मस्तिष्क की कोशिकाओं पर बहुत बुरा असर डालेगी 6G, इन घातक बीमारियों का शिकार हो सकते हैं लोग
नई दिल्ली, 17 अगस्तः भारत में इस साल के अंत तक 5G के आ जाने की बात चल रही है, लेकिन कई ऐसे देश हैं जहां बड़ी शिद्दत से 6G का इंतजार किया जा रहा है। लेकिन इस बीच शोधकर्ताओं के एक दावे ने इस उन्नत तकनीक को लेकर चिंताएं पैदा कर दी है। चीनी वैज्ञानिकों का मानना है कि यह हमारे मस्तिष्क की कोशिकाओं को प्रभावित कर सकती है।
चीनी वैज्ञानिकों के मुताबिक रेडियो तरंगों का टेराहर्ट्ज़ बैंड किसी भी स्मार्टफोन की बैंडविड्थ को 1 टेराबाइट (TB) प्रति सेकंड तक बढ़ाने में सक्षम है। इसका हमारे मस्तिष्क पर बेहद बुरा असर पड़ सकता है। प्रयोगशाला चूहों की कोशिकाओं के विकिरण के संपर्क में आने पर उसके न्यूरॉन्स में लगभग 150 प्रतिशत की वृद्धि पाई गई है। इस अवलोकन ने शुरू में शोधकर्ताओं को भ्रमित कर दिया। शोधकर्ताओं ने यह निष्कर्ष निकाला कि मस्तिष्क की कोशिकाओं की तीव्र गति से वृद्धि होती है। हालांकि, वे स्वस्थ रहने में सक्षम थे। इस शोध के मुताबिक, वैज्ञानिक मस्तिष्क रोगों के इलाज के लिए उपचार विकसित करने के लिए अभी इस विषय और अध्ययन करेंगे। इस रिसर्च के प्रमुख वैज्ञानिक ली शियाओली ने पीयर-रिव्यू जर्नल एक्टा फिजिका सिनिका में प्रकाशित एक पेपर में लिखा, "टेराहर्ट्ज विकिरण प्रोटोकॉल की सुरक्षा एक शीर्ष चिंता का विषय है।"
आपको बता दें कि इस रिसर्च को बीजिंग नॉर्मल यूनिवर्सिटी में स्टेट की लेबोरेटरी ऑफ कॉग्निटिव न्यूरोसाइंस एंड लर्निंग ने भी समर्थन दिया है। उन्होंने इसे और बेहतर तरीके से समझने के लिए इसे जारी रखने का निर्णय लिया है। संस्था ने साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट को बताया, "असामान्य न्यूरॉन विकास और असामान्य तंत्रिका नेटवर्क संरचना अल्जाइमर रोग, ऑटिज़्म और पार्किंसंस रोग जैसे विभिन्न मनोवैज्ञानिक और तंत्रिका संबंधी बीमारियों की घटना का कारण बन सकती है।" रिसर्च पेपर में कहा गया है कि मस्तिष्क कोशिकाएं एक बिंदु के बाद बढ़ना बंद कर देंगी। शानक्सी प्रांत के जियान जियाओतोंग विश्वविद्यालय में इंस्टीट्यूट ऑफ ब्रेन साइंस के प्रोफेसर लियू जियानक्सिन ने भी 6G रेडियो तरंगों के कुछ सकारात्मक प्रभाव पाए हैं।