जापान की राजधानी टोक्यो के मेडिकल कॉलेज में जान-बूझकर कम कर दिए जाते थे लड़कियों के नंबर
जापान, जिसे एशिया का पहला विकसित देश होने का गौरव हासिल है और जिसके अनुशासन की मिसाल पूरी दुनिया में लोगों को दी जाती है, वहां पर मेडिकल कॉलेज में एडमिशन के लिए महिलाओं के साथ भेदभाव होता है। जी हां, आपको सुनकर आश्चर्य होगा
टोक्यो। जापान, जिसे एशिया का पहला विकसित देश होने का गौरव हासिल है और जिसके अनुशासन की मिसाल पूरी दुनिया में लोगों को दी जाती है, वहां पर मेडिकल कॉलेज में एडमिशन के लिए महिलाओं के साथ भेदभाव होता है। जी हां, आपको सुनकर आश्चर्य होगा मगर यह सच है और पिछले दिनों हुई एक जांच में यह बात साबित भी हो चुकी है। एक मेडिकल स्कूल में एंट्रेस टेस्ट में लड़कियों के नंबर जानकर कम कर दिए जाते थे। टोक्यो मेडिकल कॉलेज में हुई इस घटना की जांच के लिए शामिल पैनल के सामने जो सच आया है, उसे जानकर पैनल में शामिल वकीलों के होश उड़ गए हैं।
लड़कों के नंबर ज्यादा और लड़कियों के कम
पैनल ने इस मामले को भेदभाव की गंभीर घटना करार दिया है। जापान के प्रधानमंत्री जो हमेशा देश में महिलाओं की तरक्की की बात करते हैं और साथ ही एक ऐसे समाज के निर्माण पर जोर देते हैं जहां पर महिलाएं चमक सकें और उनके ही देश में भेदभाव की ऐसी घटना सामने आई है। टोक्यो मेडिकल कॉलेज में यह मामला सामने आने के बाद वहां पर विरोध प्रदर्शन की स्थिति और लोगों में काफी गुस्सा है। मेडिकल कॉलेज की ओर से आतंरिक जांच के लिए पैनल गठित किया गया था। इस पैनल ने अपनी जांच में पाया कि लड़कों की तुलना में लड़कियों के नंबर जान-बूझकर कर कम किए गए हैं। सिर्फ इतना ही नहीं घूस लेकर एजुकेशन मिनिस्ट्री के ऑफिसर के बेटे के एडमिशन की बात भी सामने आई है। जांच पैनल के मुताबिक लड़कों को ज्यादा नंबर दिए जाते थे जबकि लड़कियों के नंबर कम होते थे। इस वजह से लड़कियों के एडमिशन की संख्या भी काफी कम थी। इस भेदभाव की जानकारी अगस्त माह के शुरुआत में सामने आई थी और इसके बाद जापान में गुस्सा देखा जा सकता है। कई महिलाओं ने इस पूरे मसले के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर हैशटैग, 'It's okay to be angry about sexism,' के साथ अपने उन अनुभवों को बयां किया है जो भेदभाव से जुड़े हैं।