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'एनकाउंटरों' पर सुप्रीम कोर्ट में फँसेगी योगी सरकार?

10 अगस्त, 2017 को बाग़पत के बड़ौत इलाके के 40 वर्षीय फल विक्रेता इकराम की मृत्यु शामली में पुलिस की गोली लगने से हो गई.

पुलिस का दावा है कि लूट के सामान के साथ इकराम के भागने की उसे सूचना मिली थी और जब इकराम को रोकने की कोशिश की गई तो उसने पुलिस पर गोलियां चलाईं. पुलिस ने आत्मरक्षा में गोली चलाई और इकराम की मौत हो गई.

लेकिन, इस एनकाउंटर पर भी सवाल उठे. इकराम के परिवार का कहना था 

By BBC News हिन्दी
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उत्तर प्रदेश, एनकाउंटर, योगी आदित्यनाथ, यूपी एनकाउंटर, यूपी पुलिस
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सुप्रीम कोर्ट के दख़ल के बाद उत्तर प्रदेश में पुलिस एनकाउंटर का मामला एक बार फिर चर्चा में आ गया है.

हालांकि, राज्य सरकार का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट को जवाब दिया जाएगा, लेकिन अपराधियों का एनकाउंटर जारी रहेगा.

सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यूपी सरकार से पुलिस एनकाउंटर को लेकर दो हफ़्ते में जवाब दाख़िल करने को कहा है.

सुप्रीम कोर्ट ने नागरिक अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठन पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज़ (पीयूसीएल) की जनहित याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार को ये नोटिस जारी किया है.

पीयूसीएल के वक़ील संजय पारिख ने बीबीसी को बताया कि इतने ताबड़-तोड़ एनकाउंटर की घटनाएं, एनकाउंटर्स पर उठने वाले सवाल और उसके समर्थन में मुख्यमंत्री समेत कुछ अन्य मंत्रियों के बयान की वजह से उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से इसमें दख़ल देने और इसकी जांच करने की मांग की गई है.

उत्तर प्रदेश, एनकाउंटर, योगी आदित्यनाथ, यूपी एनकाउंटर, यूपी पुलिस
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संजय पारिख का कहना था, "हाल में उत्तर प्रदेश में सैकड़ों एनकाउंटर हुए हैं जिनमें कुल 58 लोग मारे गए. कई मुठभेड़ों पर सवाल उठे हैं. मानवाधिकार आयोग ने नोटिस भेजा, मारे गए लोगों के परिजन न्याय की मांग लेकर भटक रहे हैं, लेकिन सरकार इन्हें सही बताने पर तुली है."

"एनकाउंटर्स के बारे में मानवाधिकार आयोग और सुप्रीम कोर्ट की स्पष्ट गाइडलाइंस का सीधे तौर पर उल्लंघन हो रहा है."

संजय पारिख का कहना है कि याचिका में एनकाउंटर के मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बयानों की भाषा पर भी सवाल उठाया गया है.

आदित्यनाथ ने कहा था कि 'अपराधी या तो जेल में होंगे या ठोंक दिए जाएंगे.' इस पर संजय पारिख का कहना है कि "ऐसी भाषा अपराध को कम करने की बजाय पुलिस को किसी की जान ले लेने की खुली छूट देने जैसा है."

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16 महीनों मे 2000 एनकाउंटर

पिछले दिनों केंद्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी करते हुए टिप्पणी की थी कि "प्रशासन पुलिस को अपने अधिकारों का दुरुपयोग करने को बढ़ावा दे रहा है".

उत्तर प्रदेश में पिछले 16 महीनों में जब से बीजेपी सरकार बनी है, अब तक दो हज़ार से भी ज़्यादा पुलिस एनकाउंटर हुए हैं, जिनमें 58 लोग मारे गए और इस दौरान चार पुलिसकर्मियों की भी मौत हुई.

वहीं सुप्रीम कोर्ट के नोटिस का जवाब देने के लिए योगी सरकार तैयार बैठी है और उसने अपना रुख़ भी स्पष्ट कर दिया है.

राज्य सरकार के प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री श्रीकांत शर्मा ने कहा है, "यूपी में अपराध को लेकर हमारी सरकार ज़ीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रही है. पुलिस पर गोली चलाने वालों को उन्हीं की भाषा में जवाब दिया जाएगा. गोली चलाने वाले अपराधियों को गुलदस्ता भेंट नहीं किया जाएगा."

एनकाउंटर के मामले में सरकार का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट और मानवाधिकार आयोग के निर्देशों का हमेशा पालन होता है, पुलिस तभी गोली चलाती है जब अपराधी उस पर हमला करते हैं.

हालांकि, इस मामले में ख़ुद पुलिस भी कई मुठभेड़ों में बैकफ़ुट पर नज़र आई. जब निजी दुश्मनी निकालने के लिए भी एक पुलिसकर्मी ने आपसी लड़ाई को एनकंउंटर दिखा दिया था.

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कुछ ख़ास मामले

एनकाउंटर की ज़्यादातर घटनाएं पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हुई हैं. कई एनकाउंटर्स पर सवाल उठे कि वो फ़र्जी हैं. इनमें पिछले साल पांच अक्टूबर को ग्रेटर नोएडा में सुमित गुर्जर का एनकाउंटर काफ़ी विवादित रहा है.

