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काबुल में 'क़ैद' एक समलैंगिक का दर्द: 'वो मुझे देखते ही गोली मार देंगे'

अब्दुल लगातार चार दिनों से घर में बंद हैं और उनके मुख्य दरवाज़े के बाहर तालिबान के लड़ाके खड़े हैं. वो बेहद ख़ौफ़ में हैं.

By BBC News हिन्दी
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एलजीबीटी
Getty Images
एलजीबीटी

तालिबान के अफ़ग़ानिस्तान पर क़ब्ज़े से पहले ही समलैंगिक अब्दुल (बदला हुआ नाम) की ज़िंदगी ख़तरनाक थी.अगर उन्होंने अपनी लैंगिकता के बारे में किसी ग़लत व्यक्ति को जानकारी दी होती तो उन्हें अफ़ग़ानिस्तान के क़ानूनों के तहत जेल जाना पड़ सकता था.लेकिन अब अफ़ग़ानिस्तान पर तालिबान के कब्ज़े के बाद अगर किसी को उनके समलैंगिक होने के बारे में पता चला तो उन्हें मौके पर ही मार दिया जाएगा.बीबीसी न्यूज़बीट से बात करते हुए अब्दुल ने कहा कि अब उनकी जान ख़तरे में है.तालिबान एक कट्टरपंथी सैन्य समूह है जिन्होंने अब अफ़ग़ानिस्तान पर नियंत्रण कर लिया है. वो इस्लाम के रूढ़िवादी स्वरूप को बढ़ावा देते हैं.जब तालिबान 90 के दशक में अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता पर क़ाबिज़ थे तब 21 साल के अब्दुल का जन्म भी नहीं हुआ था.अब्दुल कहते हैं, ''मैंने अपने परिजनों और बड़े लोगों को तालिबान के बारे में बात करते हुए सुना है. हमने तालिबान के बारे में कुछ फ़िल्में भी देखी थीं. लेकिन अब तो ऐसा लग रहा है जैसे हम ही फ़िल्म का हिस्सा हों.''इस हफ़्ते अब्दुल को यूनिवर्सिटी में अपने अंतिम वर्ष की परीक्षाएं देनी थीं. वो इस समय दोस्तों के साथ लंच पर जा रहे होते या अपने बॉयफ़्रेंड से मिल रहे होते. उनकी मुलाक़ात अपने बॉयफ़्रेंड से तीन साल पहले एक स्वीमिंग पूल में हुई थी.लेकिन अब वो लगातार चार दिनों से घर में बंद हैं. अब उनके मुख्य दरवाज़े के बाहर तालिबान के लड़ाके खड़े हैं.

क्यों है तालिबान का डर?

वह कहते हैं, ''जब मैं खिड़की से तालिबान को देखता हूं तो बहुत डर जाता हूं. मेरा शरीर उन्हें देखकर कांपने लगता है.''''आम लोग मारे जा रहे हैं, मुझे नहीं लगता कि मैं उनके सामने कभी कुछ भी बोल पाऊंगा.'' अब्दुल अपने समलैंगिक होने के बारे में सिर्फ़ समाज से ही नहीं डरे हुए हैं बल्कि उन्होंने इस बारे में अपने परिवार में भी किसी को नहीं बताया है.अब्दुल बताते हैं, ''अफ़ग़ानिस्तान में कोई समलैंगिक अपने परिवार को भी इस बारे में नहीं बता सकता है. यहां तक कि आप अपने दोस्तों से भी इस बारे में बात नहीं कर सकते हैं. अगर मैंने अपने परिवार को इस बारे में बताया तो हो सकता है वो मुझे मारें या जान से ही मार दें.''भले ही उन्होंने अपनी लैंगिक पहचान छुपाई हुई थी, लेकिन वो काबुल में अपनी ज़िंदगी अच्छे से जी रहे थे. वह कहते हैं, ''मेरी पढ़ाई बढ़िया चल रही थी, ये ज़िंदादिल शहर था, यहां ज़िंदगी की अपनी मौज थी.''एक सप्ताह के अंदर ही अब्दुल ने अपनी ज़िंदगी को अपने सामने ही फिसलते हुए देख लिया है. अब्दुल को डर है, ''मुझे नहीं लगता कि मैं अब कभी अपनी पढ़ाई पूरी कर पाऊंगा. मेरा अपने दोस्तों के साथ संपर्क कट गया है, मुझे नहीं पता कि अब वो किस हालत में हैं.''''मेरा पार्टनर एक दूसरे शहर में अपने परिवार के साथ फंसा है. वो यहां नहीं आ सकता, मैं वहां नहीं जा सकता.''

