सलमान रुश्दी और उनकी वो किताब, जिससे भड़क गए थे इस्लामिक कट्टरपंथी देश
नई दिल्ली, 13 अगस्त। भारतीय मूल के लेखक सलमान रुश्दी पर अमेरिका में जानलेवा हमला होना कोई इत्तेफाक नहीं हैं। जब भी कोई आवाज धर्मांधता के खिलाफ उठती है तो कथित रुप से कुछ समाज के ठेकेदार उसे कुचलने का प्रयास करते हैं। रुश्दी के मामले में भी कुछ ऐसा है। ये वही लेखक हैं जिनकी एक किताब से मुस्लिम देशों में भूचाल आ गया था। जिसके बाद उन्हें धमकियां पर धमकियां मिलने लगीं।
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कट्टरपंथ के मामले में मुस्लिम देश आगे
इस्लाम की बात की जाए तो यहां कुछ ज्यादा ही है। ऐसा इसलिए क्योंकि अगर भूल से भी इस्लाम धर्म या फिर पैगंबर या अल्लाह के बारे में कुछ धर्म के विपरीत बोल दिया जाए तो यहां हिंसक विरोध होने लगते हैं। कोई ये जानने की कोशिश तक नहीं करता कि आखिर शख्स ने किस कारण ये बात कही। भारत में हाल ही नूपुर शर्म के बयान के बयान के बाद कुछ ऐसा हुआ। जिसको लेकर कई इस्लामिक देशों ने भारतीय दूतावास को निंदा प्रस्ताव भेजा।
कौन हैं सलमान रुश्दी
75 वर्षीय लेखक अहमद सलमान रुश्दी बुकर पुरस्कार से सम्मानित हैं। उनका जन्म 19 जून 1947 को मुंबई में हुआ। वे मूल रुप से उपन्यासकार रहे हैं। हालांकि रुश्दी खुद को नास्तिक बताते हैं। रुश्दी मूल रुप से उपन्यासकार रहे हैं। जिन्हें साल 1981 में लिखे एक उपन्यास 'मिडनाइट्स चिल्ड्रन'के लिए 'बुकर प्राइज' से सम्मानित किया गाय था। इस पुस्तक के जरिए वो काफी फेमस हुए थे। रुश्दी के इस उपन्यास को पहले 1993 और फिर 2008 में दो बार दुनिया के सर्वश्रेष्ठ नॉवेल पुरस्कार मिला। रुश्दी लंदन में रहते हैं। वो अंग्रेजी भाषा में पुस्तकें लिखते हैं।
रुश्दी पर जानलेवा हमला
अमेरिका के न्यूयार्क शहर में शुक्रवार को भारतीय मूल के ब्रिटिश लेखक सलमान रुश्दी पर जानलेवा हमला हुआ। ये घटना उस वक्त हुई जब बो एक कार्यक्रम में शिरकत कर रहे थे। उनका हालत गंभीर है। हमले के बाद उन्हें एयर एंबुलेंस से अस्पताल पहुंचाया गया। ये तब हुआ जब रुश्दी पश्चिमी न्यूयॉर्क के शुटाउक्वा संस्थान में एक कार्यक्रम के दौरान अपना लेक्चर शुरू करने वाले थे। तभी एक व्यक्ति मंच पर चढ़ा और रुश्दी पर चाकू से हमला कर दिया। उस समय कार्यक्रम में उनका परिचय दिया जा रहा था।
किताब जिससे मुस्लिम देशों में आया भूचाल
सलमान रुश्दी के उपन्यास 'मिडनाइट्स चिल्ड्रन' को दो बार सर्वश्रेष्ठ नॉवेल के पुरस्कार से समान्नित किए जान के बाद वो दुनिया में छा गए थे। 1981 के बाद 1988 में आई उनकी एक और किताब ने इस्लामिक कट्टरपंथी देशों में भूचाल ला दिया। इस पुस्तक का नाम था 'द सैटेनिक वर्सेज' (The Satanic Verses)।
'द सैटेनिक वर्सेज' पर ईशनिंदा का आरोप
कथित तौर पर ये आरोप लगे कि पुस्तक 'द सैटेनिक वर्सेज' में पैगंबर मुहम्मद के बारे में अपमानजनक बातें लिखी गईं। फिर क्या ये बात साने आते ही कट्टरपंथियों ने पुस्तक पढ़ने की जरुरत ही नहीं समझी और विरोध शुरू कर दिया। बाद में ईरान व भारत समेत कई देशों में प्रतिबंधित कर दी गई।
रुश्दी को जान से मारने की मिली थी धमकी
रुश्दी की विवादास्पद किताब भारत समेत अन्य में भी प्रतिबंधित है। उन्हें 1988 में प्रकाशित अपनी पुस्तक 'द सैटेनिक वर्सेज' के लिए जान से मारने की भी धमकी मिली। ईरान के तत्कालीन नेता अयातुल्लाह रोहल्ला खुमैनी ने रुश्दी की मौत का फतवा जारी किया था। उनकी हत्या करने वाले को 30 लाख डॉलर से अधिक का ईनाम देने की घोषणा की गई थी। अयातुल्लाह रोहल्ला ईरान के एक अर्ध सरकारी संगठन '15 खोरदाद फाउंडेशन' के संचालक दल में थे। जिसने रुश्दी की हत्या के लिए पहले 28 लाख और बाद में इसे बढ़ाकर 33 लाल डालर का इनाम घोषित किया था।