इस मामले में यूपी पुलिस पर आरोप लगे कि ये एनकाउंटर नहीं था बल्कि सुमित की हत्या की गई है. सुमित के ऊपर कोई आपराधिक मुकदमा नहीं दर्ज था और उनके परिवार वालों के मुताबिक किसी अन्य सुमित गुर्जर के शक़ में पुलिस ने उसकी हत्या कर दी.

इस मामले में मानवाधिकार आयोग ने यूपी के मुख्य सचिव और डीजीपी को नोटिस जारी कर चार हफ़्ते में जवाब तलब किया.

इसी तरह, नोएडा में एक दारोगा ने फ़र्ज़ी एनकाउंटर दिखाते हुए 25 साल के एक युवक को गोली मार दी. ये युवक नोएडा में ही जिम चलाता था.

मीडिया में इसकी चर्चा होने के बाद पता चला कि ये हमला व्यक्तिगत दुश्मनी में किया गया. मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने यूपी सरकार को नोटिस जारी किया. बाद में कथित तौर पर एनकाउंटर करने वाले दारोगा की गिरफ़्तारी भी हुई.

10 अगस्त, 2017 को बाग़पत के बड़ौत इलाके के 40 वर्षीय फल विक्रेता इकराम की मृत्यु शामली में पुलिस की गोली लगने से हो गई.

पुलिस का दावा है कि लूट के सामान के साथ इकराम के भागने की उसे सूचना मिली थी और जब इकराम को रोकने की कोशिश की गई तो उसने पुलिस पर गोलियां चलाईं. पुलिस ने आत्मरक्षा में गोली चलाई और इकराम की मौत हो गई.

लेकिन, इस एनकाउंटर पर भी सवाल उठे. इकराम के परिवार का कहना था कि उसे मोटरसाइकिल चलानी ही नहीं आती थी और गोलियों के अलावा इकराम के शरीर पर गंभीर चोट के निशान भी मिले थे.

12 सितंबर 2017 को सहारनपुर के शेरपुर गांव के 35 वर्षीय शमशाद को भी पुलिस ने कथित तौर पर एनकाउंटर में मार गिराया.

शमशाद पिछले दो सालों से देवबंद जेल में बंद थे.

पुलिस के मुताबिक़, उनके ख़िलाफ़ लूट और चोरी के कई मामले चल रहे थे और वह 8 सितंबर, 2017 को पुलिस की हिरासत से फरार हो गए थे. पुलिस ने उनका पीछा करने की कोशिश की और वह गोलीबारी में मारे गए.

लेकिन, शमशाद के परिवार वालों का आरोप है कि उन्हें फ़र्ज़ी तरीक़े से हुए एनकाउंटर में मारा गया. परिवार वालों के मुताबिक़ 'जब उनकी सज़ा ख़त्म होने ही वाली थी, तब आख़िर वह क्यों भागेंगे?'

शामली ज़िले के बंटा गांव में समोसा बेचने वाले असलम 9 दिसंबर, 2017 को नोएडा के दादरी में पुलिस मुठभेड़ में मारे गए.

दादरी पुलिस के मुताबिक़ असलम बड़े अपराध की योजना बना रहे थे और दोतरफ़ा गोलीबारी में गोली लगने से उनकी मौत हो गई.

असलम के परिवार वालों का कहना है कि आस-पास के इलाके में कोई भी अपराध होने पर पुलिस अभी भी उनके घर पर आ धमकती है.

याचिका में कोई विशेष मामला नहीं

हालांकि, पीयूसीएल की ओर से याचिका दायर करने वाले वक़ील संजय पारिख कहते हैं कि याचिका में एनकाउंटर के किसी विशेष मामले का ज़िक्र नहीं किया गया है बल्कि इस दौरान हुए सभी एनकाउंटर्स की बात की गई है.

उनके मुताबिक, "राज्य सरकार का जवाब आने के बाद सुप्रीम कोर्ट ख़ुद तय करेगी कि किस तरह की जांच के आधार पर इन एनकाउंटर्स के फ़र्ज़ी या सही होने की पुष्टि होगी."

वहीं, इस मामले में उत्तर प्रदेश बीजेपी ने सरकार का बचाव करते हुए कहा है कि सरकार सुप्रीम कोर्ट को जवाब देने को तैयार है.

बीजेपी के प्रवक्ता शलभ मणि त्रिपाठी के मुताबिक, "जिन मुठभेड़ों में अपराधी मारे गए हैं उन सभी मुठभेड़ों में कुल 59 मुक़दमे दर्ज किए गए. इनमें से 24 मुक़दमों में पुलिस की भूमिका सही पाते हुए अंतिम रिपोर्ट लग चुकी है, जबकि बाकी मामलों की विवेचना अभी जारी है."

त्रिपाठी का कहना है कि पिछले डेढ़ साल में यूपी में 7000 अपराधी गिरफ़्तार किए गए जबकि 8000 से ज़्यादा अपराधियों ने आत्मसमर्पण किया. उनके मुताबिक इनकी तुलना में एनकाउन्टर में मारे गए लोगों की संख्या काफ़ी कम है.

BBC Hindi
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English summary
Yogi Sarkar will be caught in the Supreme Court on Encounters
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