तालिबान
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तालिबान

'वो समलैंगिकों को देखते ही गोली मार देंगे'

उनके पिता अफ़ग़ान सरकार के साथ काम करते थे और अब छुपे हुए हैं. अधिकतर महिलाएं जिन्हें अब्दुल जानते हैं, वो डर के मारे अपने घरों से नहीं निकल रही हैं. कुछ ख़तरा उठाकर बाहर निकल रही हैं, लेकिन वो भी पुरुषों के साथ ही बाहर जा रही हैं.पिछले एक सप्ताह में अब्दुल के दिल-ओ-दिमाग़ पर अंधेरा छा गया है.वो कहते हैं, ''मैं ख़तरनाक डिप्रेशन में हूं. मैं कई बार इस सबको ख़त्म करने के बारे में सोचता हूं. मैं इस तरह का जीवन नहीं जीना चाहता हूं.''''मैं ऐसा भविष्य चाहता हूं जिसमें मैं आज़ादी से जी सकूं. मैं नहीं चाहता कि कोई मुझसे कहे कि तुम समलैंगिक हो और यहां नहीं रह सकते हो.''तालिबान ने कहा है कि इस बार उनके शासन में महिलाओं को अधिकार दिए जाएंगे और अल्पसंख्यकों की रक्षा की जाएगी. हालांकि अब्दुल को तालिबान पर भरोसा नहीं है.उनका कहना है, ''भले ही तालिबान सरकार में महिलाओं को स्वीकार कर लें, उन्हें स्कूल जाने दें, लेकिन वो किसी भी सूरत में एक एलजीबीटी या समलैंगिक व्यक्ति को स्वीकार नहीं करेंगे. वो उन्हें मौके पर ही जान से मार देंगे.''विमान पर लटककर देश छोड़ने की कोशिश करने वाले अफ़ग़ान लोगों के बारे में अब्दुल कहते हैं, ''वो पागल नहीं हैं.''''यहां उनके कारोबार हैं, नौकरियां हैं, उनका अच्छा जीवन है, लेकिन वो भाग रहे हैं. वो पागल नहीं है जो विमान पर लटकर रहे हैं और मर रहे हैं. वो जानते हैं कि अफ़ग़ानिस्तान में वो सुरक्षित नहीं है.''

'मैं भी आज़ादी और सुरक्षा से जीना चाहता हूं'

अब्दुल कहते हैं कि वो देश से बाहर निकलने का मौका तलाश रहे हैं. ऐसे कई संगठन हैं जो अफ़ग़ानिस्तान में अब्दुल जैसे लोगों की मदद कर रहे हैं.उन्हें पता चला है कि ब्रिटेन बीस हज़ार अफ़ग़ान नागरिकों को शरण देने जा रहा है. लेकिन किसी को ये पता नहीं है कि कहां अप्लाई करना है या कैसे पंजीकरण करना है.ब्रिटेन में समलैंगिकों के लिए काम करने वाले संगठन स्टोनवॉल ने ब्रितानी सरकार से एलजीबीटी समुदाय के शरणार्थियों की मदद करने के लिए कहा है ताकि वो ब्रिटेन में आकर अपनी ज़िंदगी फिर से शुरू कर सकें. अब्दुल ने कहा, ''मैं सिर्फ़ यही कहना चाहता हूं कि अगर कोई मेरी आवाज़ सुन रहा है, तो एक युवा के तौर पर मैं भी स्वतंत्रता और सुरक्षा से जीना चाहता हूं.''''मैं 21 साल का हूं. मैंने अपना पूरा जीवन युद्ध में बिताया है. बम धमाके देखे हैं, दोस्तों को गंवाया है, रिश्तेदारों को मरते हुए देखा है.'' ''हमारे लिए दुआ कीजिए, हम सबके लिए दुआ कीजिए.''

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English summary
afghanistan crisis pain of a homosexual 'imprisoned' in Kabul
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