिकुड़ गई है, देश के आधिकारिक आंकड़ों को नए सिरे से जांच के दायरे में रखा गया है, क्योंकि विश्लेषकों का मानना है कि सरकार उस मंदी को स्वीकार नहीं कर रही है और शायद भी करेगी भी नही। वहीं, बात भारत की करें, तो वैश्विक संकट का भारत पर भी असर पड़ा है और तेल की कीमतों में इजाफा होने से भारतीय आयात में खर्च बढ़ा है। पहली बार ऐसा हुआ है, कि डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया 80 के आंकड़े को पार कर गया है। वहीं, थाईलैंड की खुदरा मुद्रास्फीति जून में बढ़कर 14 साल के नए उच्च स्तर पर पहुंच गई है। यानि, कई एक्सपर्ट्स का कहना है, कि वैश्विक आर्थिक मंदी आ चुकी है और अब इससे लड़ने की जरूरत है।
भारत के विदेशी मुद्रा भंडार प्रभावित
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों से पता चलता है कि, 1 जुलाई को भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार 588.314 अरब डॉलर था। इसमें से विदेशी मुद्रा संपत्ति 524.745 अरब डॉलर थी, जबकि सोने में रखे गए भंडार का मूल्य 40.422 अरब डॉलर था। शेष राशि को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के पास स्पेशल ड्रॉविंग राइट्स और रिजर्व के रूप में रखा जाता है। भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार में पिछले साल 3 सितंबर के बाद से लगातार कमी हो रही है और 3 सितंबर 2021 को भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार में 642.453 अरब डॉलर की राशि जमा थी, जिसमें अभी तक 55 अरब डॉलर की गिरावट आ चुकी है। वहीं, भारत के केंद्रीय बैंक ने फरवरी से अब तक मुद्रा की रक्षा के लिए 46 अरब डॉलर से अधिक खर्च किए हैं। लिहाजा, भारत को भी वक्त रहते सतर्क हो जाना चाहिए।
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